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केंद्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण टीम को पटना की सही स्थिति दिखाने की जरूरत- योगेंद्र त्रिपाठी

पटना : भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के सदस्य योगेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि इन दिनों पटना में स्वच्छता सर्वेक्षण टीम आई हुई है। उन्हें पटना नगर निगम के पदाधिकारियों द्वारा पटना में स्वच्छता के नाम पर किए जा रहे कॉस्मेटिक कार्यों को दिखला कर अधिक अंक प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। टीम को प्रत्येक वार्ड के वार्ड पार्षदों एवं जागरूक नागरिकों के साथ वार्ड में भ्रमण करना कराना चाहिए, ताकि वे तंग गलियों की बजबजाती नालियों, वार्डों में खुली बड़ी नालियों, सड़कों का अवैध अतिक्रमण, गलियों में जाने के रास्ते के मुंह पर नालियों के खुले ढक्कन एवं बेतरतीब तरीके से कहीं से लाकर रख दिए गए ऊंचे ढक्कन जिससे गली के वाशिंदे को चार पहिए गाड़ी तक का आना जाना कठिन है आदि की सच्चाई भी दिख सके। इतना ही नहीं, हादसे की स्थिति में गली में न तो एंबुलेंस जा सकता है और ना ही अग्निशमन गाड़ियां ही आ जा सकती है।

रोड पर नाले की स्थिति तथा गली के मुहाने पर कबाड़ी वाले द्वारा कबाड़ों का लगाया गया ढेर, जिसको देखकर नाक बंद करना पड़ता है। उधर दृष्टि डालने तक का मन नहीं करता। सड़कों पर फुटपाथी दुकानदारों खासकर फल वालों-सब्जी वालों द्वारा फेंके जा रहे अखबारों एवं अन्य रद्दी सामग्रियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

मुख्य सड़क 90 फीट के उत्तरी किनारे नाली न बनाकर सड़क के बीच में बनाए जा रहे नाले, जिसको बनाने हेतु मुख्य अभियंता ने सर्वेक्षण कर अपना रिपोर्ट प्रधान सचिव, पथ निर्माण विभाग को समर्पित किया था, फिर भी वह ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है, उस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। स्वच्छता सब के लिए आवश्यक है। सिर्फ सेंट्रल टीम को कुछ अच्छे स्थानों पर घुमा कर विशेष अंक प्राप्त करने मात्र के लिए नहीं है।

मैं तो 82 वर्ष से ज्यादा उम्र का व्यक्ति हूं किंतु रोज मुझे गली के सड़क पर जाकर फटे पुराने गंदे कपड़े, अखबारों के टुकड़े, गुटका के रैपर, फलों के जूस के खाली डिब्बे, प्लास्टिक एवं अन्य न छूने योग्य बेकार वस्तुओं को चुन चुन कर साफ करना पड़ता है। वार्ड पार्षद को सूचित करने पर सप्ताह में एक-दो दिन झाड़ू वाले को कृपा पूर्वक भेज देते हैं, यह उनका बड़प्पन है।

कृपया स्वछता टीम को दु:स्थिति को भी दिखलाया जाए ताकि वह सही-सही स्वच्छता के स्वच्छता का आकलन कर सकें। लेकिन वह भी तो लाचार हैं क्योंकि पटना में नगर निगम का संविधान के 12वीं अनुसूची की सूची का सभी कार्य पारा साइसायटिक एजेंसी, राज्य सरकार के उपक्रम एवं आउटसोर्सिंग एजेंसी के जिम्मे सौंप दिया गया है।

खासकर पटना नगर निगम तो खाली है। उसके तमाम गर्मी रिटायर हो गए हैं। उसके बदले अधिनियम की धारा 38(ख)(ग) के अंतर्गत कोई बहाली धारा 37(9) के अंतर्गत नहीं की गई। फलत: नगर निगम के किस रोड एवं किस गली की वास्तविक समस्या क्या है, यह बाहरी एजेंसियां नहीं जान पाती हैं।

संविधान के अनुच्छेद 243 w के12वीं शेड्यूल को बिहार में राज्य सरकार ने नगर निगमों के बदले अपने हाथों लेकर संविधान की घोर अवहेलना कर रही है। एक वैसी संस्था जो स्वतंत्रता से सैकड़ों वर्ष पूर्व से नगरों की सफाई का देखभाल करते आ रही थी, उसे अब अस्तित्व विहीन कर दिया गया है। नौकरशाही के इशारे पर सारा कार्य हो रहा है। विधायिका भी अब इस मामले में निस्पृह हो चुकी है। कम से कम विभागीय मंत्री को इस ओर ध्यान देना चाहिए। पर न जाने क्यों वह भी विभाग के पदाधिकारियों के भरोसे चुपचाप बैठे हैं। यह लोकतंत्र के लिए सही स्थिति नहीं है।