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वर्चस्व को ले गोलीबारी मची भगदड़ ,धंसी चाल, आठ मजदूर दबे

– चार महिला मजदूर की मौत, 4 महिला मजदूर लापता 

नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड सवैयाटांड़ पंचायत की शारदा अभ्रक माइंस में वर्चस्व को ले शुक्रवार की दोपहर गोलीबारी की गई।गोलीबारी के दौरान माइंस पर भगदड़ मच गई।मची भगदड़ से कार्य करने वाले लोगों के ऊपर चाल धंस गया जिसमें करीब आधा दर्जन लोग जमीनदोज हो गए।चाल धंसने से मजदूरी करने वाली 4 महिला मजदूर की मौत हो गई।

माफिया लोगों के दहशत में करीब आधा दर्जन मजदूर जमींदोज हो गए।जमींदोज मजदूरों को सहयोगी मजदूरों के द्वारा निकालने की कोशिश की जा रही है। हालांकि खबर लिखे जाने तक चार महिला मजदूर को निकाल लिया गया था।जिसमें काली राय की विधवा बहू महिला मजदूर झारखंड राज्य के सतगावां थाना क्षेत्र के कोठियार गांव निवासी की मौत हो गई तथा दूसरी महिला सपही गांव निवासी गोवर्धन यादव की बहू एवं अन्य दो महिला गंभीर रूप से घायल हो गई।
घायलों को इलाज के लिए माफिया द्वारा झारखंड राज्य के कोडरमा ले जाया गया है।

जहां एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराकर इलाज कराया जा रहा है। वहीं अन्य लापता लोगों की खोजबीन जारी है। मृतकों के शव को लापता करने व परिजनों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में जुट गये हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पप्पू साव पिता बिनोद साव, छोटी पप्पू यादव पिता मन्नू यादव, सोनू यादव पिता वीरेंद्र यादव, सुरेंद्र यादव पिता द्वारिका यादव गौतम यादव पिता स्वर्गीय केदार यादव रमेश यादव पिता बालेश्वर यादव सिकंदर साव पिता प्रकाश साव ,पवन कुमार, जय कार कुमार पिता प्रदीप साहू, घुटर यादव पिता जागो यादव, रोहित यादव,संजय यादव, बिरू यादव आदि दर्जनों लोग शारदा माईस पर पहुंचे और अपना वर्चस्व के लिए काम कर रही महिलाओं को भगाने की कोशिश की।

लेकिन जब वे लोग नहीं भागे तो पप्पू साव के द्वारा गोलीबारी की घटना को अंजाम दिया गया।जिससे महिला मजदूर डरकर चटकरी के सुरेश सिंह, ब्रह्मदेव सिंह व लालजीत सिंह, भोला तुरिया के द्वारा संचालित शारदा माइंस के चाल के सुरंंग के नीचे घुस कर छुप गई। मची भगदड़ ने नीचे रही महिला मजदूरों के साथ अन्य लोगों को काल के ग्रास में ले लिया।हालांकि दो महिला मजदूरों को वहां काम करने वाले अन्य मजदूरों ने निकाल लिया।जिसमें एक की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी व दूसरी बुुरी तरीके से घायल हो गयी।

वैसे प्रशासन इस प्रकार की किसी घटना की जानकारी से इंकार कर रहे हैं। थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर दरबारी चौधरी ने पूछे जाने पर बताया कि उन्हें किसी की मौत होने की जानकारी नहीं मिली है। हां चाल धंसने से एक व्यक्ति के घायल होने की संभावना बतायी जा रही है।डीएफओ अवधेश कुमार झा ने बताया कि घटना की जानकारी मिली है।अवैध खनन को ले लगातार छापेमारी की जाती रही है। जब तक वहां पुलिस कैंप नहीं बनाया जाएगा तब तक अवैध खनन करने वाले माफियाओं पर लगाम लगा पाना मुश्किल है। हमारे पास समुचित बल मौजूद नहीं है। जितना बल मौजूद है उससे इस पर रोक लगाना नामुमकिन है।

इस मामले को लेकर सरकार के वरीय अधिकारियों के द्वारा लिखा गया है। बावजूद आज तक पुलिस पिकेट नहीं बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अवैध खनन को लेकर वहां पर जांच की जाएगी।साथ ही साथ दोषी अवैध खनन कारोबारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।

पूर्व में होती रही है घटनाएं :-

– शारदा सहित अन्य अभ्रक माइंस में अवैध खनन के दौरान चाल धंसने की घटनाएं होती रही है। पूर्व के वर्षों में 6 मजदुरों की मौत हुई थी। शारदा में अवैध खनन का कार्य कई वर्षो से किया जा रहा है। इसमें बिहार झारखंड के दर्जनों माफिया जुड़े हैं। खनन करने वाले माफिया में सिमरातरी के महेंद्र सिंह, शमीम, शफदर, मनोवर, अख्तर, राहुल, अल्ताफ, मंसूर मियां, केदार, अली नौशाद, इरफान इजराइल, सलाउद्दीन, जितेंद्र साव, शमीम उर्फ फोकना, कैलाश यादव, बिगन साव, भोला तुरिया, दूर्गा सिंह आदि के नाम आते रहे हैं। पिछले दिनों इन्हीं लोगों में कुछ लोग पकड़े गए जेसीबी मशीन को पुलिस पर हमला कर छुड़ा लिए थे।

नहीं होता है विरोध :-

अवैध अभ्रक खनन कराने वाले माफिया के खिलाफ आवाज उठाने की जुर्रत किसी की नहीं है। हर घटना पर पर्दा डाल दिया जाता है। पीड़ितों का मुंह बंद कराने के लिए हर तिकड़म अपनाया जाता है। विरोध में आवाज उठाने वाले स्थानीय ग्रामीणों को किसी न किसी षडयंत्र के तहत झूठे मुकदमे में फंसा दिया जाता है या फिर बंदूक की नोक पर उसके जुबान बंद कर दिया जाता है। ऐसी बेबसी कि लोग अपनों की मौत पर भी आंसू नहीं बहाते।चाल धंसने के बाद होने वाली मौत पर मरने वालों की ऐसी मजबूरी होती है कि वे आंसू भी नहीं बहा पाते हैं।

20 मई 2015 को कारी माइंस में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में एक बेटी की मौत पर उस की बुजुर्ग मां ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। घटना के बाद मजदूर परिवारों को भयभीत किया जाता है। पुलिस से शिकायत न करें इसके लिए चंद रुपये उन्हें थमा दिए जाते हैं।