मैथिली की पढ़ाई को लेकर उठा सवाल, सरकार ने कहा : यह भाषा नहीं लिपि
पटना : मैथिली भाषा को लेकर विधान विधान सभा के ध्यानाकर्षण सत्र में जोरदार बहस हुई। इस मुद्दे को लेकर विधायक संजय सरावगी ने सवाल उठाया।
संजय सरावगी ने कहा कि मैथिली भाषा देश की अष्टम सूची में शामिल है, लेकिन क्या कारण है कि इस भाषा को लेकर राज्य में कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश की स्वीकृत 22 भाषाओं में शामिल होने के बाद भी मैथिली इकलौती ऐसी भाषा है, जिसकी पढ़ाई किसी स्कूल में नहीं की जा रही है।
इसके साथ ही उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार के द्वारा मैथिली भाषा की पढ़ाई किसी भी प्राथमिक स्कूलों में करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री वाजपेई जी ने भी इस भाषा को महत्व दिया था।
देश में पांच करोड़ लोगों की भाषा मैथिली है। इसके बावजूद यह भाषा विलुप्त हो रहा है, इसे जिंदा रखने के लिए जरुरी है कि सरकार कोई सख्त कदम उठाए।
वहीं इनके सवालों का जवाब देते हुए बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मैथिली लिपि है, यह कोई भाषा नहीं, जिसकी पढ़ाई की जा सके। उन्होंने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषा शामिल होती है लिपि नहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि मैथिली मूल रूप से देवनागरी में लिखी जाती है, इसकी कोई अलग भाषा नहीं है। ऐसे में फ़िलहाल मैथिली भाषा में अलग से पढ़ाई शुरू कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।