वैविध्य अपनाने के गुण से भारतीयता को कोई खतरा नहीं

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पटना : राष्ट्रवादी चिंतक व राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने कहा कि भारतीयता की संकल्पना अनेकता में एकता के बोध के रुप में सामने आती है। भारतीयता रूपी समुंद्र में मिलकर कोइ भी विचार या संस्कृति उसी का हो कर रह जाती है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में विविध प्रकार के भोजनों का पाचन होकर तत्व के रुप में रक्त का निर्माण हो जाता है। पाचन के बाद विविध रंग रूप वाले भोजन रक्त के एक रंग में बदलकर शरीर का भरण पोषण करते हैं और शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।

जबतक भारतीयता में विविध विचारो को पाचन लेने कि क्षमता है तब तक कोई खतरा हो ही नहीं सकता। राकेश सिन्हा भारत विकास परिषद् की ओर से आयोजित 17वीं विजयश्री स्मृति व्याख्यानमाला में भारतीयता की संकल्पना के विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

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सर्वे भवन्तु सुखिनः

जे. डी. वीमेंस कॉलेज का सभागार में आयोजित इस समारोह नवनालंदा महाविहार वि. वि. के कुलपति प्रो बैधनाथ लाभ ने कहा कि भारतीयता की संकल्पना विचार से अधिक व्यवहार के रूप में होती है। विषय परिचय कराते हुए भारत विकास परिषद् के पदम श्री बिमल जैन ने कहा कि भारतीयता की संकल्पना सर्वे भवन्तु सुखिनः और वसुदेव कुटुंबकम जैसे सूत्र वाक्यों में दिखती है।

वहीं अतिथियों का स्वागत जे. डी. वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या श्यामा राय ने किया। वहीं दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर वीणा कुमारी ने शिक्षाविद विजयश्री का जीवन परिचय को प्रस्तुत किया।

वहीं इस अवसर पर बी एन मंडल के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ अमरनाथ सिन्हा, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद तिवारी , पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ रासबिहारी सिंह, बागवान क्लब के अध्यक्ष श्याम जी सहाय, पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ डी एन गौतम , साइंस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर केसी सिंहा, ए. एन. कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर शशि प्रताप शाही, कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राचार्य प्रोफेसर तपन शांडिल्य, भारत विकास विकलांग न्यास के चेयरमैन देशबंधु गुप्ता, पटना विश्वविद्यालय के अध्यापक डॉ गौतम कुमार मौजूद रहे।

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