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जल निकायों के पुनरुद्धार को लेकर ग्रामीणों ने किया श्रमदान

कौआकोल : पर्यावरण संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत सोमवार को प्रखंड के महुडर पंचायत के गायघाट गाँव में ग्रामीणों ने श्रमदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पानी रे पानी अभियान के तहत परम्परागत जल निकायों के पुनरुद्धार के संकल्प अंतर्गत यह प्रयास प्रारंभ किया गया है।

इस अवसर पर “ पानी रे पानी” अभियान के संयोजक पंकज मालवीय ने कहा कि पानी, वन, पर्यावरण और जैव विविधता आदि प्रकृति के उपहार को समाज अच्छी तरह से जानता व समझता जरूर है, लेकिन वह सिर्फ कागजी ज्ञान तक सीमित रह गया है। क्योंकि, इनके साथ हमारा व्यवहार बिल्कुल विपरीत हो रहा है और उसका परिणाम भी भुगत रहे हैं। हमारे पूर्वज भले ही कम पढ़े-लिखे इंसान थे, लेकिन इनके महत्व को समझते थे और इनकी पूजा करते थे।

उन्होंने कहा कि आज आधुनिकता के प्रभाव में लोग अपनी परंपराओं को भूल गये, जिसके बाद विनाश का नजारा एक के बाद एक कर सामने है। पूर्वजों ने जिसकी पूजा की,उस नदी, तालाब आदि को हम समाप्त कर चुके हैं। दरअसल, आज पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग से लेकर पानी की कमी तक का कारण अपनी परंपराओं को भूल जाना है और एक बात स्पष्ट है कि लोक चेतना ही इस संकट से हमें बचा सकती है। क्योंकि यह केवल सरकार ही नहीं,बल्कि हमारी भी जवाबदेही है।

उन्होनें बताया कि इस अभियान का मुख्य मकसद नदियों के किनारे बसे गांव एवं शहरों में जाकर लोगों को नदियों, तालाब समेत परम्परागत जल श्रोतों के महत्व और वर्तमान की स्थितियों से वाक़िफ़ करना और उनकी रक्षा के लिये जनप्रयास को प्रेरित करना है। मौके पर मौजूद इस अभियान के मजबूत सहयोगी व ग्राम निर्माण मण्डल सर्वोदय आश्रम सोखोदेवरा के प्रधानमंत्री अरविंद कुमार ने उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए वन और जैव विविधता के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जैव विविधता, जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता है, जो प्रजातियों में, प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्रों की विविधता को समाहित करती है। इसमें सभी प्रकार के जीव-जंतु और पेड़-पौधे व वनस्पतियां शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि जैव विविधता से ही इंसान सहित समस्त जीवों की भोजन, चारा, कपड़ा, लकड़ी, ईंधन आदि आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। ये रोगरोधी और कीटरोधी फसलों की किस्मों का विकास करती है, जिससे कृषि उत्पादकता अधिक होती है। औषधीय आवश्यकताओं की पूर्ति जैव विविधता से आसानी से हो जाती है] तो वहीं पर्यावरणीय प्रदूषण को नियंत्रित करने में जैव विविधता का अहम योगदान है। इसके अलावा कार्बन अवशोषित करना और मिट्टी के गुणवत्ता में सुधार करने में भी इसका अनुकरणीय योगदान है। एक प्रकार से जैव विविधता पृथ्वी पर जीवनचक्र को बनाए रखती है। ऐसे में इसकी रक्षा कर हम अपने वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।