चलचित्र, वेबसीरीज के माध्यम से हिन्दूद्वेष फैलाने का जानबूझकर षड्यंत्र रचा गया है, जिससे सनातन हिन्दू धर्म के अनुयायियों में न्यूनगंड एवं हिन्दू धर्म के विषय में नकारात्मकता उत्पन्न हो और वे अपनी ‘हिन्दू’ के रूप में पहचान भूल जाएं। चलचित्र अथवा वेबसीरीज को प्रकाश में लाने के लिए भी ऐसा किया जाता है। जिन्हें ठीक से अभिनय भी करना नहीं आता, ऐसे लोगों को केवल उनकी देशविरोधी व हिन्दूविरोधी भूमिका के कारण चलचित्रों अथवा वेबसीरीज में काम मिलता है।
यह एक रणनीति और हिन्दू धर्म पर छुपे मार्ग से किया जा रहा आघात है। केंद्र सरकार बहुसंख्यकों की धर्म भावनाओं पर ध्यान देकर सामाजिक सौहार्द के लिए ईशनिंदा विरोधी कानून जैसे कठोर कानून बनाए। अपने करियर या फैशन के लिए हिन्दू देवी-देवताओं की खिल्ली उड़ानेवालों को दंड होना ही चाहिए,
उक्त बातें हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ कार्यक्रम के अंतर्गत ‘ईशनिंदा विरोधी कानून की मांग क्यों ?’पर अभिनेत्री पायल रोहतगी ने कही।
हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने कहा कि चलचित्र, वेबसीरीज द्वारा हिन्दूद्वेष फैलाना एक प्रकार का बौद्धिक आतंकवाद है व हिन्दू उसकी बलि चढ रहे हैं। अन्य धर्मियों के आक्षेप लेने पर सैटनिक वर्सेस उपन्यास व द दा विंची कोड जैसे चलचित्रों पर तुरंत प्रतिबंध लग जाता है। पर हिन्दुओं के आक्षेप लेने पर ऐसी कार्रवाई नहीं होती।
चलचित्र को मान्यता देने के लिए सेन्सर बोर्ड है, परंतु प्रश्न है कि उसके सदस्य किस आधार पर मान्यता देते हैं। इस विषय में जागृति करने हेतु विशाल आंदोलन करने की आवश्यकता है। अभिव्यक्ति स्वतंत्रता है, फिर भी उसकी एक सीमा है। वर्तमान में उपलब्ध संवैधानिक साधनों का उचित उपयोग कर हिन्दूद्वेष को रोकना होगा।
इस समय देवताओं के अनादर के विरोध में कानूनी संघर्ष करनेवाले हिन्दू आईटी सेल के संस्थापक रमेश सोलंकी ने कहा कि देवताओं के अनादर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करने में भी पुलिस टालमटोल करती है। इस विषय में हिन्दुओं का जागृत होना आवश्यक है। उन्होंने हिन्दू विरोधकों को चेतावनी देते हुए कहा, ‘आप लोग सुधर जाओ, नहीं तो हम आपको कानूनी मार्ग से सुधारेंगे।