नवादा : आपने कई पहाड़ों को देखा होगा। लेकिन आपने बोलते हुए पहाड़ को नहीं देखा होगा। अगर आपको यकीन नहीं हो तो देखने-सुनने के लिए पहुंच सकते हैं। हम चर्चा कर रहे हैं नवादा जिले के कौआकोल प्रखंड के तरौन गांव स्थित बोलता पहाड़ की। यह जिला मुख्यालय से तकरीबन 41 किलोमीटर दूर है। इस इलाके की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है।
जंगलों के बीच मनोरम वादियों में यह पहाड़ है। पहाड़ के नीचे एक स्थान से कुछ बोलने के बाद वही आवाज लौटकर वापस आता है। इसीलिए ग्रामीण इसे बोलता पहाड़ कहते हैं। आसपास के जिलों के लोग अक्सर यहां की इस खूबी को देखने के लिए पहुंचते हैं।
काले चट्टान का है पहाड़
– तरौन में जंगली इलाके के बीच बड़े-बड़े काले चट्टानों से यह पहाड़ सरीखा बना है। चट्टान एक दूसरे पर इस कदर रखे हुए हैं, मानों हाथ लगाओ तो गिर जाए। लेकिन ये चट्टान कभी नहीं गिरते हैं। गांव के लोग बताते हैं कि पहाड़ के नीचे एक प्वाईंट है, जहां से बोलने पर आवाज लौटकर आती है। उस प्वाईंट को प्रशासन की तरफ से व्यवस्थित किया गया है। पहाड़ी पर जंगली जड़ी-बूटी भी मिलते हैं। आयुर्वेद के जानकार लोग यहां से जड़ी-बूटी ले जाते हैं।
इलाके में कराया गया है सुंदरीकरण
– वैसे तो यह इलाका प्रकृति की गोद में है। जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। लेकिन पर्यटन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक स्तर पर भी सुंदरीकरण का कार्य कराया गया है। पहाड़ तक पहुंचने वाले मार्ग को सुदृढ़ किया गया है।
साल की पहली जनवरी के अवसर पर लोग इस स्थान पर पिकनिक का भी आनंद लेते हैं। आसपास के गांवों के लोग यहां घूमने के लिए पहुंचते रहते हैं। अगर बाहर से कोई शख्स कौआकोल पहुंचता है तो बोलता पहाड़ को देखना नहीं भूलता।
कहते हैं अधिकारी
– बोलता पहाड़ तक पहुंचने के लिए रास्ता का निर्माण कराया गया है। सुंदरीकरण से संबंधित कार्य भी कराए जाएंगे। इसके लिए वन विभाग से अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलते ही सुंदरीकरण का कार्य कराया जाएगा। संजीव कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, कौआकोल।