पहली डिलीवरी सिजेरियन हुई है तो दूसरी बार गर्भधारण करने से पहलें लें ब्रेक
मधुबनी : गर्भावस्था हर महिला के लिए बहुत खास पल होता है। इस दौरान उनके शरीर में कई शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक बदलाव आते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की अपनी सेहत के प्रति जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। इसका कारण है कि उनको खुद के साथ अपने गर्भस्थ शिशु का भी ख्याल रखना पड़ता है।
ऐसे में शरीर को अतिरिक्त पोषक तत्वों, विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत होती है। आमतौर पर हर कोई चाहता है कि डिलीवरी नॉर्मल ही हो, लेकिन कई बार किसी जटिलता के कारण तो कभी गर्भवती महिलाओं के दर्द न सह सकने की वजह से सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत पड़ती है।
क्या होता है सी- सेक्शन :
सिजेरियन डिलीवरी में प्रसव के दौरान ऑपरेशन किया जाता है। इसके बाद गर्भस्थ शिशु को बाहर निकाला जाता है। ऐसा करने के बाद पेट और गर्भाशय को बंद कर दिया जाता है और डॉक्टर एब्जॉर्ब हो जाने वाले टांके लगा देते हैं।
क्यों की जाती है सिजेरियन डिलीवरी :
सदर अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवृत्ति मिश्रा बताती हैं, जब गर्भस्थ बच्चा पूरी तरह विकसित हो जाता है यानि करीब गर्भावस्था के 39वें महीने में सिजेरियन डिलीवरी की सलाह चिकित्सक तब देते हैं अगर प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) के दौरान जच्चा-बच्चा की जान खतरे में हो या फिर बच्चे को निकलने में दिक्कत हो रही हो, तब निर्णय लिया जाता है।
कैसा होनी चाहिए पोस्ट डिलीवरी खुराक :
शिशु के जन्म के बाद महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। अच्छी स्वास्थ्य के लिए उनका खानपान भी स्वस्थ रहना चाहिए। लिहाजा, उनकी खुराक में सभी पोषक तत्वों से समाहित खाद्य पदार्थ को शामिल करना जरूरी है। ऐसे में लोगों को अपने दैनिक आहार में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, फाइबर से भरपूर खाना चाहिए। वहीं, जिन खाद्य पदार्थों को पचाने में मुश्किल आती है, उन्हें न खाएं।
दूसरी बार गर्भधारण करने में लें ब्रेक :
यदि आपकी पहली डिलीवरी सिजेरियन हुई है तो दूसरी बार गर्भधारण करने से पहलें ब्रेक लें। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रवृत्ति मिश्रा ने बताया दूसरी बार गर्भधारण के लिए कम से कम 3 साल का इंतजार करने के बाद ही गर्भधारण करें।
अपनाएं गर्भ निरोधक साधन :
सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने कहा कि जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। उनके मुताबिक बच्चों में अंतर रखने के लिए तथा अनचाहे गर्भ से निजात के लिए प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी(प्रसवोपरांत कॉपर-टी) लगाया जाता है। गर्भनिरोधक का यह एक सुरक्षित साधन है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इससे लाभार्थी को न ही दर्द होता है ना ही कोई अतिरिक्त रक्तश्राव होती है। इससे गर्भधारण की समस्या से लंबे समय तक छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा सदर अस्पताल में कई तरह की अस्थाई सामाग्रियां मौजूद हैं। इनमें कंडोम, अंतरा इंजेक्शन, छाया गोली,गर्भनिरोधक गोली जैसे साधन उपलब्ध हैं।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन :
– एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
– सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
– अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
– आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
– छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें.
जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों का होगा विद्युतीकरण, अब अंधेरे में नहीं रहेगा कोई भी स्वास्थ्य उपकेंद्र
मधुबनी : विद्युतीकरण से वंचित जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों स्वास्थ्य संस्थानों में जल्द ही विद्युतीकरण की कवायद तेज की जाएगी। इसके लिए राज्य स्तर से नॉर्थ बिहार पावर वितरण कंपनी से करार किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस कार्य को अपने प्रमुख एजेंडे में शामिल किया है। इसके लिए प्रत्येक तीसरे दिन वीसी का आयोजन कर प्रगति के संबंध में सीएस तथा कार्यपालक अभियंता से विद्युत से संबंधित प्रतिवेदन प्राप्त किया जा रहा है।
इस क्रम में जिला स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं बीएचएम के साथ जूम एप के माध्यम से बैठक कर इसकी जानकारी दी जा रही है. वहीं दूसरी ओर जिला स्वास्थ समिति द्वारा जिले के सभी विद्युत कार्यपालक अभियंताओं से समन्वय स्थापित कार्यों को गति प्रदान की जा रही है।
इस संबंध में सीएस ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दिया है, कि अपने प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं बीसीएम के माध्यम से अपने क्षेत्र के अंतर्गत स्वास्थ्य उपकेंद्रों एपीएचसी का भ्रमण करवाकर विद्युत पोल से संबंधित केंद्रों की दूरी का फोटोग्राफ अपना पहचान पत्र संबंधित जमीन का दस्तावेज व बैंक पासबुक को संकलित कर 19 दिसंबर तक कार्यपालक अभियंता विद्युत अनुमंडल झंझारपुर एवं फुलपरास के पास केंद्रों के विद्युतीकरण करवाने एवं डेडीकेटेड ट्रांसफार्मर अधिस्थापित करवाने के लिए हर हाल में उपलब्ध करा दें।
स्वास्थ्य उप केंद्रों का विद्युतीकरण तो एपीएचसी में लगेगा डेडीकेटेड ट्रांसफार्मर :
अब जिले का कोई भी स्वास्थ्य संस्थान अंधेरे में नहीं रहेगा इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने कवायद तेज कर दी है। जिस क्रम में जिले के सभी स्वास्थ्य उपकेंद्रों के विद्युतीकरण किया जाएगा, साथ ही जिला के सभी एपीएचसी में विद्युतीकरण के साथ ही विशेष रूप से उस केंद्र के लिए ट्रांसफार्मर एवं सभी पीएचसी एवं सीएससी विशेष रुप से केंद्र के लिए अलग से ट्रांसफार्मर तीन फेज विद्युत कनेक्शन लगाया जाएगा।
विदित हो कि झंझारपुर एवं फुलपरास अनुमंडल के 58 उपस्वास्थ्य विद्युतीकरण से वंचित हैं. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दोनों अनुमंडल के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केंद्रों में विद्युतीकरण कराने अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में डेडीकेटेड ट्रांसफार्मर लगाने तथा इसी प्रकार पीएचसी तथा सीएचसी में डेडीकेटेड ट्रांसफार्मर के साथ ही 3 फेज विद्युतीकरण की सूची कार्यपालक अभियंता को उपलब्ध करा दी गई है।
ये होंगे फायदे :
विद्युतीकरण के बाद स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज के लिए आने वाले मरीज को रोशनी के साथ विद्युत से संचालित चिकित्सीय उपकरणों की उपलब्धता की सेवा ससमय प्राप्त हो सकेगी. प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र में लो वोल्टेज की समस्या से निजात मिलेगा इसके साथ ही तथाकथित लो वोल्टेज के समस्या से निजात मिल सकेगी। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी आधारित मशीन उपकरणों का सुदूर गांव में अवस्थित स्वास्थ्य केंद्रों का अनुश्रवण विभिन्न स्तरों से ससमय में किया जा सकेगा.
राजद ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि बिल को काला कानून बताते हुए प्रेस को किया संबोधित
मधुबनी : राष्ट्रीय जनता दल मधुबनी के द्वारा स्थानीय परिसदन मैं किसान विरोधी तीनो काला कानून के खिलाफ प्रेस कों सबोधित करते हुए किसान प्रकोष्ट के वरीय प्रदेश उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक सीताराम यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी किसानों के नाम पर दर्जनों फर्जी संगठन का निर्माण कर 21 दिन से आंदोलन कर रहे किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों मैं 600 किसान सम्मेलन करने की बात कर रहा है। राष्ट्रीय जनता दल भाजपा के इस फर्जी किसान सम्मेलन के खिलाफ पूरे जिले मे जनांदोलन चलाकर भाजपा के किसान विरोधी चरित्र को सामने लाएगा
किसान प्रकोष्ट के जिला अध्यक्ष देवनारायण यादव ने कहा कि ये जो सरकारी प्रावधान किए जा रहे है ऐसे प्रावधान अमेरिका में 1960 से लागू है व खेती की आमदनी निरंतर घटती गई।भारी सब्सिडी के सहारे किसानों को राहत दी जा रही है।अमेरिका हर साल अपने किसान को 41.88लाख रुपये,जापान 7लाख रुपये,चीन 59600 रुपये और भारत बिजली,खाद,बीज,एमएसपी आदिभारत मे 85% लघु व सीमांत किसान है।कृषि उत्पादों से जुड़े तथाकथित बिचौलिए यानि छोटे व्यापारी तकरीबन डेढ़ करोड़ है।
32 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे है जिसको सरकार सस्ता खाद्य उपलब्ध करवाती है।यह भी डब्लूटीओ के निशाने पर है।सरकार को धीरे-धीरे एमएसपी के साथ पीडीएस सिस्टम को भी खत्म करना होगा।कृषि मूल्य आयोग,APMC, PDS आदि खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाने ही होंगे क्योंकि भारत सरकार WTO के एग्रीमेंट से बंधी हुई है और अमीर देशों का भारत पर दबाव है।
पूर्व विधायक फैयाज अहमद ने कहा कि भारत सरकार के पास ग्रीनबोक्स सिब्सिडी देने का विकल्प है मगर आधारभूत सरंचना में निवेश करना नहीं चाहती।नदी जोड़ने,बांध बनाने,नहरों को विकसित करने के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत है मगर सरकार की प्राथमिकताओं में यह नहीं है इसलिए 1990 के बाद इस तरफ ध्यान देना ही उचित नहीं समझा।कृषि अनुसंधान में निवेश के नाम पर 2-4 फसलों की वेराइटी पैदा हुई है बाकी के अनुसंधान बजट की कमी के भेंट चढ़ चुके है।
अमेरिका अपने किसानों को 1960 से लेकर अबतक भारी सब्सिडी देता आ रहा है मगर उसने ग्रीनबोक्स का लबादा ओढ़ लिया है।हर साल तकरीबन 98बिलियन डॉलर सब्सिडी दे रहा है।यूरोप किसानों को प्रति हेक्टेयर 4000 रुपये प्रति फसल डायरेक्ट सिब्सिडी देता है।किसानों को अब तक जो सब्सिडी भारत सरकार दे रही थी वो खाद,बीज व कृषि औजार बनाने वाली कंपनियां हड़प रही थी।किसानों की आशंकाएं अपनी जगह व वाजिब है तो भारत सरकार भी गेट/डंकल/डब्लूटीओ के आगे मजबूर है।
राजद के वरिष्ट नेता राजकुमार यादव ने कहा कि अंतराष्ट्रीय एग्रीमेंट के कारण मंडियों के बाहर एमएसपी की रेट पर बिक्री का कानून लाना भारत सरकार के लिए संभव नहीं है।मंडियों को,एमएसपी को,पीडीएस को खत्म करने का अंतराष्ट्रीय दबाव है।दुनियाँ ग्लोबल विलेज है और उसी के अनुरूप तय होना है।पिछले 30 सालों में किसानों ने तकरीबन 55लाख करोड़ कमाकर सरकार को दिए है और सरकार ने किसानों को तकरीबन 17 लाख करोड़ दिए है।इसलिए सरकारी पक्ष यह दावा कतई न करें कि हम किसानों को बहुत कुछ दे रहे है।किसानों का बकाया चुकाने की भी हालत में नहीं है।
किसान प्रकोष्ट के प्रधान महासचिव अरुण कुमार कुशवाह ने कहा कि डेढ़ करोड़ खेती से जुड़े आढ़तिये/व्यापारी,32 करोड़ गरीब,60 करोड़ किसान इन विधेयकों से प्रभावित होने जा रहे है और साथ मे शहरी मध्यम वर्ग भी।इतनी बड़ी आबादी को प्रभावित करने के लिए जब कानून पास किये जा रहे हो तो देश मे विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।
किसानों के लिए निश्चित मासिक आय या प्रति हेक्टर प्रति फसल डायरेक्ट लाभ की व्यवस्था साथ मे खड़ी की जानी चाहिए थी।32 करोड़ गरीबों खाना कैसे हासिल करेंगे उनके लिए भी सीधी मदद की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।प्रभावित समूहों के हितों की अनदेखी करके जल्दबाजी में इस तरह के कदम उठाने से बचा जाना चाहिए था।हर साल 12हजार किसान आत्महत्या कर रहे है।इन प्रावधानों से आत्महत्या की दर दुगुनी हो सकती है आय नहीं। इनलोगों के अलावे राजद के जिला प्रवक्ता इन्द्रजीत राय, चंद्रशेखर झा सुमन, प्रदीप यादव,संजय चौधरी,अमरेंद्र चौरसिया, सचिन यादव,अरुण यादव, संजीव कुमार यादव,एवं अन्य लोगो ने अपनी बात रखा।
शराब कारोबारी पर टूटा पुलिस का कहर, भारी मात्रा में देशी-विदेशी शराब बरामद
मधुबनी : पुलिस कप्तान डॉ० सत्यप्रकाश के निर्देश पर झंझारपुर एसडीपीओ आशीष आनंद के नेतृत्व में पुलिस ने आरएस ओ०पी० क्षेत्र के बेहट गांव से एक कारोबारी को शराब और बाइक के साथ गिरफ्तार किया है। उसके बाद एसडीपीओ श्री आनंद झंझारपुर थाना,अड़रिया ओ०पी० थाना,रुद्रपुर थाना और पुलिस लाइन से आये कांस्टेबल के साथ भैरवस्थान थाना क्षेत्र के रैयाम के पासवान टोला और मेहत गांव में छापेमारी कर भारी मात्रा में बनावटी शराब कुल 450 लीटर नष्ट किये। इतना ही नही अंग्रेजी शराब 22 पीस 08.250 लीटर और देशी शराब 80 लीटर बरामद किये।
आरएस ओ०पी० क्षेत्र के बेहट गांव से शराब कारोबारी पिता महेश मंडल के पुत्र रमेश मंडल के घर से शराब बरामद किये। इसके बाद भैरवस्थान के रैयाम गांव के पासवान टोला में लालटून पासवान,विल्टू पासवान,डोमा पासवान,विभिषण पासवान की पत्नी,आशिष पासवान,बौएलाल पासवान समेत पच्चीस कारोबारी के घर छापेमारी कर बनावटी शराब भारी मात्रा में नष्ट किया गया। वहीं जगदीश पासवान के पुत्र रमेश पासवान के घर से 22 पीस अंग्रेजी शराब 08.250 लीटर,गुड़ 60 किलो और पुलिस लिखा बाइक बरामद किया।
वहीं मेहत से जागेश्वर राम के पुत्र धनेश्वर राम के घर से लगभग 4 लीटर देशी शराब और बाइक गिरफ्तार हुआ है। वहीं तीनों कारोबारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।एसडीपीओ आशीष आनंद ने बताया कि शराब बेचने वालों की खैर नही, इसी तरह से लगातार विभिन्न थाना क्षेत्र में छापेमारी चलती रहेगी। शराब कारोबारी कारोबार करना छोड़ दे, नही तो जेल जाने के लिए तैयार रहे। दो दिनों में दो बड़ी छापेमारी कर पुलिस ने शराब कारोबारी में हड़कंप मचा दिये हैं। उक्त छापेमारी में सर्किल इंस्पेक्टर महफूज आलम,भैरवस्थान थानाध्यक्ष रुपक अम्बूज,झंझारपुर थानाध्यक्ष चन्द्रमनी,अड़रिया ओ०पी० प्रभारी जितेन्द्र सहनी और रुद्रपुर थानाध्यक्ष अशोक कुमार के आलावा कई पुलिस कर्मी उपस्थित थे।
आंगनबाड़ी केंद्रों का किया जायेगा सामाजिक अंकेक्षण, जन सहभागिता होगी सुनिश्चित
मधुबनी : जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों का सामाजिक अंकेक्षण किया जाएगा। इसको लेकर सभी केन्द्रों पर तैयारी करने का आदेश दे दिया गया है। आईसीडीएस के निदेशक ने पत्र जारी कर सभी जिला पदाधिकारी को निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि आगामी 21 दिसंबर को सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सामाजिक अंकेक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाये। सामाजिक अंकेक्षण में पोषक क्षेत्र के लोग जानकारी देंगे कि इस केन्द्र पर सरकार द्वारा संचालित किस-किस योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
उसके बाद उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास भेजी जाएगी। सामान्य जन की सहभागिता सुनिश्चित करने एवं सरकार के कार्यों में पारदर्शिता लाने हेतु समुदाय द्वारा स्वयं आईसीडीएस द्वारा संचालित योजनाओं का अंकेक्षण सामाजिक अंकेक्षण समिति के माध्यम से प्रत्येक केन्द्र पर कराने का आदेश दिया है।
मिलने वाली योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी देंगे :
आंगनबाड़ी केंद्रों का सोशल ऑडिट (सामाजिक अंकेक्षण) कराने की तिथि 21 दिसंबर निर्धारित की गई है। इस सोशल ऑडिट में आंगनबाड़ी क्षेत्र के लोग केंद्र पर मिलने वाली योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी देंगे। सोशल ऑडिट को लेकर जिला प्रोग्राम अधिकारी ने सभी केंद्रों पर तैयारी रखने का आदेश दिया है। सरकार ने सामाजिक अंकेक्षण केंद्र अथवा कोई सार्वजनिक स्थल पर करने का आदेश दिया है। सामाजिक अंकेक्षण उस केंद्र पर गठित सामाजिक अंकेक्षण समिति करेगी।
वार्ड सदस्य होंगे समिति के अध्यक्ष :
इस समिति में स्थानीय वार्ड के सदस्य को अध्यक्ष, पंचायत सचिव या विकास मित्र के सदस्य, योग्य महिला लाभार्थी की दो सदस्य, आशा कार्यकर्ता या एएनएम को सदस्य, समुदाय आधारित संस्था को सदस्य, समुदाय (शिक्षक, सेवानिवृत सरकारी कर्मी, आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के कुल चार अभिभावक जिसमें एक महिला एवं दो शिक्षक या सेवानिवृत सरकारी कर्मी) को सदस्य, किशोरी या सखी (सबला कार्यक्रम के तहत) को सदस्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग के दो सदस्य- इसमें एक महिला हो को सदस्य, महिला पर्यवेक्षिका को सदस्य तथा सेविका को संयोजक बनाया गया है।
इन बिन्दुओं पर होगी चर्चा :
आंगनबाड़ी केंद्रों पर सामाजिक अंकेक्षण में विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की जाएगी। जिसमें आंगनबाड़ी केंद्र संचालन में अनियमितता, बच्चों की उपस्थिति की समीक्षा, माह में कम से कम 25 दिनों तक लाभार्थियों को पूरक पोषाहार, टीएचआर की आपूर्ति की समीक्षा, बच्चों का टीकाकरण एवं पोषक की स्थिति की समीक्षा, कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों की समीक्षा, स्कूल पूर्व शिक्षा की क्रियाशीलता की समीक्षा, बाल कुपोषण मुक्त बिहार से संबंधित सामग्रियों की उपलब्धता एवं उनका उपयोग, आंगनबाड़ी केंद्रों पर स्थापित नियमों के आलोक में उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा (आधारभूत संरचना, स्वच्छ पेयजल, शौचालय, खेलने की जगह, स्कूल पूर्व शिक्षा किट्स, मेडिसिन किट्स, खाना बनाने एवं खाने हेतु बर्तन आदि सहित) की जाएगी।