16 दिसंबर : सारण की मुख्य खबरें

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विगत पांच सालों में टीकाकरण कार्य में हुआ काफी सुधार

छपरा : हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के द्वारा जारी आंकड़ा के अनुसार बच्चों के टीकाकरण में 25.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय परिवार हेल्थ सर्वे-4 (वर्ष 2015-16) के अनुसार जिले में 12-23 माह के 60.3 प्रतिशत बच्चों को पूर्ण टीकाकरण होता था जो कि वर्ष 2019-20 में बढ़कर 85.7 प्रतिशत हो गया।

ये आंकड़ें बता रहे हैं कि जिले में पूर्ण टीकाकरण में काफी सुधार आया है। साथ ही टीकाकरण को लेकर लोगों में जागरूकता भी आयी है। टीकाकरण बचपन में होने वाली 12 जानलेवा बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावशाली एवं सुरक्षित तरीका है। टीकाकरण बच्चे के रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाता है और उन्हें विभिन्न जीवाणुओं तथा विषाणुओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

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सरकारी अस्पतालों में 99.1 प्रतिशत बच्चों का हो रहा है टीकारकण:

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार जिले में 12 से 23 माह के 99.1 प्रतिशत के बच्चों का सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण हो रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार 91.1 प्रतिशत बच्चों का सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण होता था, जो अब बढ़कर 99.1 प्रतिशत हो गया है। इस तरह से इसमें 8 प्रतिशत की बढोतरी हुई है।

निजी अस्पतालों से हुआ मोहभंग:

जिले में निजी अस्पतालों टीकाकरण करवाने वाले लोगों में कमी आयी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार मात्र 0.9 प्रतिशत बच्चों का निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण हो रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 वर्ष 2015-16 के अनुसार 12-23 माह 5.9 प्रतिशत बच्चों का निजी अस्पतालों में टीकाकरण होता था जो कि घटकर 0.9 प्रतिशत हो गया है। इसमें 5 प्रतिशत की कमी हुई है। सरकारी अस्पतालों में टीके की बेहतर गुणवत्ता, मानक अनुरूप संग्रहण एवं महंगे टीकों का निःशुल्क वितरण लोगों का निजी अस्पतालों से मोह भंग करने में कारगर साबित हुआ है.

क्या है आंकड़ा (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5, वर्ष 2019-20) :

• जिले में 12-23 माह के 95.2 प्रतिशत बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया जा रहा है
• 12-23 माह के 75.7 प्रतिशत बच्चों को 3 डोजेज पोलिया की टीका लगाया जा रहा
• 12-23 माह के 89.1 प्रतिशत बच्चों को 3 डोज पेंटा और डीपीटी का टीका लगाया जा रहा
• 12-23 माह के 88.9 प्रतिशत बच्चों को प्रथम डोज मिजिल्स- कंटैनिंग का टीका लग रह
• 12-23 माह के 16.2 प्रतिशत बच्चों को 3 डोज रोटा वायरस टीका लगाया जा रहा
• 12-23 माह के 83.1 प्रतिशत बच्चों को 3 डोज पेंटा व हेपटाइटिस-बी का टीका लगाया जा रहा

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले साबित हो रहे चुनौतिपूर्ण

छपरा : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की रोकथाम देश के साथ राज्य के लिए भी चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है। इस महामारी में सरकारी महकमा प्रत्येक स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्र भी लंबे समय से बंद है, जिसके कारण बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं।

ऐसे में आईसीडीएस द्वारा संचालित प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) कार्यक्रम बच्चों की सेहत एवं शिक्षा का ख्याल उनके घर पर ही रख रही है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों की दैनिक गतविधियों को रचनात्मक बनाना है। बच्चों की आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नहीं जाने की दशा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर उन्हें ईसीसीई गतिविधियों की जानकारी भी दे रही है।

एक मिस्ड कॉल पर बच्चे सुन रहे दादी-नानी की कहानियाँ

कोरोना संकटकाल में छोटे बच्चों को साइको सोशल सपोर्ट देने के लिए एक अच्छी पहल शुरू की गई है। आईसीडीएस-यूनिसेफ और प्रथम बुक्स के तहत यह प्रयास किया गया है। ‘‘मिस्ड कॉल दो कहानी सुनो’’ गतिविधि के तहत एक फोन नंबर 08033094243 उपलब्ध कराया गया है, जिससे केवल एक मिस काल देकर छात्र अपने उम्र के अनुसार कहानियों का आनंद ले सकते है। कहानी दादी-नानी की आवाज के साथ ही बॉलिवुड की सेलिब्रिटीज की आवाज में भी है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि बच्चों में पढ़ने और सुनने की संस्कृति को विकसित करना है। कोरोना संकट में स्कूल बंद है ऐसी स्थिति में छोटे बच्चों के मन में कई तरह के सवाल आते हैं। इन कहानियों के जरिए बच्चों को साइको सोशल सपोर्ट देने की कोशिश की जा रही है।

गतिविधि कैलेंडर के विषय में माताओं को किया जा रहा जागरूक :

बच्चों की बेहतर दैनिक दिनचर्या एवं उन्हें रचनात्मक कार्यों में संलग्न करने के उद्देश्य से गतिविधि कैलेंडर जारी किया गया है एवं आईसीडीएस के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को यह कैलेंडर व्हाट्सएप एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सभी महिला पर्यवेक्षकाओं एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को भेजने के निर्देश दिए गए हैं ताकि आंगनबाड़ी सेविकाएँ गृह-भ्रमण के दौरान बच्चों के माता-पिता को दैनिक गतिविधि कैलेंडर के विषय में जानकारी दे सकें और माता-पिता आसानी से अपने घरों में बच्चों के साथ गतिविधि कर सके।

मनोरंजन के साथ शिक्षा :

आईसीडीएस के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में ईसीसीई गतिविधियों की उपयोगिता बढ़ी है। आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने के कारण बच्चे घर पर हैं। ऐसे में यह जरुरी है कि बच्चे खेल के माध्यम से भी शिक्षा ग्रहण करते रहें एवं उनका प्रारंभिक देखभाल घर पर ही सुनिश्चित किया जा सके। इस दिशा में ईसीसीई कैलेंडर काफ़ी प्रभावी साबित हो रहा है। इसमें पूरे महीने बच्चों के लिए विभिन्न गतिविधियों की चर्चा की गयी है। इससे बच्चे मनोरंजन के साथ पढेंगे भी।

दैनिक कैलेंडर में इन बातों को किया गया है शामिल :

दैनिक गतिविधि कैलेंडर यूनिसेफ एवं आईसीडीएस बिहार के संयुक्त सहयोग से निर्मित की गयी है. कैलेंडर में नियमित दिनचर्या में बच्चों के लिए मनोरंजक, स्वास्थ्यकर एवं खेल-कूद जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया है। इस महामारी के दौरान बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं।

इसलिए बच्चों से बात करने के क्रम में माता-पिता का सकारत्मक दृष्टिकोण और ईमानदार रहना बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें माता-पिता एवं देखभाल करने वाले महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। दैनिक कैलेंडर में नियमित व्यायाम, खेल-कूद, चित्र बनाना, कहानी सुनाना, गीत गाना एवं रोल प्ले आदि क्रियाओं को उत्साहवर्धक बनाया गया है ताकि बच्चे यह महसूस कर सकें कि वह एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण में हैं।

टॉल फ्री नंबर पर लें जानकारी :

आईसीडीएस निदेशालय ने आम जनता को पोषण और प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। कोई भी व्यक्ति टॉल फ्री नंबर 18001215725 पर फ़ोन कर पोषण और प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) से जुड़ी जानकारियां घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं। पोषण के बारे में जन-जागरूकता के लिए यह टॉल फ्री नंबर जारी किया गया है।

इस निःशुल्क हेल्पलाइन नंबर से बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं, किशोर-किशोरियों समेत पूरे परिवार के पोषण की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। साथ ही इस हेल्पलाइन पर बच्चों के जीवन में शुरूआती वर्षों के महत्व, बच्चों के मस्तिष्क विकास की प्रकिया एवं प्रभावित करने वाले कारकों, प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा की अवधारणा एवं महत्व और 3-6 वर्ष के आयु के बच्चों की वृद्धि एवं विकास से जुड़ी हर जानकारी भी उपलब्ध है।

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