पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही एनडीए की सरकार बनी हो लेकिन एनडीए में शामिल सबसे बड़ी पार्टी जदयू की इस बार बहुत ही खराब रही। जदयू को किसी भी तरह 43 सीटों पर जीत हासिल हुई पर इन सीटों पर भी हार और जीत का अंतर बहुत कम रहा। इसी कड़ी में अब जदयू हारे हुए क्षेत्रों में में जाकर इसका कारण जानने की कोशिश में आज से लग जाएगी।
हार का कारण समझने और इसकी समीक्षा करने का आदेश
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने प्रदेश इकाई को हार का कारण समझने और इसकी समीक्षा करने का आदेश दिया है। इसके बाद अब पार्टी के सभी क्षेत्रीय प्रभारियों को उन सीटों पर जाने का निर्देश दिया गया है जहां जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार हार गए। 12 दिसंबर से लेकर 22 दिसंबर तक के जेडीयू के सभी क्षेत्रीय प्रभारी अपने अपने प्रभार वाले विधानसभा क्षेत्र में जाएंगे और वहां हार की समीक्षा करेंगे।क्षेत्रीय प्रभारियों को यह जिम्मा दिया गया है कि वह हार वाली सीटों पार्टी की खस्ताहाल स्थिति क्यों हुई इसकी जानकारी लें।
क्षेत्रीय प्रभारी को कहा गया है कि वह जाकर सांगठनिक और राजनीतिक दोनों तरह के कारणों की पड़ताल करें। इतना ही नहीं क्षेत्रीय प्रभारी बूथवार मिले वोटों का आंकड़ा भी उठाएं और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर यह समझने की कोशिश करें कि चुनाव में कौन सा फैक्टर हावी रहा। इसके बाद जनता दल यूनाइटेड क्षेत्रीय प्रभारियों से मिले फीडबैक के बाद आगे की रणनीति तय करेगा।
राजनीतिक जानकारों की माने तो इस बार के चुनाव में जदयू का परफॉर्मेंस खराब करने के पीछे का कारण लोजपा और नीतीश कुमार को लेकर एंटी इनकंबेंसी भी रही। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि जनता नीतीश कुमार के चेहरे से ऊब चुकी है इस कारण इस बार वोट भाजपा के नाम पर जदयू को पड़ा है। इसलिए अगर नीतीश कुमार को फिर से अपना वर्चस्व प्राप्त करना है तो इस बार उन्हें हर क्षेत्र में जमीनी स्तर से विकास करना होगा।