‘कांग्रेस ने जिस एपीएमसी एक्ट को हटाने का वादा किया, उसी के समर्थन का ढोंग कर रही’
कृषि बिल वापस लेने को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बीच बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने ब्लॉग के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अपनी बात की शुरुआत दो उदाहरणों से करता हूं। पंजाब से कांग्रेस के एक सांसद हैं-रवनीत सिंह बिट्टू। उन्होंने हाल ही में एक टी.वी. चैनल से बातचीत में दावा किया कि नए कृषि कानूनों से देश के किसानों को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि गूगल से लेकर व्हाट्सप्प जैसी दिग्गज आइटी कंपनियों को लाभ होगा।
नए कानून से बस किसानों को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करने की कोशिश
इसी कांग्रेस के एक पूर्व अध्यक्ष हुआ करते हैं राहुल गांधी। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने घोषणापत्र में इसी पार्टी ने एपीएमसी एक्ट को हटाने का वादा किया था। यह उनके घोषणा पत्र के पृष्ठ संख्या 17 पर देखा जा सकता है। आज कांग्रेस के वही पूर्व अध्यक्ष और उनके चेले पानी पी-पीकर किसान संबंधी कानूनों की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
अब, एक बार दिल्ली की सीमाओं पर राशन-पानी और बड़े-बड़े तंबू-कनात लेकर हाजिर लोगों को देखिए। क्या वह सभी किसान हैं? अगर नहीं, तो वे कौन हैं? दरअसल उनमें सर्वाधिक संख्या खाए,अघाए लोगों की हैं, जिनको कांग्रेस और उसी तरह के कई दल समर्थन दे रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर खुद मैं भी, कई बार किसान-कानून पर स्थिति साफ कर चुके हैं। जिस एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को बहाना बनाकर ये लोग दिल्ली की घेरेबंदी कर रहे हैं, वह जस का तस है, नए कानून से बस किसानों को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करने की कोशिश हो रही है,यह किन लोगों को और किस वजह से मंजूर नहीं हैं, यह जानने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है।
हुड़दंग और हुल्लड़पने से नहीं झुकेगी सरकार
नए कृषि-कानून बाकायदा संसद में बहस के बाद पारित हुए हैं। वहां जितनी बहस होनी थी, वह हो चुकी है। अब संसद से पारित एक कानून को इस तरह से बदनाम करने और उसे वापस लेने की मांग कितनी अव्यावहारिक है, यह सोचा जा सकता है। इन सबके बावजूद सरकार दिल्ली की सीमा पर जमे लोगों से बातचीत को तैयार है, लेकिन वह समस्या का समाधान निकालना चाहती है, हुड़दंग और हुल्लड़पने से झुकेगी नहीं।
सत्ता का खून न मिले तो बौखलाहट में कुछ भी कर सकती है कांग्रेस
आपलोगों को याद ही होगा, कुछ दिनों पहले सीएए के पारित होने के बाद कांग्रेस के लोगों ने यह अफवाह फैला दी कि वह बिल एक समुदाय के विरोध में है। उसके बाद पूरे देश ने देखा कि किस तरह से दो महीनों के लिए दिल्ली की एक सड़क को अवरुद्ध कर दिया गया, शाहीन बाग में किस तरह से देश-विरोधी नारे लगे, इसके नेताओं ने किस तरह चिकेन-नेक को काटने तक की बात की, अलगाववादी धमकियां दीं। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री सोते रहे और दिल्ली में बम, पेट्रोल और न जाने क्या-क्या घरों की छतों पर जमा हुआ, दंगे हुए जिसमें करोड़ों की संपत्ति और कीमती जिंदगियां नष्ट हो गयीं।
क्या राहुल गांधी और उनके अलंबरदार यही चाहते हैं, क्या सत्ता की उनकी भूख इतनी गहन और सघन हो चुकी है कि वह देश के टुकड़े तक करने पर आमादा हैं। कांग्रेस दरअसल उस जोंक का नाम है, जिसे सत्ता का खून न मिले तो बौखलाहट में वह कुछ भी कर सकती है। हम सभी जानते हैं कि देश ने पिछले लोकसभा चुनाव में 2014 से भी अधिक प्रचंड बहुमत नरेंद्र मोदी को दिया है। जनता का उनके प्रति प्रेम और विश्वास ही वह फांस है जो विरोधियों के कलेजे में तीरे-नीमकश की तरह गड़ी हुई है।
भारतमाता को जरूर बचाएंगे, जरूर कामयाब होंगे
नए कानूनों के बाद महाराष्ट्र के किसानों ने मंडी के बाहर 10 करोड़ से अधिक का व्यापार किया है, तो म.प्र. और राजस्थान के किसान भी एक सुर से इन कानूनों की प्रशंसा कर रहे हैं। यहां तक कि जो आंदोलनकारी दिल्ली-सीमा पर जमे हैं, उनमें से भी एक धड़ा सच्चाई जान रहा है, उनको भी मालूम है कि नुकसान केवल बिचौलियों का है। आकाशवाणी जयपुर से बात करते हुए बारां के अंता किसान उत्पादक संघ (जयपुर) के सीइओ मोहम्मद असलम ने भी कहा कि उनकी संस्था अब सीधा किसानों से खरीद कर रही है और कुल 40 करोड़ का सोयाबीन उन्होंने खरीदा है। बिचौलियों के खत्म होने से अब हिमाचल के सेब उत्पादकों को भी फायदा मिल रहा है। इस तरह के कई उदाहरण हैं, लेकिन यहां मैंने एकाध ही गिनाए हैं, क्योंकि फायदे गिनाने पर आ जाऊं तो न जाने कितने पन्ने भरने पड़ेंगे।
हम सभी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व और प्रदर्शन पर इस देश की जनता का पूरा भरोसा है। कुछ परिवारों, यथा दिल्ली में नकली गांधी परिवार और बिहार में लालू प्रसाद का परिवार इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं। समय-समय पर वे इस सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, वे इस बात को जान लें कि धैर्य की भी सीमा होती है, भगवान श्रीराम ने भी समुद्र का तीन दिन अनुनय-विनय किया था, लेकिन फिर अपना शरासन उठा ही लिया।
किसान आंदोलन की आड़ में जो भी पार्टी या नेता इस देश को अस्थिर करना चाहते हैं, उनके लिए यह चेतावनी सीधे तौर पर है। भारत विकास और प्रगति की राह पर निकल चुका है, इसको हिलाने की साज़िश कामयाब नहीं होगी। समयानुसार साम, दाम, दंड और भेद का आश्रय लेकर भारतमाता को हरेक तरह के हमले से हम जरूर बचाएंगे, जरूर कामयाब होंगे