किसान आंदोलन के पीछे कनाडा, संशोधन की पेशकश ठुकराना दुर्भाग्यपूर्ण : मोदी

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file photo

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार तीन कल्याणकारी कृषि कानून लागू करने के बाद विपक्षी दलों की ओर से पैदा की गई कल्पित आशंकाओं और दुष्प्रचारों का लगातार पूरी जिम्मेदारी के साथ निराकरण करती रही, इसके बावजूद पंजाब-हरियाणा को उकसा कर टकराव की स्थिति पैदा करना दिल्ली की जनता के साथ एक संगठित अन्याय है।

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एमएसपी, मंडी व्यवस्था की मजबूती और ठेका खेती में विवाद की स्थिति में सीधे कोर्ट जाने की अनुमति जैसे कई मुद्दों पर कानून में संशोधन की पेशकश के बावजूद किसान नेता केवल तीनों कानून को रद करने की जिद पर अडे हैं।

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सुमो ने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने घरेलू राजनीति चमकाने के लिए दिल्ली में जारी किसान आंदोलन का समर्थन कर राजनयिक मर्यादा का हनन किया। भारत ने इस पर कडा प्रतिवाद भी किया। दूसरी ओर कनाडा विश्व व्यापार संगठन के फोरम पर भारत में किसानों को एमएसपी और अन्य सहायताएं देने का सबसे मुखर आलोचक है।

कनाडा का दोहरा चरित्र जाहिर करता है कि किसान आंदोलन के पीछे कैसी-कैसी ताकतें काम कर रही हैं। कांग्रेस या किसी किसान नेता ने अब तक हमारे आंतरिक मामलों में कनाडा के हस्तक्षेप की निंदा क्यों नहीं की?

सुशील मोदी ने कहा कि उत्तर बिहार के दर्जन भर जिलों में प्राय: हर साल किसान बाढ से पीडित होते हैं, इसलिए एनडीए सरकार ने किसान सम्मान निधि के अलावा 6 हजार रुपये की बाढ सहायता भी सीधे उनके खाते में भेजी। राज्य की एनडीए सरकार ने ही पहली बार कृषि रोड मैप लागू किया। केंद्र के कृषि कानून से बिहार के किसान संतुष्ट हैं, इसलिए राज्य में सत्ता विरोधी लहर नाकाम रही।

जिन लोगों ने न किसानों के लिए कोई काम किया, न बाढ सहायता दी और न ही उनके बीच राहत सामग्री बांटी, वे किसानों को गुमराह करने के लिए धरना-प्रदर्शन-बंद जैसे उपाय से केवल चुनावी पराजय की अपनी झेंप मिटा रहे हैं।

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