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काव्य संग्रह ‘चमेली के फूल’ का ऑनलाइन लोकार्पण 6 दिसंबर को

नवादा : मंत्रिमंडल सचिवालय राजभाषा विभाग, बिहार के द्वारा 2019-20 के लिए पांडुलिपि प्रकाशन अनुदान योजना के अंतर्गत चयनित एवं प्रकाशित काव्य संग्रह ‘चमेली के फूल’ का लोकार्पण 0 6 दिसंबर को ऑनलाइन किया जाएगा।
काव्यकार डॉ. गोपाल निर्दोष ने बताया कि इस काव्य संग्रह का लोकार्पण देश के चार दिशाओं पूरब से डॉ. मिथिलेश कुमार सिन्हा, पश्चिम से पंकज त्रिवेदी, उत्तर से गणेश गनी एवं दक्षिण से डॉ. रज़िया बेगम जैसे चार सुख्यात प्राध्यापक, कवि, आलोचक एवं संपादक के कर कमलों के द्वारा किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण अघोषित लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक का लोकार्पण ऑनलाइन किया जाएगा। जिसका लिंक जल्द ही शेयर किया जाएगा। विदित हो कि नागालैंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. मिथिलेश कुमार सिन्हा अंग्रेजी एवं हिन्दी में आधा दर्जन काव्य पुस्तकों की रचना कर चुके हैं। कई सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त पंकज त्रिवेदी गुजरात जैसे अहिंदीभाषी प्रदेश में रहकर लगातार कई पुस्तकों की रचना करते हुए संपादन एवं भाषांतरण भी कर रहे हैं। देश के कई ख्यातिलब्ध पत्रिकाओं में छप चुके गणेश गनी हिन्दी साहित्य के गद्य एवं पद्य को अपनी कई उल्लेखनीय पुस्तकों से समृद्ध कर रहे हैं।

जबकि चेन्नई के साइंस एंड टेक्नॉलॉजी इंस्टीच्यूट में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत डॉ. रज़िया बेगम सुदूर दक्षिण में अपनी कई पुस्तकों, कहानियों, कविताओं, शोध आलेखों, पत्रिकाओं, प्रकाशन आदि के माध्यम से हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि काव्य संग्रह ‘चमेली के फूल’ के लोकार्पण कार्यक्रम की संचालक भी डॉ. रज़िया बेगम ही हैं। इस तरह से देश के चार दिशाओं के साहित्यकारों से अपने इस काव्य संग्रह ‘चमेली के फूल’ का लोकार्पण कराने के बहाने से डॉ. गोपाल निर्दोष ने नवादा के साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर चतुर्दिक प्रचार-प्रसार करने का कार्य कर रहे हैं। इनके इस कार्य से जिले के निवासी काफी उत्साहित हैं।

विशेष ध्यातव्य ये है कि नवादा को साहित्य जगत में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए किशोरावस्था से ही सक्रिय कवि, कथाकार एवं आलोचक डॉ. गोपाल निर्दोष की सैंकड़ों कहानियाँ, कविताएँ, आलेख, समीक्षा आदि हंस, नया ज्ञानोदय, इन्द्रप्रस्थ भारती, अक्षर पर्व, विभोम स्वर, विश्वगाथा, नई धारा, आधुनिक साहित्य, मरुतृण, समहुत जैसी राष्ट्रीय स्तर की कई पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी है। डॉ. गोपाल निर्दोष वर्ष 2016 से आलोचना, निबंध संग्रह, कहानी संकलन एवं काव्य संग्रह के रूप में अब तक पाँच उल्लेखनीय पुस्तकों जयनंदन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, नाइंसाफियों से मुठभेड़ के कलमकार, कथा नवादा, चमेली के फूल एवं पारस परस की रचना कर चुके हैं। उनकी छठी पुस्तक प्रेस में जा चुकी हैं जबकि सातवीं पुस्तक भी पूरी होने को है।