पटना : कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान के लिए सूर्योदय के पूर्व से ही उमड़ी भीड़, भक्ति और संस्कृति का विश्व भर में अद्भुत उदाहरण है। गंगा करोड़ों के ह्रदय में बसती है। हालांकि गंगा मां वर्तमान में संकट की स्थिति में है। इस संकट का मुख्य कारण हमारा व्यवहार भी है। हालांकि हर बार कार्तिक पूर्णिमा के इसमें सुधार को एक अवसर लेकर आती है और चली जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। यदि इन लाखों लोगों की भीड़ में शामिल लोगों की मन मस्तिष्क में गंगा व जल संरक्षण की बात बैठा दिया जाए तो बहुत बड़ा काम हो सकता है।
लेकीन चेतना जागरण के इस अवसर का लाभ उठाने का प्रयास ना तो सरकार की ओर से की जा रही है, ना ही किसी समाजिक संगठनों की ओर से । उलटे इसके विपरित गंगा बालू का खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसके कारण भी गंगा धीरे धीरे दूर होती जा रही है।
इसके कारण पटना के अंटा घाट में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने आने वाले लोगों को खासा तकलीफ का सामना कारण पड़ रहा है। वर्तमान में बिहार में नदियों की जो हालत है उसके अनुसार बिहार की कोई भी नदी अपने पुराने मार्ग से न बह कर दूर जा कर बढ़ रही है। इसके साथ ही गंगा स्नान के लिए आने वाले लोगों द्वारा भी गंगा में कचरा डालने के कारण गंगा दूर होती जा रही है।
अब देखना यह होगा कि किस प्रकार सरकार द्वारा गंगा व जल संरक्षण की बातें लोगों के मन मस्तिष्क तक पहुंचाया जाता है।