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टीका हर व्‍यक्ति तक पहुंचें यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कोविड-19 प्रतिक्रिया एवं प्रबंधन की तैयारियों और स्थिति की समीक्षा के लिए सभी राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में आठ राज्‍यों पर मुख्‍य रूप से ध्‍यान केन्द्रित किया गया, जिसमें हरियाणा, दिल्‍ली, छत्‍तीसगढ़, केरल, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। बैठक के दौरान कोविड-19 टीका आपूर्ति, वितरण और टीकाकरण की व्यवस्था के तौर-तरीके पर चर्चा हुई।

स्‍वास्‍थ्‍य अवसंरचना में वृद्धि करना

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने इस महामारी का सामना समन्वित प्रयासों से किया और रोगी के ठीक होने की दर तथा मृत्‍यु दर के मामले में भारत की स्थिति अन्‍य ज्‍यादातर देशों से बहुत बेहतर है। उन्‍होंने जांच और उपचार नेटवर्क के व्‍यापक विस्‍तार की चर्चा की और कहा कि पीएम केयर फंड का मुख्‍य जोर ऑक्‍सीजन मुहैय्या कराने पर रहा है। उन्‍होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्‍पताओं को ऑक्‍सीजन उत्‍पादन के मामलों में आत्‍मनिर्भर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं और 160 से ज्‍यादा नये ऑक्‍सीजन संयंत्र लगाने की प्रक्रिया चल रही है।

लोगों की प्रतिक्रिया के चार स्‍तर

यह बताते हुए कि महामारी के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया को समझना बेहद जरूरी है, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे चार स्‍तरों पर समझा जा सकता है। पहला, आशंका का माहौल था, जब लोगों में दहशत भर गई। दूसरे स्‍तर पर, इस वायरस के संबंध में आशंकाएं पैदा हुई, जब बहुत से लोगों ने इस बात को छुपाने का प्रयास किया कि वो इससे संक्रमित हो चुके हैं। तीसरा स्‍तर, इसे स्‍वीकार करने का था, जब लोगों ने इस वायरस के प्रति अधिक गंभीर रूख अख्तियार किया, जब उन्‍होंने बेहद सतर्कता का व्‍यवहार दर्शाया। चौथे स्‍तर पर, रोगियों के ठीक होने की बढ़ती दर के चलते, लोगों ने वायरस से सुरक्षित होने की एक भ्रामक धारणा बना ली, जिससे लापरवाही के कारण मामले बढ़े।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि चौथे स्‍तर पर इस वायरस से संक्रमण की गंभीरता के बारे में जागरूकता बढ़ाना सबसे महत्‍वपूर्ण काम है। उन्‍होंने कहा कि जिन देशों में शुरुआती चरण में महामारी का असर और प्रसार बहुत कम था, वहां इस तरह इसके प्रसार का जैसा रूख अब दिख रहा है, वैसा ही रुख हमारे कुछ राज्‍यों में भी दिखाई दे रहा है, इसलिए हमारे प्रशासन को कहीं ज्‍यादा सतर्कता और तत्‍परता से काम करने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आरटी-पीसीआर टेस्‍ट बढ़ाया जाना, रोगियों खासतौर से घर में आइसोलेट हो रहे लोगों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करना, गांवों और सामुदायिक स्‍तर पर स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल केन्‍द्रों को सभी सुविधाओं से लैस करना और वायरस से सुर‍क्षा के लिए जागरूकता अभियान चलाते रहना बेहद जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि हमारा लक्ष्‍य मृत्‍यु दर को एक प्रतिशत से भी नीचे लाना होना चाहिए।

सहज, व्‍यवस्थित और सतत टीकाकरण सुनिश्चित करना

प्रधानमंत्री ने आश्‍वस्‍त किया कि सरकार टीके के विकास के काम पर करीबी नजर रख रही है और वह टीके का विकास और उत्‍पादन करने वाले भारतीयों के साथ-साथ वैश्विक नियामकों, अन्‍य देशों की सरकारों, बहुपक्षीय संस्‍थानों और अंतर्राष्‍ट्रीय कंपनियों के सम्‍पर्क में है। उन्‍होंने कहा कि इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि हमारे नागरिकों के लिए जो टीके आएं, वे अनिवार्य वैज्ञानिक मापदंड पर खरे उतरें।

उन्‍होंने इस बात को रेखांकित किया कि जैसे कोविड के खिलाफ हर व्‍यक्ति के जीवन की सुरक्षा पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है, उसी तरह यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होगी कि टीका हरेक व्‍यक्ति तक पहुंचें। सरकारों को सभी स्‍तरों पर यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि टीकाकरण अभियान सहज, व्‍यवस्थित और सतत आधार पर चलाया जाए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि टीकाकरण में प्राथमिकता तय करने का काम राज्‍यों की सलाह से पूरा किया जाएगा। अतिरिक्‍त शीत गृह भंडारण संबंधित जरूरतों पर भी राज्‍यों के साथ मशविरा किया गया। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि बेहतर नतीजे पाने के लिए राज्‍य स्‍तरीय संचालन समितियों और राज्‍य एवं जिला स्‍तरीय कार्य बलों की नियमित निगरानी की जाए।

प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि अभी तक का अनुभव बताता है कि टीके से जुड़ी बहुत सी भ्रामक कथाएं और अफवाहें फैलती है। टीके के दुष्‍प्रभावों के बारे में अफवाहें फैलाई जा सकती है। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि टीके के विषय में ज्‍यादा से ज्‍यादा जागरूकता फैलाकर और नागरिक समाज, एनसीसी और एनएसएस के छात्रों तथा मीडिया की मदद लेकर इन अफवाहों से प्रभावी रूप से निपटा जा सकता है।