अंतरराष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान के दूसरे चरण की होगी शुरुआत
– एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा पिलाई जाएगी दवा
– 6.88 लाख से अधिक बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का है लक्ष्य
– 5 वर्ष तक के बच्चों को जरूर दें “दो बूंद जिंदगी की”
मधुबनी : बच्चों में विकलांगता होने के कारणों में पोलियो की भूमिका प्रमुख होती है। इसे ध्यान में रखते हुए 29 नवंबर से 3 दिसंबर तक पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान का दूसरा चरण चलाया जाएगा। इससे पूर्व 11 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक पोलियो अभियान चलाया गया था। अभियान में 6.88 लाख बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया कि पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जो किसी व्यक्ति के शरीर को लकवाग्रस्त कर देता है. छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है, इसलिए उसे इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है. इसे होने से पहले ही खत्म कर देने के लिए 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाएगी. सिविल सर्जन ने जिले के सभी परिजनों से अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें पोलियो की दवा पिलाकर अभियान को सफल बनाने में सहयोग करने की अपील की .
हर बच्चा पिये दवा, टीम है पूरी तरह तैयार :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एस के विश्वकर्मा ने बताया पल्स पोलियो अभियान के तहत 29 नवंबर से 5 दिनों तक चलने वाले चक्र में जिले के 8.12 लाख घरों के 6.99 लाख बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाना सबसे पहला लक्ष्य है। तथा अभियान के लिए 25,059 नए बच्चों को भी चिन्हित किया गया है. अभियान के सफलता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा एचटीएच टीम-1953, टीटी टीम 362, मोबाइल टीम-116, सुपरवाइजर- 708, का गठन किया गया है। प्रत्येक दल में एक आशा और एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं जो घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की दवा पिलएंगी, दवा पिलाने के बाद बच्चों के और उनके माता -पिता का नाम, गृह संख्या आदि फार्म में भर कर अपने केंद्र में जमा करवाएँगी। उन्होंने बताया इन दलों के पर्यवेक्षण के लिए 708 सुपरवाइजर भी नियुक्त किए गये हैं। सभी सदस्यों को कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मास्क, सैनिटाइजर आदि उपलव्ध करा दिये गये हैं।
खतरनाक लकवाग्रस्त बीमारी है पोलियो :
डीआईओ डॉ. विश्वकर्मा ने बताया कि पोलियो एक खतरनाक लकवाग्रस्त वायरस जनित रोग है. बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उसे पोलियो का खतरा ज्यादा है.यह बीमारी विशेष रूप से रीढ़ के हिस्सों व मस्तिष्क को ज्यादा नुकसान पहुँचता है. इससे बचाव के लिए लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा जरूर पिलानी चाहिए. पोलियो ड्रॉप बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाए रखता है. उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया समेत भारत को 2014 से ही पोलियो मुक्त घोषित किया गया है, पर आस-पड़ोस के देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देश अभी भी पोलियो से ग्रसित है. वहां से आने वाले लोगों द्वारा यह भारत में भी फैल सकता है. इसलिए हमें सावधान रहना जरूरी है जिसके लिए अभियान चलाया जा रहा है.
कोविड संक्रमण से बचाव का रखा जाएगा ध्यान :
यूनिसेफ एजेंसी प्रमोद कुमार झा ने बताया कि पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के दौरान कोविड संक्रमण से बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा. कर्मियों द्वारा दवा पिलाने के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बच्चों को ड्रॉप पिलाने के बाद हाथ में मार्कर से किसी तरह का निशान नहीं लगाया जाएगा. स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से मास्क व ग्लव्स का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया है.