भारत बना नवीनीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के लिए पसंदीदा स्थान- आरके सिंह
पिछले 6 वर्षों में भारत में हुआ 4.7 लाख करोड़ रुपए का निवेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 26 नवंबर को वर्चुअल तीसरे ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टमेंट मीटिंग एंड एक्सपो (री-इन्वेस्ट 2020) का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर यूके (यूनाइटेड किंगडम) के व्यवसाय, ऊर्जा और औद्योगिक रणनीति मंत्री और सीओपी-26 के प्रेसिडेंट तथा डेनमार्क के ऊर्जा, जलवायु और उपयोगिता मंत्री उपस्थित रहेंगे और उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया है कि तीसरा री-इन्वेस्ट सम्मेलन 2015 और 2018 में हुए पहले दो संस्करणों की सफलता को आगे बढ़ाएगा और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश संवर्धन के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराएगा। यह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सतत ढंग से नवीकरणीय ऊर्जा के विकास तथा उसको बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता से भी अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा समुदाय को अवगत कराएगा।
आरके सिंह ने बताया कि पिछले 6 वर्षों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता में ढाई गुना की बढ़ोतरी हुई है। सौर ऊर्जा क्षमता 13 गुना बढ़ गई है। हमारी विद्युत उत्पादन क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी भी बढ़कर 136 गीगावॉट या हमारी कुल क्षमता का 36% हो गई है। 2022 तक यह हिस्सेदारी और बढ़कर करीब 220 गीगावॉट होने की उम्मीद है। भारत में पिछले 6 वर्षों के दौरान लगभग 4.7 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है और भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के मामले में एक पसंदीदा गंतव्य बन गया है। भारत में 2030 के लिए नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की योजनाएं प्रतिवर्ष एक लाख करोड़ रुपए के निवेश का बेहतरीन अवसर हैं।
कृषि क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका का उल्लेख करते हुए मंत्री ने बताया कि पीएम-केयूएसयूएम योजना के अंतर्गत 20 लाख डीजल पंपों को एकल सोलर पंप से प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य है। इसके अलावा ग्रिड से जुड़े 15 लाख पंपों को सौर ऊर्जा से संबंद्ध करने औरअगले 4 वर्षों के भीतर किसानों की गैर कृषि भूमि में 10 गीगावॉट विकेंद्रित सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की जाएगी। इसके अतिरिक्त योजना के अंतर्गत कृषि फीडरों के सौर ऊर्जाकरण की पहल भी की जा रही है। इससे राज्यों पर अनुदान का के बोझ में काफी कमी आएगी।
आरके सिंह ने कहा कि देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए “इज ऑफ डूइंग बिजनेस” का लाभ सुनिश्चित करने और आने वाली चुनौतियों का सामना करने के उद्देश्य सेसरकार ने सुविधा प्रदान करने संबंधी अनेक नीतिगत कदम उठाए हैं। री-इन्वेस्ट इस प्रक्रिया मैं भी एक कदम है जो कि सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के संबंध में सूचनाएं देगा और उद्योग, निवेशक तथा अन्य के मिलकर काम करने की प्रक्रिया को गति प्रदान करेगा जिससे कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाया जा सके।