आज इस समय निकलेगा चांद, करवाचौथ पर सर्वार्थसिद्धि योग में बन रहे 4 शुभ मुहूर्त
पटना : आज सुहागिन महिलाओं के लिए करवाचौथ व्रत का खास दिन है। इस व्रत में अपने पति की लंबी आयु और अखंड सुहाग के लिए महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं तथा चंद्रोदय के बाद विधिपूर्वक पूजन करके चांद को अर्घ्य देती हैं। इस दिन महिलाएं बड़े ही श्रद्धा भाव से शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश के साथ चांद की भी पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार पति को चलनी से चांद की तरह निहारने के बाद ही महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। आज करवाचौथ के दिन सर्वार्थसिद्धि योग में 4 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। आइए जानते हैं कि क्या है व्रत रखने की विधि, कब दिखेगा चौथ का चांद और क्या—क्या हैं शुभ मुहूर्त।
करवा चौथ के दिन के शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त दोपहर- 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- कोई नहीं है।
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 6 बजकर 35 मिनट से 5 नवंबर सुबह की सुबह 04 बजकर 51 मिनट तक।
अमृत काल- शाम 07:10 से 08 बजकर 55 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त-5 नवंबर सुबह 4 बजकर 52 मिनट से 5 बजकर 44 मिनट तक।
चांद निकलने का समय
चौथ तिथि – सुबह 3:24 से 5 नवंबर सुबह 5:14 तक
चंद्रमा का उदय – 4 नवंबर रात 8.16 से 8:52 तक।
करवा चौथ की व्रत कथा
एक साहूकार के सात पुत्र और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी। वह सबकी लाडली थी और सभी भाई उसे बहुत मानते थे। विवाह के बाद एक दिन जब वीरावती मायके आई तो उसने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा। लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो गई। रात को जब सभी भाई खाना खाने बैठे तब उन्होंने बहन से भी खाने का आग्रह किया, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का व्रत है और चांद को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा सकती है। बहन को भूख से व्याकुल देख भाइयों ने नगर से बाहर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख दिया। दूर से देखने पर प्रतीत हो रहा था कि चांद निकल आया है। इसके बाद एक भाई ने वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम अर्घ्य देकर भोजन कर सकती हो। वीरावती अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ गई। व्रत भंग होने के कारण भगवान अप्रसन्न हो गए और जैसे ही वीरावती ने मुंह में भोजन का पहला टुकड़ा डाला, तो उसके पति की मृत्यु का समाचार मिला।
इसके बाद वीरावती को उसकी भाभियों ने सच्चाई से अवगत कराया और बताया कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इसके बाद एक बार इंद्रदेव की पत्नी इंद्राणी धरती पर आईं तो वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा। वीरावती ने पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा जिससे भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वीरावती को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया।