पटना : पद्मश्री उषकिरण खान ने कहा कि मैथिली भाषा का साहित्य बहुत ही समृद्ध है। मैथिली भाषा की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि मैथिली साहित्य और मैथिली संस्कृति दोनों ही बेजोड़ है। भाषा वह माध्यम है जिससे हम बड़ी आसानी से जुड़ जाते हैं। भाषा से हम अपने जड से जुड़ जाते हैं और इसी से पहचाने भी जाते हैं। मैथिली भाषा की पहुंच तो हर जगह तक हो गई है लेकिन आम जनमानस तक नही पहुंचकर चंद लेखकों और साहित्यकारों तक सिमटकर रह गई है।मैथिली और हिंदी साहित्य पर समान पकड़ रखनेवाली उषा जी ने अपनी मैथिली पुस्तक “भामती” का जिक्र करते हुए कहा कैसे उन्होंन इस पुस्तक के सभी पात्रो कोैं बदलते हुए सामाजिक परिदृश्य के साथ समायोजन किया है।वाचस्पति मिश्र की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि वाचस्पति मिश्र जैसे उद्भट विद्वान भारत में कभी कभी ही जन्म लेते हैं। सबसे खास बात है कि वो मिथिला के रहनेवाले थे।इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथियों के अलावे वरिष्ठ पत्रकार केशव किशोर भी उपस्तिथ थे।केशव किशोर ने कहा कि हम सब यही चाहते हैं कि मिथिलाभाषा का विकास हो और यह जन जन की भाषा बने।प्रभा खेतान फाउंडेशन मसि और श्री सीमेंट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय साहित्य और भाषा को बढ़ावा देना है।
(मानस दुबे)