राजद ने नौकरी के नाम पर भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाया: सुमो
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच सवालों का दौर जारी है। विपक्ष की तरफ से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सवाल पूछ रहे हैं तो सत्तापक्ष की तरफ से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी मोर्चा संभाले हुए हैं। इसी कड़ी में सुमो ने तेजस्वी से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या यह सही नहीं है कि राबड़ी देवी के कार्यकाल में बिहार लोकसेवा आयोग के दो अध्यक्षों (डा.रजिया तबस्सुम, डा.राम सिंहासन सिंह) और दो आयोग सदस्यों ( डा. देवनंदन शर्मा, डा. शिवबालक चौधरी ) को निगरानी जांच में भ्रष्टाचार का दोषी पाये जाने के बाद जेल जाना पड़ा था? क्या पूरा नियुक्ति तंत्र कदम-कदम पर घूसखोरी के दलदल में धँसा हुआ नहीं था?
वहीं, सुमो ने अन्य सवाल में पूछा कि क्या यह सही नहीं कि वर्ष 2002 में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष देवनंदन सिंह को व्याख्याता बहाली के दौरान इंटरव्यू में मार्क्स की हेराफेरी करने का दोषी पाया गया और उन्हें जेल जाना पड़ा था? क्या लालू राज में पढ़े-लिखे बिहारी युवाओं की नौकरी का हक नहीं छीना गया?
सुमो ने आखिरी सवाल में तेजस्वी से पूछा कि 1997 में राबड़ी सरकार ने डा. ( प्रो.) लक्ष्मी राय जैसे व्यक्ति को बिहार लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष क्यों बनाया, जो मेधा घोटाला का अभियुक्त था और जिसे अध्यक्ष पद पर रहते हुए जेल जाना पड़ा? राजद सरकार ने नौकरी देने के नाम पर भी भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाया।