जल में निवास के बाद कार्तिक मास में ही योगनिद्रा से जागते हैं भगवान विष्णु

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पटना : शरद पूर्णिमा के ठीक बाद से कार्तिक का महीना शुरू हो जाता है। यह चतुर्मास का आखिरी महीना है और इस दौरान भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं, इसलिए इस माह में सुबह सवेरे स्नान करने बहुत फल मिलता है। इस बार 1 नवंबर यानी आज से कार्तिक का महीना लग रहा है। कार्तिक महीने में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। इस पूरे महीने में माता तुलसी के सामने दीपक जलाने की परंपरा है।

हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में ही धन और धर्म दोनों से संबंधित प्रयोग किए जाते हैं। इसके अलावा दीपदान और कार्तिक स्नान से शुभ फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि यह मास भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी को भी अतिप्रिय होता है। कहते हैं कि इस महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और धरती लोक में विचरण कर अपनी कृपा बरसाते हैं। इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा भी शुभ होती है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इसी माह त्रयोदशी, दिपावली और गोपाष्टमी मनाई जाती है।

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पौराणिक कथाओं में कार्तिक का महत्व

कार्तिक मास के सन्दर्भ में स्कन्दपुराण में वर्णित है कि कार्तिक के समान कोई अन्य मास नहीं है। सतयुग के समान कोई युग नहीं है। वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है तथा गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। यह भी मान्यता है कि इस माह जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण कार्तिक माह को मोक्ष का द्वार भी कहते हैं। महाभारत में महर्षि वेदव्यास ने स्पष्ट रूप से प्रथम पूज्य गणेश से लिखवाया है कि कृष्ण, स्नान-ध्यान-दान आदि कर उसी समय निकलते थे, जब सूर्योदय की पहली किरण धरती पर पड़ती थी। मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में जितेंद्रीय रहकर नित्य स्नान करें। चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान करना चाहिए। तीर्थराज प्रयाग, अयोध्या, कुरुक्षेत्र और काशी के अलावा सभी पवित्र नदियों और तीर्थस्थलों पर स्नान शुभ रहता है।

श्रीकृष्ण को प्रिय है कार्तिक मास

भगवान श्रीकृष्ण ने इस मास की व्याख्या करते हुए कहा है,‘पौधों में तुलसी मुझे प्रिय है, मासों में कार्तिक मुझे प्रिय है, दिवसों में एकादशी और तीर्थों में द्वारका मेरे हृदय के निकट है।’ इसीलिए इस मास में श्री हरि के साथ तुलसी और शालीग्राम के पूजन से भी पुण्य मिलता है तथा पुरुषार्थ चातुष्ट्य की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा की खास महिमा

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजे गए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका नक्षत्र में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।

तुलसी पूजन का विशेष महत्व

पारिवारिक जीवन के लिए तुलसी पूजा शुभ मानी जाती है। कहते हैं कि मां तुलसी की हर शाम घी या तेल का दीपक जलाना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पारिवारिक जीवन खुशहाल होता है। इसी महीने में तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। कहते हैं कि तुलसी विवाह करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

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