नवरात्रि दूसरा दिन : धैर्य और सहनशीलता की देवी हैं मां ब्रह्मचारिणी, ऐसे करें पूजा
पटना : रविवार, 18 अक्टूबर को आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना की जाती है। ब्रह्मचारिणी यानी ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली तथा धैर्य और सहनशीलता प्रदान करने वाली देवी। माता के नाम—ब्रह्मचारिणी से ही हमें उनके स्वरूप कर भान हो जाता है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है-आचरण करने वाली। यानी तप का आचरण करने वाली। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित हैं।
ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले या सफेद वस्त्र पहनें। मां को सफेद वस्तुएं अर्पित करें जैसे- मिश्री, शक्कर या पंचाममृत। मां ब्रह्मचारिणी के लिए “ऊं ऐं नमः” का जाप करें। नवरात्र के पहले दिन की तरह दूसरे दिन भी दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। शारदीय नवरात्रि द्वितीया तिथि- 17 अक्टूबर रात 9 बजकर 8 मिनट प्रारंभ होकर 18 अक्टूबर शाम 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। इसलिए भक्तगण शाम से पहले ही मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर लें।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र-
नवरात्रि के दूसरे मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान नीचे बताए गए मंत्र का जाप करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मंत्र- ऊं ब्रह्मचारिण्यै नम:
मां ब्रह्मचारिणी से जुड़ी पौराणिक कथा
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर देवी की अपनी कहानी विशेष है। इनसे मनुष्य को जीवन की कठिनाइयों से निरंतर लड़ते रहने की प्रेरणी मिलती है। इसीलिए सनातन धर्म में माता के इन नौ दिनों में कठिन व्रत रखने की परंपरा हैं। यह सकारात्मकता और समर्पण का त्योहार है। पौराणिक कथा के अनुसार नारद जी के आदेश से भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। एक हजार वर्षों तक माता ने सिर्फ फल-फूल खाकर जावन यापन किया। कठोर तप के दौरान देवी ने धूप, गर्मी, ठंड, बारिश सब कुछ सहा। अंत में उनकी तपस्या सफल हुई। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है।