भोजपुर और बक्सर में नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ सकते हैं चिराग

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आरा : विधानसभा के प्रथम चरण में होने वाले विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 8 अक्टूबर को समाप्त हो गई। भोजपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र से कुल मिलाकर 138 लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।

मालूम हो कि भोजपुर जिले में कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें पिछले चुनाव में पांच विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी विजय हुए थे, वहीं एक सीट पर जदयू के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी जबकि एक सीट पर भाकपा माले के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।

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इस बार विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की अगर बात करें तो एनडीए में चार सीटें बीजेपी और 3 सीट जेडीयू को मिली हैं। वहीं महागठबंधन के प्रत्याशियों में भोजपुर जिले की तीन सीट भाकपा (माले) के खाते में गई हैं। वहीं चार सीट पर राजद के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। अगर भोजपुर जिले की बात करें तो भोजपुर जिले के अगिआंव, जगदीशपुर और संदेश विधानसभा पर जेडीयू के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।

इस बीच सबसे बड़ी बात यह है कि इन प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ने के लिए चिराग के प्रत्याशी पूरे दम खम के साथ चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं। जिसके बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग के ये सिपाही मैदान मार ले जाते हैं या फिर मैदान में ही शहीद हो जाते हैं।

संदेश विधानसभा

सबसे पहले हम बात कर रहे हैं संदेश विधानसभा की, जहां पिछले चुनाव में राजद के प्रत्याशी अरुण यादव ने भाजपा के संजय सिंह टाइगर को हराया था। वहीं इस बार एक मामले में फरार चल रहे अरुण यादव के स्थान पर उनकी पत्नी को राजद ने टिकट दिया है और वो चुनावी मैदान में उतर गईं हैं। उनके खिलाफ संदेश से राजद के पूर्व विधायक बिजेंद्र यादव जेडीयू के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं।

वहीं लोजपा ने भी संदेश विधानसभा में नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ने के लिए भाजपा की पूर्व नेत्री और दमदार प्रत्याशी सकड़डी पंचायत की मुखिया श्वेता सिंह को चुनावी अखाड़े में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। लोजपा प्रत्याशी के तौर पर मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित श्वेता सिंह संदेश से नया संदेश देने को तैयार है।

संदेश विधानसभा जातीय समीकरण

अगर संदेश विधानसभा जातीय समीकरण पर गौर करें तो सबसे ज्यादा 75 हजार यादव मतदाता, 60 हजार राजपूत मतदाता के अलावा 20 हजार भूमिहार मतदाता है। यहां की चुनावी ‘जंग’ में निर्णायक की भूमिका में हर बार भूमिहार मतदाता ही रहते हैं लेकिन लोजपा प्रत्याशी श्वेता सिंह के चुनाव मैदान में कूद जाने से वहां मुक़ाबला राजद और लोजपा के बीच सीधे दिख रहा है। मतदाता भी लोजपा के पक्ष में गोलबंद होते दिख रहे हैं।

संदेश विधानसभा क्षेत्र के चर्चित किसान नेता प्रोफेसर देवेंद्र सिंह उर्फ किसान चाचा ने बताया कि आजादी के बाद से जो भी विधायक यहां से बने उसमें से कुछ को छोड़कर किसी ने संदेश के लिए कुछ नहीं किया, चाहे वो किसानों की समस्या हो, स्वास्थ्य समस्या हो या स्कूल कॉलेज। सबने ठगने का काम किया है। लेकिन इस बार संदेश की जनता एक अलग संदेश देगी, जो बिहार में एक इतिहास बनेगा।

वहीं संदेश के ही बागा पंचायत के युवा सामाजिक कार्यकर्ता कौशलेंद्र कुमार सिंह की माने तो उनका कहना है कि संदेश ने एक से बढ़कर एक समाजवादियों को यहां से विधायक बनाकर भेजने का काम किया लेकिन 90 के दशक के बाद जो भी विधायक हुए, उन लोगों ने क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया।

डीहुआ पंप योजना जो पूरे जिले के किसानों के लिए वरदान साबित होती और उसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया था। जिसका अभी तक शिलान्यास के बाद एक ईट नहीं जोड़ी जा सकी है, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इस बार संदेश की जनता वैसे जनप्रतिनिधि को यहां से भेजेगी जो संदेश का सर्वाधिक विकास कर सकें।

अगिआंव विधानसभा

वहीं भोजपुर जिले के अगिआंव विधानसभा की बात करें तो अभी यहां से सत्ताधारी दल के विधायक प्रभुनाथ प्रसाद काबिज हैं उन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा के शिवेश कुमार को हराया था। लेकिन इस बार फिर अपने विधायक पर भरोसा करते हुए नीतीश कुमार ने उनको चुनाव में भेजा है लेकिन यहां से महागठबंधन के उम्मीदवार भाकपा माले से मनोज मंजिल हैं।

साथ ही जिले की एक मात्र सुरक्षित सीट होने के चलते रालोसपा ने भी यहां अपना उम्मीदवार उतार कर मामले को दिलचस्प बना दिया है। इस बीच चिराग पासवान ने यहां से लोजपा के प्रत्याशी के तौर पर राजेश्वर पासवान को चुनाव मैदान में उतारकर यहां भी नीतीश कुमार के खेल को बिगाड़ने का पूरा प्लान सेट कर दिया है।

जातीय समीकरण

जातीय समीकरण पर गौर करें तो 2010 में पिरो और जगदीशपुर विधानसभा के कुछ भाग को काटकर अस्तित्व में आई अगिआंव विधानसभा से पहले विधायक भाजपा के शिवेश कुमार बने थे। यहां के जातीय समीकरण में राजपूत वोटर 30 हजार, यादव वोटर 60 हजार, पिछड़ा अतिपिछड़ा अल्पसंख्यक 60 हजार और भूमिहार वोटर 25 हजार है।

वहीं पासवान वोटर भी करीब 20 हजार के आसपास है। अगिआंव में इस बार लोजपा ने जेडीयू का खेल खराब करने के लिए राजेश्वर पासवान पर दांव खेला है। माना जा रहा है कि स्वर्ण वोटरों की नीतीश के खिलाफ नाराजगी लोजपा को यहां फायदा पहुंचा सकती है। इस वजह से नीतीश के लिए चिराग यहां मुश्किल खड़ा करते नजर आ रहे हैं।

अगिआंव विधानसभा के इलाके में किसानों के लिए हर समय लड़ाई लड़ने वाले चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सूर्यकांत पांडे की माने तो इस नई विधानसभा के अस्तित्व में आने के बाद 10 साल बाद समस्याएं जस की तस खड़ी हैं, चाहे वह कृषि की समस्या हो, स्वास्थ्य की समस्या हो या फिर स्कूल कॉलेज की समस्या हो, सभी समस्याएंजगदीशपुर विधानसभा जस की तस पड़ी हैं। कोई भी विधायक इन समस्याओं का समाधान करने की नहीं सोच पाता है।

जिसके कारण यह विधानसभा क्षेत्र पिछड़े विधानसभा क्षेत्र की श्रेणी में खड़ा हुआ है। सूर्यकांत पांडे की माने तो इस बार यहां की जनता ने कुछ नया करने का सोच ली है ताकि इस विधानसभा को एक नई पहचान मिल सके।

जगदीशपुर विधानसभा सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय

अब बात करते हैं भोजपुर जिले के सबसे चर्चित और हॉट सीट जगदीशपुर की, जहां से जनता दल यू ने दावा पंचायत की चर्चित मुखिया सुसुमलता पर भरोसा करके उनको चुनावी मैदान में उतार दिया है। वहीं पिछले 5 वर्षों से जगदीशपुर में सक्रिय रहे बिहार सरकार के पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर लोजपा के बैनर तले चुनावी मैदान में जेडीयू और राजद से दो-दो हाथ करने को बेताब दिख रहे हैं।

1857 के महानायक बीर बांकुड़ा बाबू कुवंर सिंह की जन्मस्थली के रूप में चर्चित जगदीशपुर विधानसभा खासकर जगदीशपुर नगर को जो पहचान मिलनी चाहिए थी, वह पहचान अभी तक नहीं मिल पाई है। जिसको लेकर जगदीशपुर के लोग खासे नाराज हैं। जगदीशपुर विधानसभा में इस बार की लड़ाई त्रिकोणीय दिख रही है।

भगवान सिंह कुशवाहा बांग्ला के सहारे नीतीश के ‘तीर’ पर सीधे निशाना साथ रहे हैं, वहीं जेडीयू प्रत्याशी के लिए उन्होंने मुश्किल खड़ी कर दी। पिछले चुनाव में राजद के प्रत्याशी राम विष्णु सिंह लोहिया ने रालोसपा के संजय मेहता को हराया था। इस बार बदली हुयी परिस्थिति में जेडीयू के लिए लोजपा ने यहां दमदार कैंडिडेट को उतारकर उनकी राह मुश्किल करने की भरपूर तैयारी कर ली है।

जगदीशपुर का जातीय समीकरण

जातीय समीकरण पर गौर करें तो सबसे ज्यादा यहां यादव समुदाय के वोटरों की संख्या है। करीब 55 हजार वोटर यादव ही हैं। वही कुशवाहा वोटरों की संख्या तकरीबन 45 हजार है और राजपूत मतदाता करीब 30 हजार के आसपास बताए जाते हैं। वहीं 15 हजार भूमिहार वर्ग के वोट अभी जगदीशपुर में है।

साथ ही पिछड़ा अति पिछड़ा वोटों की संख्या तकरीबन 60 हजार है और अल्पसंख्यक वोटर की संख्या 15 हजार है। कुल मिलाकर समान समाज के वोटर जगदीशपुर में किसी भी प्रत्याशी के लिए तुरुप के पत्ते साबित हो सकते हैं।

जगदीशपुर का अगला विधायक कौन होगा यह तो आने वाले दिनों में तय हो पाएगा लेकिन यहां से भगवान सिंह कुशवाहा के चुनाव में लोजपा की तरफ से कूद जाने के बाद नीतीश कुमार के प्रत्याशी के लिए मुश्किल पैदा जरूर कर दी है।

जगदीशपुर शुरू से ही अपने पहचान का मोहताज

जगदीशपुर चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रोफेसर ताजुद्दीन मंसूरी की माने तो जगदीशपुर शुरू से ही अपने पहचान का मोहताज रहा है, सरकार चाहे किसी की भी रही, विधायक चाहे जो ही रहा लेकिन बाबू कुंवर सिंह को जो सम्मान मिलना चाहिए वह आज तक नहीं मिल पाया।

केवल 24 अप्रैल को ही बाबू कुंवर सिंह याद आते हैं और जब चुनाव आता है तो नेता उन्हें याद करने लगते हैं। लेकिन इस बार जनता जागरुक है और जनता जगदीशपुर से उसी को विधायक चुनकर भेजेगी जो जगदीशपुर का सर्वाधिक विकास करे और बाबू कुंवर सिंह के सपने को साकार करें।

बक्सर जिले की ब्रह्मपुर सीट पर कांटे की टक्कर

अब बात करते हैं बक्सर जिले के बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ की नगरी ब्रह्मपुर सीट की, जहां की अभी वर्तमान में राजद के विधायक शंभू नाथ यादव का कब्जा है। पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी और महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा को शिकस्त देकर विधायक बने थे।

बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ की ऐतिहासिक नगरी की बात करें तो कभी अंग्रेजों के जमाने में मंदिर को तोड़कर सड़क बनाने का काम चल रहा था और उसी के लिए मंदिर को तोड़ा जा रहा था। तभी बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ ने अंग्रेज अफसरों को स्वप्न में आकर मंदिर को नहीं तोड़ने की बात कही थी।

लेकिन वह मान नहीं रहे थे तभी मंदिर के बुजुर्ग पुजारी ने उनको रात भर के लिए समय देते हुए कहा कि यह जो काम आप लोग कर रहे हैं, यह काम संभव नहीं है क्योंकि बाबा बरमेश्वर नाथ की कृपा बड़ी अपरम्पार है। सभी अंग्रेज अफसरों ने कहां कि हम इनको तभी मानेंगे जब तुम्हारे मंदिर का दरवाजा पूरब से पश्चिम हो जाएगा और रात में ही यह ऐतिहासिक चमत्कार हुआ और मंदिर का दरवाजा पूरब से पश्चिम हो गया। जिसके बाद अंग्रेज अफसरों ने वहां सड़क बनाना बंद कर दिया।

मुकेश साहनी की पार्टी के कोटे में गई सीट

इस बार ब्रह्मपुर सीट, सीबीआईपी यानी मुकेश साहनी की पार्टी के कोटे में गई है। जहां से पार्टी के जयराम चौधरी चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। भूमिहार बहुल इलाके के रूप में चर्चित इस विधानसभा में पुनः एक बार राजद प्रत्याशी शंभू नाथ यादव मैदान में हैं और इंडिया प्रत्याशी के रूप में जय राम चौधरी अपने साहनी समाज के वोटरों को लेकर जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे।

लेकिन तकरीबन 65 हजार भूमिहार वोटर वाली इस विधानसभा में इस बार लोजपा ने एक बड़ा कार्ड खेलते हुए बक्सर भोजपुर के पूर्व विधान पार्षद और भूमिहार समाज से आने वाले हुलास पांडे को बरहापुर के मैदान में उतारकर नीतीश कुमार को करारा जवाब देने की तैयारी कर ली है। नामांकन के दिन उमड़े जनसैलाब ने चिराग पासवान और हुलास पांडे के लिए एक नया संदेश दे दिया है।

क्या है जातीय समीकरण

जातीय समीकरण की अगर बात करें तो तकरीबन 40 हजार के आसपास यादव वोटर, 35 हजार के आसपास साहनी मतों की संख्या है। इसके अलावा पिछड़ी जाति पिछड़े वोटों की संख्या तकरीबन 50 हजार के आसपास है। लोजपा के चुनावी मैदान में कूद जाने के बाद ब्रह्मपुर विधानसभा के वर्तमान सिटिंग विधायक एवं वीआईपी के पार्टी के प्रत्याशी के लिए लड़ाई काफी कड़ी हो गई है।

ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र के सिमरी गांव निवासी युवा सामाजिक कार्यकर्ता विनय कुमार पांडे एवं हनुमान पांडे की माने तो भूमिहार बहुल इस विधानसभा में मात्र 2 बार इस समाज के लोगों ने जीत दर्ज की है। उसके बाद हर बार दूसरी जाति को लोगों ने यहां फूट डालकर जीतने का काम किया है लेकिन इस बार परिस्थिति बदली है। लोग नीतीश कुमार के किए गए कामों से खुश नहीं है और पूरे विधानसभा के लोगों ने लोजपा प्रत्याशी को वोट देकर विधानसभा में भेजने का मन बना लिया है। वहीं नौजवानों में खासे लोकप्रिय लोजपा के प्रत्याशी हुलास पांडे पूरे दमखम से ब्रह्मपुर के किले को फतह करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

खुद को बता रहे ब्रह्मपुर का बेटा

नामांकन के बाद बातचीत के क्रम में हुलास पांडे ने ब्रह्मपुर विधानसभा सीट के विधायक नहीं वरन ब्रह्मपुर का बेटा और ब्रह्मपुर का भाई बनकर पूरे बिहार में एक आदर्श विधानसभा बनाने की बात कही है। हुलास पांडे के पार्टी के कार्यकर्ता पिछले 2 सालों से चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं और इस बार सभी लोग चाहे बुजुर्गों की शान हो या नौजवान हैं, सभी लोग ब्रह्मपुर का इतिहास इस बार बदलना चाहते हैं।

विधानसभा में निर्णायक की भूमिका में तो भूमिहार वोटर ही है, अब आने वाले 28 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे एवं 10 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी और उसी दिन यह तय हो पाएगा कि इस बार ब्रह्मपुर का ताज किसे मिलता है।

राजीव एन अग्रवाल

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