पटना : साहित्य में बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रख्यात भाषाविद् श्रीरंजन सूरिदेव का आज 93 वर्ष की अवस्था में देहांत हो गया। इस दौरान बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी उन्हें श्रधांजलि अर्पित करने पहुंचे और परिजनों से सहानुभूति प्रकट की।
ज्ञात हो कि हाल ही में श्रीरंजन सूरिदेव को 28 अक्टूबर को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा साहित्य में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया था। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने अस्पताल में भर्ती श्रीरंजन सूरिदेव से मुलाकात भी की थी। शास्त्र की त्रिधारा के उपासक एवं समालोचक श्रीरंजन सूरिदेव साहित्य जगत के वो दीप थे जिन्होंने हमेशा नया मार्ग प्रशस्त किया। उन्हें 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों अखिल भारतीय हिंदी सेवा सम्मान योजना के तहत ‘स्वामी विवेकानंद पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया था।
हिंदी, संस्कृत और जैन शास्त्र के मनीषी श्रीरंजन ने बिहार हिंदी साहित्य परिषद के सलाहकार और संपादक के पद पर रहते हुए कई आलेखों की रचना और उनका संपादन किया। आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव साहित्य की हर विधा, हर शैली में पारंगत थे।
आचार्य श्रीरंजन को साहित्यरत्न, सहित्यलंकार और व्याकरणतीर्थ की उपाधियों से भी नवाजा जा चुका है। बहुत है, मेघदूत: एक अनुचिंतन, सिंहासनबत्तीसी, उपशकदशासूत्र आदि कई अन्य पुस्तकों और ग्रंथों के रचनाकार श्रीरंजन सूरिदेव ने आज अपने आवास शुभेषणा में देहत्याग दिया।
साहित्य के विशाल भवन का एक महान स्तम्भ ढह गया। आज बिहार के हीं नहीं सम्पूर्ण भारत के हिन्दी सेवियों के लिए अत्यंत शोक का दिन है। संस्कृत, हिन्दी, प्राकृत, पाली, अपभ्रंश आदि अनेक भारतीय भाषाओं के विश्रुत विद्वान और साहित्यकार तथा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के आदरणीय प्रधानमंत्री आचार्यवर्य श्रीरंजन सूरिदेव ने अपना पार्थिव देह का त्याग कर, अपने लाखों प्रियजनों को बिलखता छोड़, परमलोक के लिए विदा हो गए। हिन्दी साहित्य सम्मेलन आज दुःख के अथाह सागर में है। हमारे मुख से उनके परिजनों के लिए, सांत्वना के दो शब्द भी निकल नहीं रहे! एक व्यथित मन कैसे दूसरे के आँसू पोंछे?
डा अनिल सुलभ, अध्यक्ष, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन
सत्यम दुबे