नेतागीरी का कीड़ा कटवाए हुए अफसरों को बहुत बड़ी सीख दे गए गुप्तेश्वर ‘बाबा’
पटना : गुप्तेश्वर पांडेय के साथ इस बार के विस चुनाव में अजब—गजब हो गया। जहां जदयू ने उन्हें कहीं से टिकट नहीं दिया, वहीं नौकरी छोड़ने की जल्दबाजी ने न घर का छोड़ा, न घाट का। लेकिन इस सबके बवजूद गुप्तेश्वर बाबा एक बहुत ही अहम चीज सिखा गए। बिहारी युवाओं और खासकर ऐसे नौकरीशुदा लोगों को जिनकी राजनीतिक महत्वाकांछाएं रह—रहकर उबाल मारती रहतीं हैं। यानी—जब तक स्पष्ट आफर न मिल जाए या आफर—लेटर हाथ में न आ जाए, तबतक किसी भी कीमत पर नौकरी से रिजाइन नहीं देना चाहिए।
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट की आस में श्री पांडेय ने हाल ही में डीजीपी का पद छोड़ जदयू का दामन थाम लिया था। लेकिन टिकट के प्रबल दावेदार गुप्तेश्वर पांडेय को जदयू ने बिहार की किसी भी सीट से टिकट नहीं देकर सबों को चौंका दिया। उनके बिहार की बक्सर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन ये सीट बीजेपी के खाते में गई और इस सीट से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार भी दे दिया है।
अब राजनीति के मैदान में पहले ही मोर्चे पर पैदल होने के बाद पूर्व डीजीपी ने मीडिया से बात करते हुए टिकट नहीं मिलने के मसले पर अपनी खीज यूं मिटाई—’राजनीति में कभी-कभी ऐसा होता है कि जिसे आप सोचते हैं वो नहीं होता। मैं पार्टी का सजग सिपाही हूं। मैं ठगा नहीं गया हूं क्योंकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार किसी को ठगते नहीं हैं।
गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि, हां राजनीति में कभी-कभी ऐसा जरूर होता है कि जो आप सोचते हैं वह नहीं भी हो पाता। श्री पांडेय ने कहा कि राजनीति में बहुत सारी मजबूरियां होती हैं। अब एनडीए को सोचना है कि मैं क्या करूंगा लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं। पार्टी मुझे क्या जिम्मेदारी देती है वो पार्टी सोचेगी। लेकिन मुझे जैसी जिम्मेदारी मिलेगी मैं वैसा काम करूंगा।
.साफ है कि राजनीतिक के मैदान में विकेट कुछ अलग तरह का होता है। ऐसे में गुप्तेश्वर पांडेय के मामले में जहां उनके जैसे अन्य भावी महत्वाकांक्षी लोगों को सीख मिलेगी, वहीं यह भी कहा जा रहा है कि वर्षों पब्लिक डिलींग कर चुके पूर्व डीजीपी ने राजनीति में आने और नौकरी छोड़ने का फैसला सोच समझकर ही लिया होगा। राजनीतिक प्रेक्षक यह भी बताते हैं कि गुप्तेश्वर पांडेय को बिहार विधानसभा परिषद का सदस्य बनाया जा सकता है। मालूम हो कि यह पहली बार नहीं है जब चुनाव लड़ने के लिए गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरस लिया हो। इससे पहले भी उन्होंने बक्सर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लिया था, मगर टिकट नहीं मिलने की वजह से वे किसी तरह फिर सेवा में आ गए थे।