चौबे के कड़े रुख को देखते हुए बक्सर और ब्रह्मपुर भाजपा की सीट पर निर्णय अटकी
वीआईपी के कारण ब्रह्मपुर, बक्सर जिले के साथ साथ उत्तर बिहार के मिथलांचल के भाजपा समर्थकों में बवाल
सूत्रों के मुताबिक – जब कार्यकर्ता ही नहीं रहेंगे तो कोर कमिटी और मंत्री पद पर बने रहने का क्या औचित्य ?
बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया कल यानी 8 अक्टूबर को समाप्त होने वाली है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में आए प्रथम चरण के बक्सर और ब्रह्मपुर दो विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम की घोषणा लटकी हुयी है।
सूत्रों के मुताबिक़ पहले तो बक्सर की सीट जदयू के कोटे में जाने की चर्चा हुई। लेकिन, भाजपा के क़द्दावर नेता, बक्सर सांसद व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के कडे रुख़ के कारण बक्सर सीट भाजपा के पास रह जाने की खबर सामने आ रही है और स्थानीय कार्यकर्ताओं में से किसी को प्रत्याशी बनाए जाने की बात चल रही है।
सूत्रों के मुताबिक़ प्रदेश कोर कमिटी के अनुभवी सदस्य डॉक्टर सी.पी.ठाकुर, अश्विनी चौबे , रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह आदि को टिकट वितरण एवं सीटों के बंटवारे से अलग रखा गया, जिससे केंद्र के शिखर नेतृत्व भी अंधकार में रहे जिसके कारण प्रदेशभर के कार्यकर्ताओं में रोष है।
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वहीं, वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी के राजग में शामिल होने के बाद ब्रह्मपुर सीट उन्हें दे दिए जाने की बात जोरशोर से उठी। ब्रह्मपुर और बक्सर जिला के भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच जैसे यह खबर आग की तरह फैली उनमें आक्रोश फूट पड़ा।
चौबे के कड़े रुख़ को देखते हुए केंद्र के शीर्षस्थ नेतृत्व द्वारा उक्त दोनो ही सीटों पर अविलम्ब विराम लगाने की खबर चर्चा में है। भाजपा से जुड़े विचार परिवार के लोग अचंभित हैं और उन लोगों ने भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को उपरोक्त दोनो सीटों के लिए सभी तथ्यों से अवगत कराया है।
केंद्रीय मंत्री चौबे से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया पर सम्पर्क स्थापित नहीं हो सका। उनके सहयोगी ने बताया कि मंत्रीजी कोरंटाइन हैं और उनके कुछ स्टाफ कल पुनः कोविड के चपेट में आ गए हैं जो उनके सम्पर्क में थे।
ब्रह्मजन क्षत्रिय एकता मंच संस्था की ओर से बयान जारी कर इस मामले को भूमिहार , ब्राह्मण एवं अगड़ी विरोधी बताए जाने का प्रयास किया जाने लगा है। बक्सर के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने बताया कि विरोधी इस मामले को तूल देकर पूरे प्रदेश में भाजपा विरोधी अभियान चलवा सकते हैं ताकि भाजपा के कट्टर समर्थक उससे दूर हो जाएं।
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कार्यकर्ताओं का कहना है कि ब्रह्मपुर सीट भाजपा का पूर्व में विरोधी रहे राजद से जुड़े एक तथाकथित नेता धनबल के जोर पर वीआईपी के उम्मीदवार बनना चाह रहे हैं। ब्रह्मपुर के कारण ही बक्सर सीट पर भी कोई फैसला अब तक नहीं हो सका है।
भाजपा प्रदेश के कुछ नेताओं के रवैये से ना केवल बक्सर जिला बल्कि उत्तर बिहार के मिथलांचल सहित कई अन्य जिलों में भी कार्यकर्ताओं का गुस्सा वीआईपी को सीट दिए जाने से उबाल पर है। साथ ही टिकट वितरण एवं सीटों के बंटवारे के रवैए से आक्रोशित होकर पटना, विक्रम, फतुहा, नालंदा ,जमुई, मुंगेर, भागलपुर, बाँका आदि जिले के कार्यकर्ताओं में जन आक्रोश व्याप्त है तथा विभिन्न स्थानो के कई एक कार्यकर्ता लोजपा , कांग्रेस एवं अन्य दलों के दामन थाम चुके हैं और ये सिलसिला लगातार जारी रहने की खबर है।