पटना: चर्चित आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय ने अचानक वीआरएस लेकर सबको चौंका दिया था। अचानक VRS लेके को लेकर गुप्तेश्वर ने कहा था कि मैंने वीआरएस ली है, यह मेरा लोकतांत्रिक अधिकार है। उन्होंने कहा था कि बीते 2 महीने से मेरा जीना मुश्किल था। रोज हजारों फोन आ रहे थे। इस्तीफा देने को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे। मैं परेशान हो गया था।
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा था कि 31 साल की नौकरी में कोई भी दल या नेता मेरे पूर्वाग्रह से फैसले पर सवाल नहीं खड़े कर सकते।कोई यह भी नहीं कह सकता कि मैंने किसी अपराधी के साथ कोई समझौता किया। मैंने 50 से अधिक मुठभेड़ की लेकिन, कोई ये नहीं कह सकता कि मैंने जात धर्म देखकर फैसला लिया है। लेकिन, अब वे खाकी से खादी पहन लिए हैं।
नीतीश कुमार ने जदयू की सदस्यता भी दिलवाई और भरोसा भी दिया। राजनीति में शामिल होने के बाद पांडेय बार-बार यह कह रहे हैं कि बक्सर की जनता से उन्हें अथाह प्रेम है। हुआ भी यही क्योंकि, नीतीश कुमार ने उनकी इस मंशा पर हामी भर दी। लेकिन, पारंपरिक रूप से बक्सर सदर सीट भाजपा का होने के कारण नीतीश कुमार तथा गुप्तेश्वर पांडेय की मंशा अधूरी रह गई और डीजीपी से सिपाही बने गुप्तेश्वर को बड़ा झटका लगा।
हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जदयू की तरफ से बात नहीं बनने पर अब गुप्तेश्वर कमल के तरफ रूख किये हैं। इसको लेकर उन्होंने भाजपा के बड़े नेताओं से संपर्क कर प्रदेश भाजपा में अपना पैरवी करवाया। इसके बाद बक्सर निवासी गुप्तेश्वर पांडेय ने भाजपा के केंद्रीय स्तर के कुछ नेताओं से राजनीतिक आशीर्वाद मांगा। नतीजतन, गुप्तेश्वर को भाजपा के कुछ दिग्गज नेताओं का आशीर्वाद मिल गया है। इसलिए अब यह बातें सामने आ रही है कि जदयू को बाय-बाय कर अब गुप्तेश्वर कभी भी फूल में जा सकते हैं।
वैसे, बक्सर सीट को लेकर यह बातें सामने आ रही थी कि यहां से भाजपा के कई दावेदार थे, जिसको लेकर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को काफी माथापच्ची करनी पड़ रही है। लेकिन, इस बीच नीतीश कुमार के तरफ निराशा हाथ लगने के बाद अब पांडेय ने भाजपा के सामने एक और विकल्प के रूप में खुद को प्रस्तुत किया है।
बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय जिस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं वहां से अभी कांग्रेस के मुन्ना तिवारी विधायक हैं। जिनकी छवि इलाके में दबंग नेता की है।