पटना: जदयू के बड़े दलित नेता व बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी को सीएम नीतीश कुमार ने जदयू का कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर कहा गया कि जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के अस्वस्थ होने की वजह से मिली अशोक चौधरी को जिम्मेदारी दी गई है।
हालांकि जानकर बताते हैं कि चुनाव को लेकर जदयू किसी भी तरीके का जोखिम नहीं लेना चाहती है। हाल के दिनों में यानी बीते 8 से 9 महीनों के अंदर जदयू में अशोक चौधरी का कद काफी बढ़ है। इन दिनों नीतीश के सलाहकार में से एक अहम सलाहकार के रूप में अशोक चौधरी का भी नाम लिया जाता है।
इससे इतर जानकारी के मुताबिक नीतीश के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में अशोक चौधरी नीतीश के साथ ही सफर करते हैं। वैसे कार्यक्रम जहां दोनों को जाना होता हो।
चिराग को जवाब
राजनीति जानकर बताते हैं कि चिराग के रवैये से नाराज नीतीश कुमार ने बड़ा दांव खेला है। यह सर्वविदित है कि फिलहाल जदयू को लेकर चिराग जिस एजेंडे पर काम कर रहे हैं, इस स्थिति में नीतीश, चिराग को जवाब देने के लिए अशोक चौधरी को आगे कर दिया है। एक तरफ चिराग भी लोजपा प्रमुख हैं तो उसी तरह नीतीश ने चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर चिराग के समकक्ष खड़ा कर दिया है।
एंटी इनकंबेंसी को दूर करने में दलित निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका
अशोक चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किये जाने कारण यह भी बताया जा रहा है कि 15 साल लगातर सत्ता में रहने के बाद नीतीश कुमार को लेकर एंटी इनकंबेंसी का माहौल है। तो दूसरी तरफ कोरोना का कहर। इन सभी चीजें से पार पाने में पिछड़ा व दलित वोटर ही मददगार साबित हो सकता है।
शत प्रतिशत वोटिंग का लक्ष्य
क्योंकि, एक इंटरनल सर्वे के मुताबिक इस बार NDA के पक्ष में मतदान करने वाले ऊंची जाति के वोटर कोरोना के डर से कम बाहर निकल सकते हैं। ऐसे में दलित चेहरे को आगे कर NDA इस जुगत में है कि किसी तरह पिछड़े और दलित वोटरों को अपने पाले में लाकर मतदान सुनिश्चित करवाएं।