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23 सितंबर : दरभंगा की मुख्य ख़बरें

राष्ट्रकवि दिनकर की जनचेतना विषयक संगोष्ठी का आयोजन

दरभंगा : विश्वविद्यालय हिंदी-विभाग के तत्त्वावधान में दिनकर-जयंती का कार्यक्रम सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए मनाया गया. ‘राष्ट्रकवि दिनकर की जनचेतना’ विषयक आज की संगोष्ठी के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र साह ने दिनकर की रचनाओं में निहित जनचेतना की स्थिति को केंद्रीय माना और बताया कि चेतना जागृति का स्वरूप है.

उन्होंने बताया कि दिनकर जनता की आवाज, उनकी जीवन-दिशा एवं जीवन-स्वरूप को अभिव्यक्ति के स्तर पर अपनाकर छायावादोत्तर दौर में राष्ट्रीय चेतना के साथ अपनी कविता में प्रकट होते हैं| दिनकर की प्रसिद्धि के केंद्र में उनकी राष्ट्रीय चेतना-प्रधान कविताओं को मानते हुए उन्होंने कहा कि दिनकर का विशेष गुण युग-धर्म के अनुसार अपनी सृजनात्मकता को लगातार परिष्कृत करने में है. दिनकर को केवल राष्ट्रवादी ही नहीं, बल्कि मानवतावादी कवि के रूप मे भी उन्होंने श्रेष्ठ बताया और कहा कि उनकी कविताओं में युग-धर्म और युग-चेतना की जीवंत स्थिति देखी जा सकती है. उनकी कविता मानव-मूल्यों का संवर्धन करने वाली कविता है.

कार्यक्रम में पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष एवं दिनकर सम्मान से सम्मानित प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने दिनकर पर कार्यक्रम करवाने को सर्वप्रथम आवश्यक कदम बताया और कहा कि दिनकर राष्ट्रीय स्तर के महत्त्वपूर्ण कवि होने के अलावा विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार के भी कवि हैं, जो सतह से उठकर राष्ट्रीय क्षितिज पर अपनी रचनात्मक उत्कृष्टता से राष्ट्रकवि के रूप में उपस्थिति दर्ज कराते हैं. डॉ. सिंह ने दिनकर को कविता का हिमालय कहा| साथ ही बताया कि दिनकर में प्रेम और संघर्ष का युगपद रचनात्मकता की कसौटी पर विराट सृजनात्मक चेष्टा उत्पन्न करता है.

उन्होंने दिनकर के राष्ट्रवाद को गहराई से विश्लेषित करते हुए बताया कि आजादी के दौरान जो दिनकर राष्ट्रीयता प्रधान कविता लिखकर अपनी राष्ट्रीयता की छवि बनाते हैं, वही आजादी के बाद अंध राष्ट्रवाद की आलोचना भी करते हैं. डॉ. सिंह ने भारत की सामासिक संस्कृति की महत्त्वपूर्ण अभिव्यक्ति करने में दिनकर की कृति ‘संस्कृति के चार अध्याय’ की चर्चा की और बताया कि दिनकर अपनी रचनात्मकता की बहुआयामिता के कारण आज ज्यादा प्रासंगिक हो रहे हैं.

कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो. विजय कुमार ने बताया कि दिनकर से विचारों का मिजाज बहुत- कुछ मिलता-जुलता प्रतीत होता है| इस समय जो चीन के साथ संघर्ष का माहौल है, उसमें दिनकर जयंती की प्रासंगिकता काफी बढ़ जाती है. उन्होंने परशुराम की प्रतीक्षा में दिनकर की राष्ट्रीय चेतना की व्याप्ति पर भी प्रकाश डाला| साथ ही दिनकर की राजनीतिक सोच, उनकी रचनाओं में उपस्थित बेचैनी, जातीय गौरव का बोध जैसे महत्त्वपूर्ण तत्वों पर ध्यान दिलाते हुए दिनकर जी को याद किया। डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने अपने व्याख्यान में कहा कि आज दो महान योद्धा साहित्यकारों का जन्मदिन है- एक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का और दूसरे मार्क्सवादी आलोचक मैनेजर पांडे दिनकर की राष्ट्रीय चेतना को उन्होंने जनचेतना से ओतप्रोत बताया और कहा दिनकर की ऐसी सैकड़ों पंक्तियाँ हैं, जिन्हें लोग समर-गान की भांति गाते हैं.

राष्ट्रकवि होना अपनी जगह है, लेकिन दिनकर की पंक्तियाँ, दिनकर की कविताएँ, जनता को जोड़ने वाली कविता हैं और उनमें स्थित सुधरता बेहद खास है. कार्यक्रम का संचालन डॉ. आनंद प्रकाश गुप्ता ने किया| उन्होंने विषय-प्रवेश करते हुए दिनकर को राष्ट्रीय चेतना को जगाने वाले कवि एवं स्वाधीनता आंदोलन को दिशा देने वाले कवि के रूप में याद किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन श्री अखिलेश कुमार ने किया, अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने दिनकर को राग और आग का कवि कहा| साथ ही बताया कि दिनकर की कविता में प्रेम और विरोध का सामंजस्य भी मिलता है| इस अवसर पर शोधप्रज्ञ शंकर कुमार ने दिनकर की कविता में निहित व्यवस्था की सही दिशा से जुड़ी बातों को याद किया| कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं एवं शोधार्थियों की उपस्थिति रही.

दिवंगत आत्मा को दी गई श्रद्धांजलि

दरभंगा : भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ दरभ’गा द्वारा अध्यक्ष डा.आमोद कुमार झा के अध्यक्षता मे शोक सभा का आयोजन हुआ। जिसमे दरभ’गा के प्रसिद्ध सर्जन एवम समाजसेवी डा.सीताराम सिह के निधन पर पर गहरी स’वेदना व्यक्त कि गई । आई एम ए प्रवक्ता एवम प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा.झा ने डा.सीताराम सिह के निधन को चिकित्सा जगत के लिए अपुरणीय क्षति बताया और कहा उनके जाने से सभी चिकित्सक शोकाकुल है। दिव’गत आत्मा के लिए सभी सदस्यो ने दो मिनट का मौन रखा एवम श्रद्धान्जलि अर्पित किए ।शोक सभा मे भाग लेने वालो मे डा.अमिताभ सिन्हा ,डा.आर के राजन,डा.त्रिलोक नाथ झा ,डा.पारष नाथ ,डा.कुन्दन अमिताभ ,डा.एस के ठाकुर ,रामशरण ठाकुर सहित दर्जनो लोग मौजुद रहे ।

मुरारी ठाकुर