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1 करोड़ 20 लाख से अधिक परिवार स्वयं सहायता समूहों से जोड़े गए

पटना: राज्य में 1.20 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वयं सहायता समूह से जोड़ दिया गया है। इसके अलावा दो लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा गया है। इन स्वयं सहायता समूहों को अबतक 12 हजार करोड़ रूपये की राशि वित्तीय पोषण के रूप में उपलब्ध कराई गयी है। साथ ही स्वयं समूहों से जुड़े 21 लाख 96 हजार 726 सदस्यों का बीमा कराया गया है।

जीविका से जुड़े स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को जीविका के तहत कृषि, दुग्ध उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, कला एवं शिल्प के अतिरिक्त गैर कृषि कार्यों के अलावे स्वास्थ्य, सम्पोषण एवं स्वच्छता, कौशल एवं समाजिक विकास के क्षेत्र में प्रशिक्षित एवं रोजगार दिलाया जा रहा है।

चालू माह तक राज्य में 10 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन भी कर दिया गया है। जिनकी एमआईएस इंट्री भी कर ली गई है। अबतक 12 लाख छोटे और सीमांत कृषकों को कृषि की विभिन्न नई तकनीक से जोड़ा गया है, महिला कृषक की 10 उत्पादक कम्पनियों के माध्यम से उत्पादित मक्के, सब्जी एवं फल का बेहतर मूल्य ग्रामीण उत्पादकों को दिलवाया जा रहा है।

कोशी प्रमंडल में कौशिकी दुग्ध उत्पादन कम्पनी की स्थापना कर अबतक 450 दुग्ध संग्रहण केन्द्र खोले गये हैं। 2 हजार स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को कला एवं शिल्प संबंधी कार्य से जोड़ा गया है तथा 11 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा अगरबत्ती का निर्माण किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त मधु उत्पादन एवं इसके व्यवसाय हेतु 71 उत्पादक समूहों का गठन किया गया है एवं 2,474 मधुमक्खी पालक कृषकों को बेहतर मूल्य प्राप्ति हेतु डाबर कम्पनी के साथ जोड़ा गया है।

आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत 83 परिवारों को वाहन वितरण किये गये है जिनके माध्यम से वे परिवार अपनी आजीविका चला रहे हैं। विभिन्न जिलों में 20 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिकों को आजीविका गतिविधियों के संचालन हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है।

कौशल विकास एवं नियोजन के क्षेत्र में अबतक कुल 2 लाख 80 हजार युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें नियोजित किया गया है। जीविका एवं विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से विभिन्न प्रशिक्षण केन्द्रों में मांग आधारित खुदरा कारोवार, हाॅस्पिटैलिटी, स्वास्थ्य निर्माण, ऑटो, बिजली आदि क्षेत्र में युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है, साथ हीं प्रशिक्षण के पश्चात् कम से कम 70 प्रतिशत युवाओं को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है।