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पुलिस मुख्यालय के फरमान को विपक्ष ने कहा- इलेक्शन में पाॅलिटिकल फैसला

परफारर्मेंस के आधार पर नहीं, जाति-धर्म पर होगी थानों में पोस्टिंग

आईजी सेंट्रल रेंज नैयर हसनैन खान द्वारा थानों में पोस्टिंग को लेकर बनायी गई जातीय नीति विवादों के घेरे में आ गयी है। महानिदेशक ने पहले ही निर्देश दिया था कि थानों में पोस्टिंग जातीय समीकारण के आधार पर हो। यह निर्देश उन्होंने सभी एसपी को दिया था। पर, अपने किस्म के इस फरमान से एसपी हलकान थे कि अबतक थानों में पोस्टिंग का आधार या तो वरीयता रही है या फिर परफार्मेंस।

आजादी के बाद पहला अजीबोगरीब फैसला, तमगा नहीं जाति चाहिए!

इस फरमान से खुद पुलिस मुख्यालय के अफसर हैं कि पूरे देश अपने किस्म का यह नया आदेश है। अबतक पोस्टिंग का आधार या तो येग्यता रही है या फिर अफसरों को मिले पुरस्कार या तमगे।

आईजी केन्द्रीय रेंज नैयर हसनैन खान द्वारा जारी पत्र में सभी आईजी, डीआईजी और एसपी को पत्र लिख कर निर्देश दिया है कि सभी ओपी, थाने तथा अन्य प्रमुख पदों पर नियुक्ति का आधार जाति अथवा धर्म हो। यहां बता दें कि बिहार के कई ऐसे जिले हैं, जहां बहुत सोच-समझ कर जगह विशेष की सामाजिक-आर्थिक सरंचना को देखते हुए यहां तक कि एसपी डीएसपी बनाया जाता रहा है। उसका सकारात्मक परिणाम भी विभाग को मिलता रहा है।

इलेक्शन में पाॅलिटिकल फैसला !

पुलिस मुख्यालय का यह फैसला चुनाव के समय राजनीतिक गलियारे मे पाॅलिटिकल माना जा रहा है। राजद नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि ऐसा फैसला सरकार और पार्टी विशेष को लाभ पहुंचनाने के लिए किया गया है। वहीं भाजपा ने भी इसका तीखा विरोध करते हुए फैसले को वापस लेने को कहा और कहा कि इस पर विचार होना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने भी आपत्ति व्यक्त की है।

बिहार पुलिस एसोसिएशन ने कहा कि आगह पूर्वक कहना हैं कि देश समाज में खाकी रंग एक परिवार का रूप है। पलिस मुख्यालय के आदेश के तहत अब योग्यताओं का महत्व की चर्चा नहीं करते हुए वर्ग के आधार पर पोस्टिंग होगी। इस तरह का निर्गत आदेश से कनीय पुलिसकर्मी हतप्रभ हैं। योग्यता, कर्मठता और अनभव पोस्टिंग का आधार होता है। इस तरह के आदेश से पुलिस विभाग को बचना चाहिए।

हालांकि, इस संबंध में डीजीपी से बात नहीं हो सकी पर, मुख्यालय में अधिकारियों का कहना है कि बिना डीजीपी की सहमति के इस तरह के निर्णय हो ही नहीं सकते।