पटना: बीते 5 महीनों में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बावजूद जीविका दीदियों ने पौधरोपण की दिशा में काफी अच्छा काम किया। सरकार के ढाई करोड़ पौधे लगाने के मिशन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है । इसे देखते हुए सरकार ने पौधरोपण के क्षेत्र में जीविका दीदियों को स्वावलंबी बनाने का निर्णय लिया है।
राज्य में इस वर्ष के अंत तक जीविका दीदियों की 1500 नई नर्सरियां खोलने की योजना है। पहले चरण में सभी प्रखंडों में ये नर्सरी खोली जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक नर्सरी में कम से कम 20,000 पौधे तैयार जाएंगे। इन पौधों की बिक्री भी सुनिश्चित की जाएगी। राज्य सरकार ने तय किया है कि जीविका दीदियों द्वारा तैयार किए गए सभी पौधे सरकारी स्तर से ही खरीद लिए जाएं।
वन एवं पर्यावरण विभाग उनकी खरीद की गारंटी करेगा। सरकार की मंशा है कि अन्य राज्यों से पौधरोपण के लिए पौधे नहीं खरीदे जाएं। राज्य के अंदर पौधशालाओं और जीविका दीदी की नर्सरी से ये खरीदे जाएं। इसी की तैयारी के तहत नर्सरी खोलने की योजना बनाई गई है।
खास बात यह है कि सभी पौधे खरीद कर सीधे उनके खाते में पैसा भेज दिया जाएगा। सभी नर्सरी का नाम दीदी की नर्सरी होगा। सरकार ने यह योजना बनाई है कि पौधों की बिक्री के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का मौका मिले।
राज्य में अभी 198 नर्सरी जीविका दीदियां चला रही हैं। हर नर्सरी से वन एवं पर्यावरण विभाग में इस वर्ष 20,000 पौधे खरीद रहा है। इन पौधों की खरीद का आदेश पहले से भी दिया गया है। साथ ही उन्हें 88,000 रुपए की अग्रिम राशि भी दी गई है।
नर्सरी के लिए जीविका प्रबंधन ने कुछ खास शर्ते तय की हैं, जिसमें चयनित अभ्यर्थी के पास कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए। यह जमीन गांव के अंदर भी हो सकती है, लेकिन उस भूखंड का जुड़ाव किसी ने किसी प्रकार से सड़क से हो, ताकि वहां पौधों को की ढुलाई एवं आपूर्ति में कोई कठिनाई नहीं हो।
गया जिले के खिजरसराय में एक दीदी ने इस प्रकार पौधरोपण से अपने रूप को आर्थिक रूप से सशक्त करने में सफलता पाई है। विभाग ने उसे भी नर्सरी चलाने के लिए 20,000 पौधे दिए । लेकिन वहां पर 80,000 पौधे खुद जोड़े। मनरेगा से ही उसके पौधों की खरीद होनी है। विभाग को आशा है कि 6 माह के अंदर उसे कम से कम 20 लाख रुपए की आय होगी।
मालूम हो कि मनरेगा से 30 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से खरीद होती है। इस हिसाब से बिक्री के बाद अन्य सभी खर्चों को काटने के बाद भी यह आय संभावित है। अभी राज्य में 198 नर्सरी चल रही हैं। जीविका दीदी ही ये नर्सरी चल रही हैैं। सभी जगह पौधों का बिकना शुरू हो गया है। विभाग के अनुमान के मुताबिक नर्सरियों से 50 लाख से अधिक की आए संभावित है।
ग्रामीण विकास विभाग का प्रयास है कि दीदियो को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए। इसीलिए सरकार यह गारंटी ले रही है कि उनके पौधशाला से कम से कम 20,000 पौधों की खरीद हो जाए। इससे उनको आर्थिक रूप से कोई क्षति नहीं होगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सही तरीके से पैसा कमाने का एक जरिया भी उन्हें मिलेगा। गरीबी दूर करने का एक माध्यम दीदी की नर्सरी भी होगी। इस नर्सरी में कम से कम 7 से 10 लोगों को रोजगार मिलेगा, जो पौधों को जीवित रखने से लेकर मिट्टी, खाद, पानी आदि देने के कार्य में जुटे रहेंगे।