मध्यप्रदेश में विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ी हुई है। इसको लेकर कांग्रेस व भाजपा द्वारा जमकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। प्रचार अभियान तथा विभिन्न विकासकार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण हेतु मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रायसेन जिले के साँची पहुंचे थे। शिवराज सिंह चौहान के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सुश्री उमा भारती भी मौजूद थी।
कार्यक्रम के दौरान सभा स्थल के पास मंचासीन तमाम नेताओं को एक अजीबो-गरीब स्थति का सामना करना पड़ा। दरअसल, हुआ यूँ कि एंटी हार्स ट्रेडिंग फ्रंट के कार्यकर्ताओं द्वारा शिवराज व उमा भारती के सामने ‘बन्द करो मतदान बिक जाते हैं श्रीमान’ जैसे नारे लगने लगे। इस दौरान सुरक्षाकर्मी जब तक नारा लगाने वाले कार्यकर्ताओं को बाहर निकालते तब तक वे अपना काम कर चुके थे।
सांची विधानसभा सीट से कांग्रेस से दल बदल कर भाजपा का दामन थामने वाले सिंधिया खेमे के डॉक्टर प्रभु राम चौधरी को उपचुनाव लड़ना है। सभा को संबोधित करते हुए शिवराज ने कहा कि जनता के जीवन को सुगम बनाना और उनके चेहरे पर मुस्कान लाना ही मेरे राजनीतिक जीवन का परम ध्येय है। जब प्रदेश में इतने सालों बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो हमें लगा कि यह सरकार विकास के कुछ कार्य करेगी। डॉ. प्रभुराम चौधरी अगर जनता की मांगों को लेकर कमलनाथ जी के पास जाते, तो उन्हें भगा दिया जाता था। उनके कार्य ठंडे बस्ते में डाल दिये जाते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा।
मैं 18 सितंबर को दिन के 12 बजे पिछले साल की फसल बीमा के 4,600 करोड़ रुपये 20 लाख किसानों के खातों में डालूंगा। किसान भाइयों, चिंता मत करना, अब कमलनाथ जी मुख्यमंत्री नहीं हैं, शिवराज मुख्यमंत्री है। सभी के नुकसान की भरपाई होगी। हमने गरीबों को एक रुपये किलो गेहूं, चावल, नमक देने की योजना बनाई थी, जिसे कमलनाथ सरकार ने आते ही ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
16 सितंबर से प्रदेश के 37 लाख और गरीबों को एक रुपये किलो गेहूं, चावल, नमक दिया जायेगा। प्रदेश की धरती पर कोई गरीब भूखा नहीं सोयेगा। मैं अपनी गरीब गर्भवती बहनों को लड्डू खाने के लिए रु. 16,000 भेजता था, कमलनाथ जी वो खा गए। मैं गरीब मेधावी छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा के लिए पैसे भेजता था, कमलनाथ जी वो खा गए। गरीबों के कफन के पैसे तक कमलनाथ जी खा गए।
ज्ञातव्य हो कि मार्च महीने में कांग्रेस के 22 विधायक पार्टी से बगावत कर इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके बाद मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।