पटना: राज्य में म्यूटेशन, जमीन की मापी, जमाबंदियों की त्रुटि में सुधार से लेकर भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र पाना अब आसान हो जाएंगे। खासकर अंचलों में सीओ की मनमानी नहीं चलेगी। अब तक अनुमंडल में अंचलाधिकारी ही जमीन की दाखिल खारिज के लिए सर्वे सर्वा होते हैं, पर अब उन पर नकेल कसने के लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता ओं को लगा दिया गया है। ये उनके नियंत्री पदाधिकारी होंगे और दाखिल खारिज, म्यूटेशन के लंबित सभी मामले, ढिलाई के लिए दोनों अफसर जिम्मेदार माने जाएंगे।
कारण राजस्व विभाग ने जमीन संबंधी कामकाज से जुड़े अफसरों के कार्य की ग्रेडिंग एवं उनके मूल्यांकन का काम शुरू कर दिया है। उनसे कामकाज कराने के लिए सिर्फ अफसर को ना सिर्फ जिम्मेदार बनाया गया है बल्कि नंबर देकर उनके काम की ग्रेडिंग भी की जा रही है।
काम के मूल्यांकन और ग्रेडिंग के संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर सूचित कर दिया गया है। यह काम शुरू भी कर दिया गया है और कई जगह इसका असर दिखने भी लगा है।
राजस्व विभाग की उच्चाधिकारियों की बैठक में इस बाबत निर्णय लिए गए हैं। विभाग के विशेष सचिव श्यामल किशोर पाठक को सभी जिलाधिकारियों को भूमि सुधार उप समाहर्ता, अंचलाधिकारी आदि कर्मचारियों के निरंतर मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी दी गई है।
खास बात है कि म्यूटेशन दाखिल खारिज के लंबित मामले को निपटारे के लिए यह कारगर व्यवस्था मानी जा रही है। अब हर अफसर अपने अधीनस्थ अफसर की निगरानी करेगा और उसके लंबित काम की और शिथिलता के लिए उसे भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। खासकर अंचलाधिकारी को जमीन की मापी, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र, पंजी टू, जल निकायों और सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने, दाखिल खारिज आदि के मामले में ्काम के अंक दिए जाएंगे। डीसीएलआर उनका नियंत्रित पदाधिकारी होगा। अनुमंडल स्तर पर सीओ के कामकाज की चेकिंग होगी। पहले हुए सर्वे सर्वा होते थे इसलिए हजारों मामले लंबित रहते थे। अब उनके कार्यों का एसेसमेंट होगा और ढिलाई के लिए कार्रवाई होगी।
सीओ को दाखिल खारिज के निपटारे पर 50 नंबर दिए जाएंगे। उसी प्रकार परिमार्जन पोर्टल के मामलों का निपटारा करने पर 20 नंबर दिए जाएंगे। अन्य सभी कार्यों के भी ग्रेडिंग और रैंकिंग की व्यवस्था की गई है।