बिहार चुनाव : दलितों के लिए क्या है जदयू का ट्रंप कार्ड?

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पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में बिहार के 16 फीसदी दलित वोटरों को साधने की तैयारी शुरू हो गई है। महागठबंधन के बाद अब जदयू ने भी इसको लेकर बड़ी तैयारी कर ली है।

मालूम हो कि कुछ दिन पूर्व ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलित के लिए बड़ी घोषणा की थी। इसके तहत किसी भी दलित की हत्या होने पर परिवार को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया गया है। अब इस घोषणा को गांव तक पहुंचाने की जिम्मेदारी बिहार सरकार के चार दलित मंत्री को दी गई है। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, उद्योग मंत्री महेश्वर हजारी, पथ निर्माण मंत्री संतोष निराला और अनुसूचित जाति जनजाति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।

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सभी चारों मंत्री के ग्रुप में कई दलित नेता शामिल होंगे।सभी दलित नेता अलग अलग तारीख को मुताबिक सभी गांवों का दौरा करेंगे। दलित विधायक गांवों में जाकर नौकरी देने की घोषणा और दलितों के लिए किए सरकार के सभी कामों को लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संभालेंगे।

इस बीच मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि नीतीश सरकार ने दलितों के लिए जितना किया उतना आजतक किसी सरकार ने नहीं किया। नौकरी देने के साथ दलितों के पढ़ाई और स्कॉलरशिप देने का काम नीतीश सरकार ने किया। ऐसी ही बातों को लोगों तक पहुंचाया जाएगा।

चिराग पासवान जैसे दलित चेहरे का सीएम नीतीश पर निशाना के बाद नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपने साथ मिलाकर दलित वोटरों को साधने का बड़ा दाव खेला है। चुनाव मे मांझी को दलित वोटरों के बीच प्रचार के लिए खास तैयारी चल रही है ताकि मांझी दलित वोटरों को जेडीयू के पाले में ला सके।

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