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लापता वेटनरी डॉक्टरों को अब ढूंढ निकालेगी सरकार

इन डॉक्टरों से गांव गांव लिया जाएगा काम

पटना: राज्य के सभी वेटनरी डॉक्टरों को अब अपने कार्य क्षेत्र में जाकर ड्यूटी करनी होगी । गांव में जाकर बीमार पशुओं की चिकित्सा करनी होगी। इस काम में लापरवाही को पकड़ने की राज्य सरकार ने व्यवस्था कर ली है।

अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सभी वेटनरी डॉक्टरों को हाजिरी अब कार्यक्षेत्र में जाकर बनानी होगी। इसके लिए एक मोबाइल ऐप बनाया गया है।

इस मोबाइल ऐप के माध्यम से ही डॉक्टरों को अपने कार्य क्षेत्र से उपस्थिति बनानी होगी। राज्य सरकार जल्द ही सभी सभी डॉक्टरों को सरकारी मोबाइल खरीद कर देगी। उसके लिए एक अलग सिम कार्ड भी दिया जाएगा।

मोबाइल में लगा जीपीएस पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मुख्यालय के सरवर से जुड़ा होगा। इसी माध्यम से डॉक्टरों का लोकेशन पता लगा लिया जाएगा।

यहां तक कि दिन भर क्या किया और उनके सभी मूवमेंट का पता लगा लिया जाएगा। विभाग सभी डॉक्टरों के कार्यकलापों पर भी नजर रखेगा। कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के कारण सरकारी स्तर से मोबाइल की खरीद में कुछ विलंब हो गई है लेकिन अब उसकी प्रक्रिया शुरू की गई है।

कितने डॉक्टर हैं –

राज्य में अभी 1188 कार्य रत वेटनरी डॉक्टर हैं। जबकि 1793 स्वीकृत पद है । मोबाइल ऐप से पशु चिकित्सकों पर कारगर निगरानी की जा सकेगी।

प्राथमिक दुग्ध समितियों और गौशाला में लगाई गई ड्यूटी-

बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों एवं अन्य स्थानों पर पशुओं की चिकित्सा में लगातार लापरवाही की खबरों के बाद राज्य सरकार ने वेटरनरी डॉक्टर पर नकेल करने का निर्णय लिया है।

मंत्री प्रेम कुमार ने अपने क्षेत्र भ्रमण के बाद इसे देखा और अधिकतर जगह पशुपालकों ने इस मामले में शिकायत भी की है। मंत्री ने सभी डॉक्टरों को सप्ताह में कम से कम 3 दिन गोशाला में ड्यूटी करने और वहीं रजिस्टर पर भी हाजिरी बनाने का आदेश जारी किया है।

इसके अलावा सभी प्राथमिक दुग्ध समितियों के सदस्यों के घर पर बीमार पशुओं की चिकित्सा करने का निर्देश दिया गया है। सभी जिलों में जिला पशुपालन पदाधिकारियों को वहां की दुग्ध समितियों के सदस्यों अध्यक्ष और सचिव का एक व्हाट्सएप ग्रुप तैयार करने का निर्देश दिया गया है। जिसमें किसी भी सदस्य के यहां बीमार पशुओं की थी जानकारी मिलने पर वेटनरी डाक्टरों को इलाज के लिए तुरंत प्रस्थान करना पड़ेगा। उसी प्रकार गोशालाओं में सप्ताह में 3 दिन जाकर बीमार पशुओं की चिकित्सा, वर्तमान पशुओं का स्टेटस आदि पूरा ब्यौरा भरना पड़ेगा।

कामकाज में ढिलाई या लापरवाही की शिकायत मिलने पर संबंधित डॉक्टर से लेकर जिला पशुपालन पदाधिकारी पर भी कार्यवाही की जाएगी ।उनके कामकाज को मॉनिटर करने के लिए मुख्यालय स्तर पर भी व्यवस्था की गई है।