रधुवंश बाबू के पार्टी छोड़ने से रामा सिंह का राजद में जाने का रास्ता अब आसान हो गया है। पर, तेजस्वी राघोपुर में चारों ओर से घिर सकते हैं। राघोपुर में यादव के बाद दूसरे नम्बर पर वोटर राजपूत ही हैं। कुछ तो रघुवंश बाबू के अत्यन्त करीबी और कुछ भोला बाबू के खासमखास। ऐसे में तेजस्वी दोनों ओर से जा सकते हैं। रघुवंश की तो दोनों जातियों पर गंभीर पकड़ रही है और भोला बाबू का ऐलानिया विद्रोह से तेजस्वी मुसीबत में पड़ सकते हैं।
दरअसल, लालू प्रसाद के करीबी रहे भोला प्रसाद ने भी राजद के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए एनडीए में आने की घोषणा कर दी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि तेजस्वी और तेजप्रताप का व्यवहार पार्टी कार्यकर्ताओं ठीक नहीं। ऐसे में जो वर्षों से पार्टी का झण्डा ढोया, उसके सम्मान पर ठेस पहुंच रहा है। भोला बाबू द्वारा पार्टी त्याग को विश्लेषक विस्फोटक मान रहे हैं। कारण-राघोपुर से मजबूत पकड़ रखने वाले भोला बाबू तेजस्वी के लिए घातक बन सकते हैं।
ये वही भोला बाबू हैं जो लालू के कहने पर 1995 में राघोपुर सीट छोडे़ थे। इसके पहले 1980 से 1995 तक वे लगातार उस सीट से जीत दर्ज करते थे। 1995 में राबड़ी देवी उसी सीट से चुनाव जीतीं और फिर 2015 में तेजस्वी प्रसाद ने वहां जीत दर्ज की। लेकिन, अब जनता की नाराजगी तथा रघुवंश प्रसाद सिंह व भोला राय के जाने के बाद राघोपुर में तेजस्वी की राह मुश्किल हो सकती है।