पटना: राज्य में जीविका दीदियों के कामकाज का दायरा बढ़ने लगा है। इन दीदियों ने सरकारी योजनाओं की सोशल ऑडिटिंग का भी काम शुरू कर दिया है। उनके निष्पक्ष अंकेक्षण से कई जगह अनियमितता सामने भी आने लगी है।
उनकी सक्रियता से विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन से जुड़े अफसरों और ठेकेदारों पर भी इसका असर देखा जा रहा है। ढाई दर्जन जिलों में वे करीब 4 हजार पंचायतों में ऑडिट का काम कर रही हैं। दीदियों ने मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, शौचालय निर्माण आदि कार्यों की सोशल ऑडिट शुरू कर दी है।
योजनाओं के कार्यान्वयन में हो रहे काम के आकलन एवं जांच का काम हो रहा है। खास बात यह है कि पांच हजार दीदियों को सोशल ऑडिट में प्रशिक्षण के बाद दक्ष बना दिया गया है। ये दीदियां क्षेत्र में जाकर चल रहे योजनाओं की जांच करती हैं। उसकी गुणवत्ता का आकलन करती हैं और अपनी रिपोर्ट भी देती हैं। लाभुकों से बात करती हैं संरचनाओं की जानकारी कुल खर्च आदि के संबंध में पंचायतों में आयोजित सभा में सारी बातें की पूछताछ करती हैं । तब अपनी रिपोर्ट देती हैं।
कुछ अन्य सरकारी विभाग भी जीविका दीदियों से सामान्य ऑडिट कराना चाह रहे हैं। जिलों में सोशल ऑडिट सोसायटी की ओर से उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। रिपोर्ट बनाना, एमआईएस चेक करना, संवाद स्थापित करना संबंधित स्कीम की जानकारी देकर उन्हें भी दक्ष बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास सहायक मनरेगा कर्मियों आदि में एक प्रकार का भय इन दिनों से रहता है। वे इस बात की पूछताछ भी करती हैं कितना पैसा मिला, कब मिला, आवास बना कि नहीं क्या कठिनाई है।
बीते वर्ष में सोशल ऑडिट करने से दीदियों को 9.40 करोड़ का मानदेय भी प्राप्त हुआ है। समस्तीपुर, नालंदा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में ये दीदियां काफी अच्छा काम कर रही हैं। मालूम हो कि लॉकडाउन के दौरान जीविका दीदियों ने काफी अच्छा काम किया। लॉकडाउन वन में उन्होंने मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया। पहले 1 महीने में ही 2 करोड़ से अधिक मास्क बना दिए।