पटना : राजधानी के गांधी मैदान में आज निषाद समुदाय का महारैला आयोजित करने वाले और तथाकथित मल्लाहों के मसीहा कहलाने का शौक रखने वाले मुकेश साहनी वास्तव में कौन हैं? अब जबकि 2019 का लोकसभा चुनाव मुहाने पर है, ऐसे में बिहार में आइडेंटिटी पॉलिटिक्स जैसे हथकंडों की एक बार फिर शुरुआत हो गई है। जाति की पॉलिटिक्स के जरिए संसद पहुंचा उतना आसान भी नहीं। इसके लिए या तो पार्टी का बैकअप चाहिए या फिर पैसे का। बिना पैसा आप न भीड़ जुटा सकते हैं, न राजनीति कर सकते हैं। लेकिन सन आॅफ मल्लाह मुकेश साहनी के लिए कुछ भी असंभव नहीं। क्योंकि ‘मल्लाहों के इस सन’ को किसी चीज की कमी नहीं है। आइए जानते हैं क्या है मुकेश के ठाट—बाट का राज?
मुकेश साहनी के ठाट की पहली गवाही राजनीतिक मकसद से उनके द्वारा तैयार कराया गया ‘लग्जरी रथ’ से मिलती है। उनका यह रथ पूरी तरह साधन संपन्न एवं बातानुकुलित तथा सुख—सुविधाओं से परिपूर्ण है। यही नहीं, उनके रथ का डिजाइन भी साल—दर—साल बदल जाता है। यानी करोड़ों का खर्च मिनटों में। अब यह सब फ्री में तो होता नहीं।
दरअसल निषाद समुदाय के हित की बात करने व उन्हें आरक्षण दिलाने का वायदा करने वाले मुकेश साहनी का तगड़ा बालीवुड कनेक्शन है। अपने महलनुमा रथ पर बैठकर पटना में महारैला का आगाज करने पहुंचे मुकेश वास्तव में मुंबई फिल्म इंडस्ट्री की जानी—पहचानी शख्सियत हैं। देवदास, बजरंगी भाईजान आदि फिल्मों में वे छोटा—मोटा किरदार निभाते नजर आये थे। यही नहीं उन्होंने प्रेमरतन धन पायो फिल्म का सेट भी डिजाईन किया था। टीवी शो बिग बॉस के सेट का डिजाइन भी उन्हीं के द्वारा किए जाने की चर्चा है। फिल्मों से उन्हें जब काफी पैसा आ गया तब उन्होंने ठाट की जिंदगी को चार चांद लगाने के लिए राजनीति का रुख करने के बारे में सोचा। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पहली बार बिहार के दरभंगा में रैली की। यह उनके बिहार की सक्रिय राजनीति में पहला कदम था। इसबीच उन्होंने पार्टियों का भी दरवाजा खटखटाया। वे लालू, नीतीश और भाजपा हाईकमान, सभी से मिले। सभी को उनका समर्थन तो मंजूर था, पर वे इतनी जल्दी मुकेश को कोई अहम उभार देने से कतराते रहे। ऐसे में मुकेश का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने आज अपनी खुद की नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया।
आज गांधी मैदान में बिहार के विभिन्न जिलों से निषाद समुदाय का जनसैलाब पटना की सड़कों पर उमड़ता हुआ नजर आया। मिथिलांचल निवासी मुकेश साहनी बिहार की सक्रिय राजनीति में मल्लाहों को आरक्षित वर्ग में शामिल कराने की राजनीति को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इस लक्ष्य की पूर्ति में वे पिछले एक साल से लगे हुए हैं। बिहार में मल्लाहों का पांच फीसदी वोट बैंक है, जिसको लक्षित कर साहनी संसद भवन में मल्लाहों का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। मुकेश साहनी 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार कैंपेनर की भूमिका में नजर आये थे। अब साहनी की नजर 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतकर बिहार में नए चेहरे के रूप में खुद उभरने और स्थापित होने की है। साहनी के कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों की मानें तो साहनी बिहार में मुख्यमंत्री बनने का मादृा रखते हैं। अब देखना यह है कि साहनी लोगों का भरोसा जीतने में किस हद तक सफल होते है और जनता इन्हें असली सन ऑफ मल्लाह के रूप में स्वीकार करती है या नहीं।
सत्यम दुबे/सोनू कुमार