पटना: पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने उनके निधन को भारतीय राजनीति में एक युग का अवसान करार दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति व वरिष्ठ राजनेता प्रणव मुखर्जी भारतीय राजनीति के प्रमुख आधार स्तंभों में से एक थे। यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि अब वह हमारे बीच नहीं रहे।
उनके निधन से देश ने एक ईमानदार, उदार तथा उत्कृष्ट राजनेता को खो दिया है। उनके जाने से भारतीय राजनीति में एक बड़ा शून्य उभरा है, जिसे जल्द भरा नही जा सकेगा। एक प्रखर वक्ता और मिलनसार राजनेता के तौर पर उन्होंने भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता की छवि बनायी थी, जिसकी तारीफ करते हुए विपक्षी भी नही अघाते थे। शुचिता और स्पष्टवादिता की प्रखर प्रतिमूर्ति माने जाने वाले प्रणव मुखर्जी के तर्कों, ज्ञान और वाकपटुता का लोहा सभी मान थे। उनके देहावसान से भारतीय राजनीति ने एक अनमोल रत्न खो दिया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रणव मुखर्जी उन बिरले राजनेताओं में से एक थे, जिन्होंने अपने अथक परिश्रम और कार्यकुशलता से भारतीय राजनीति में शीर्ष तक का सफ़र तय किया। उनके लिए हमेशा ही राष्ट्र सर्वोपरि रहा। सन् 1984 में वह पहली बार भारत के वित्त मंत्री बने।
उनकी कार्यक्षमता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसी साल यूरोमनी पत्रिका ने अपने एक सर्वेक्षण में उन्हें विश्व का सबसे अच्छा वित्त मंत्री करार दिया था। 1997 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद चुना गया। इसके अलावा उन्हें रक्षा, वित्त, विदेश विषयक मन्त्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग, समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रालयों के मन्त्री होने का गौरव भी हासिल था।
उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भले ही अलग-अलग राजनीतिक धाराओं से संबंध रहा, लेकिन विचारधारा के दो अलग ध्रुवों पर रहने के बावजूद दोनों एक-दूसरे का बेहद सम्मान करते रहे। प्रणव मुखर्जी जहां पीएम मोदी की काम करने की शैली के प्रशंसक रहे।
वहीं दूसरी ओर, पीएम मोदी भी प्रणब मुखर्जी को अपना मार्गदर्शक और अभिभावक मानते थे। राष्ट्रपति भवन में प्रणब मुखर्जी के आखिरी दिन पीएम मोदी ने उन्हें एक भावुक पत्र लिखा था, तो प्रणब दा ने संसद के सेंट्रल हॉल में अपने विदाई समारोह के दौरान पीएम मोदी को बेहद कर्मठ और ऊर्जावान नेता बताते हुए उनके प्रति अपने हार्दिक उद्गार व्यक्त किए थे। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के तौर पर प्रणब मुखर्जी और नरेन्द्र मोदी के परस्पर आदरपूर्ण और सहयोगात्मक रुख को हमेशा याद किया जाएगा।