नए समीकरण की तलाश में राजद
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपने अनुसार समीकरण तैयार करने में जुट गई है। एम-वाई समीकरण पर निर्भर राजद इस बार नए समीकरण बनाने में जुट गई है। नए समीकरण बनाने की शुरुआत नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार की जनता से सार्वजनिक माफ़ी मांगते हुए कर दी थी।
15 साल के कार्यकाल को लेकर सार्वजनिक माफ़ी
इस दौरान तेजस्वी यादव ने कहा था कि ठीक है 15 साल हम लोग सत्ता में रहे। पर हम तब सरकार नहीं थे, हम तो छोटे थे पर इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि, लालू जी ने सामाजिक न्याय नहीं किया। उन 15 सालों में हमसे कोई भूल हुई हो तो हम उसके लिए भी माफी मांगते हैं।
लेकिन, राजद ने मोदी सरकार द्वारा गरीब सवर्णों को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण के विरोध को लेकर माफ़ी नहीं मांगी। इसका नतीजा यह हुआ कि लोकसभा के चुनाव में सवर्ण बहुल सीटों पर राजद को नुकसान उठाना पड़ा और परिणामस्वरूप राजद को पहली दफा लोकसभा चुनाव में शून्य से संतुष्ट होना पड़ा। लेकिन, अब राजद इस गलती को सुधारने के लिए काम करना शुरू कर दिया है।
रघुवंश के विरोध के बावजूद रामा की एंट्री
लोकसभा के नतीजों से सीख लेते हुए राजद ने विधानसभा चुनाव में इस गलती को दूर करने के लिए जदयू व भाजपा से बिदके सवर्ण नेताओं को अपने पाले में लाने के लिए काम करना शुरू कर दी है। इस क्रम में सबसे पहले राजद ने वैशाली क्षेत्र के बाहुबली व पूर्व सांसद रामा सिंह को रघुवंश प्रसाद सिंह के विरोध के बावजूद पार्टी में शामिल करने को आतुर दिख रही है। इसका परिणाम यह होगा कि 2 से 3 विधानसभा क्षेत्रों में राजपूतों का वोट राजद में शिफ्ट हो सकता है !
जयप्रकाश का फिक्र छोड़ पुतुल पर नजर
इससे कड़ी में अगला नाम सामने आ रहा है पुतुल कुमारी का, जो कि पूर्व में बांका लोकसभा से सांसद रह चुकी है तथा जमुई व बांका जिले में राजपूत वोटरों पर काफी पकड़ है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 2019 में जदयू-भाजपा गठबंधन व मोदी लेकर के बावजूद निर्दली चुनाव लड़ते हुए 1 लाख से अधिक वोट लाई थी। लेकिन, गठबंधन धर्म निभाने के कारण भाजपा को मजबूरन व बिहार भाजपा के एक बड़े नेताओं के इशारे पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।
लेकिन, अब पुतुल कुमारी 3 सितम्बर के बाद कभी भी अपनी बेटी श्रेयसी सिंह जो कि अंतर्राष्ट्रीय शूटर हैं उनके साथ राबड़ी देवी की मौजूदगी में राजद में शामिल हो सकती है। अगर पुतुल कुमारी राजद में शामिल होती है तो बांका व जमुई लोकसभा के अंतर्गत 4 से 5 विधानसभा सीटों पर राजद को फायदा हो सकता है। यह अलग बात है कि पुतुल के राजद में आने के बाद लालू के जमाने से राजद का साथ देते रहे जयप्रकाश नारायण यादव की राह मुश्किल हो सकती है।
इसी कड़ी में अगला नाम सामने आ रहा है जमुई से ताल्लुक रखने वाले राजपूत नेता नरेंद्र सिंह का, उनके बारे में भी कहा जा रहा है कि वे भी राजद में शामिल होने के जुगत में हैं।
अनंत से अनंत आकांक्षाएं
इस कड़ी में सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण नाम है मोकामा के विधायक व बाहुबली छवि के नेता अनंत सिंह। अनंत सिंह के बारे में कहा जा रहा है कि राजद के कुछ नेता उनके संपर्क में हैं और वे इसबारे राजद के चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ सकते हैं। बाहुबली नेता अनत सिंह के बारे में यह कहा जाता है कहा कि जदयू के कद्दावर भूमिहार नेता ललन सिंह को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो उस नेता के रूप में एक ही नाम सामने आता है अनंत सिंह का। अगर अनंत सिंह राजद में शामिल होते हैं तो मोकामा, बाढ़, बरबीघा जैसे क्षेत्रों में महागठबंधन के उम्मीदवारों को काफी फायदा हो सकता है।
हालांकि इनमें से अभी तक कोई भी नेता राजद का दामन नहीं थामे हैं। लेकिन, यह चर्चा तेज है कि ये सारे नेता सितम्बर के दूसरे सप्ताह के बाद राजद में शामिल हो सकते हैं और शामिल होने के बाद निश्चित रूप से यह राजद के लिए नए समीकरण की शुरुआत कही जा सकती है !