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राकेश सिन्हा ने राहुल से पूछा, क्या श्रीराम मंदिर पर प्राइवेट बिल का समर्थन करेंगे?

पटना/नयी दिल्ली : अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का मुद्दा एक बार गरमाने लगा है। इसके शीघ्र निर्माण को लेकर लगातार उठती मांगों के बीच आज राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि वे इस पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने की सोच रहे हैं। गुरुवार को राकेश सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि जो लोग बीजेपी और आरएसएस को उलाहना दे रहे हैं कि राम मंदिर की तारीख बताएं, क्या वह उनके इस मामले पर प्राइवेट बिल लाने का समर्थन करेंगे।

उन्होंने लिखा कि अब समय आ गया है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। राज्यसभा सांसद ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिर आर्टिकल 377, जलीकट्टू, सबरीमाला पर निर्णय लेने पर कितने दिन लिए? अयोध्या का मामला उनकी प्राथमिकताओं में नहीं है, लेकिन हिंदुओं की प्राथमिकता में वह जरूर है।
उन्होंने ट्विटर के जरिए ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद यादव और मायावती से सीधा सवाल किया कि क्या वह उनके इस बिल का समर्थन करेंगे। वे लगातार बीजेपी और संघ पर मंदिर निर्माण की तारीख नहीं बताने का आरोप लगाते रहे हैं। मैं प्राइवेट बिल लाने को तैयार हूं, क्या अब वह जवाब देंगे।

राकेश के नए मूव पर क्या कहतें हैं विभिन्न पर्टियों के नेता

राकेश सिन्हा के इस बिल पर शिवसेना का कहना है कि अगर इस प्रकार का बिल संसद में पेश किया जाता है तो वह समर्थन करेंगे। वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता का कहना है कि अगर कोई सांसद प्राइवेट बिल ला रहा है तो क्या बीजेपी और आरएसएस का बतौर संगठन ये मुद्दा खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि हमारा स्टैंड साफ है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे और वही मानेंगे।
बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने इस मुद्दे पर कहा कि कोर्ट के निर्णय का इंतजार किए बिना मंदिर निर्माण शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रश्न है, पानी सर से उतर चुका है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है और देर से हुआ न्याय भी किसी अन्याय से कम नहीं होता।

जानिए क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल

लोकसभा और राज्यसभा में जो सांसद मंत्री नहीं है वह एक निजी सदस्य कहलाता है। लोकसभा में ऐसे सदस्यों की ओर से पेश किए गए विधेयक को निजी विधेयक कहते हैं। हालांकि निजी विधेयक के पारित होने की सम्भावना कम होती है। प्रत्येक शुक्रवार को संसदीय कार्यवाही के आखिरी दो या ढाई घंटों का समय निजी बिल के लिए तय रहता है।