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12 अगस्त : मधुबनी की मुख्य ख़बरें

सामान्य सर्दी, खांसी व बुखार होने पर न घबराएं

मधुबनी : वैश्विक महामारी बन कर उभरी कोरोना वायरस का प्रकोप भारत में बढ़ता ही चला जा रहा है। देश में कोविड उपचाराधीन मरीज़ों की संख्या लाखों हो चुकी है. यद्यपि, ऐसे माहौल में सभी लोगों को कोरोना से सतर्क रहने की जरूरत है लेकिन बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

बच्चों की सेहत का रखें ख्याल:

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ० अमित कुमार ने बताया बड़े लोगों की तुलना में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता थोड़ी कम होती है. ऐसी स्थिति में अभिभावकों को अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर रखने की जरूरत होती है।

डॉ० कुमार ने बताया सामान्य सर्दी, खांसी व बुखार होने पर अभिभावक घबरा जाते हैं, जबकि ये लक्ष्ण लक्षण कोरोना की हो यह जरूरी नहीं है। इस परिस्थिति में निकट के प्रखंड अस्पताल व सरकारी अस्पताल में जाकर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों से उपचार शुरू कर देनी चाहिए, ताकि ससमय चिकित्सकीय उपचार मिलने से बच्चा स्वस्थ हो सके। लोगों को उपलब्ध सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेना चाहिए।

सामान्य सर्दी खांसी व बुखार होने पर ले चिकित्सक से सलाह:

डॉ० अमित कुमार ने बताया मौसम में परिवर्तन के कारण बच्चे सामान्य रूप से बीमार पड़ रहे हैं. इस दौरान उनको सर्दी, खांसी व बुखार आदि की शिकायत हो जाती है। ऐसी परेशानियां होने पर उनको सामान्य चिकित्सा की आवश्यकता होती है। जांच के उपरांत दवा चलने पर बच्चा स्वस्थ हो सकता है। साथ ही चिकित्सक की सलाह पर यदि जरूरत पड़े तो कोरोना की जांच करा सकते हैं. कोरोना की जांच चिकित्सक की सलाह पर ही कराएं. चिकित्सक खुद पूछताछ के आधार पर बच्चे की कोरोना जांच की सलाह देंगे। अन्यथा चिकित्सक के द्वारा सामान्य उपचार की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। थोड़ी दिन बाद बच्चा बिल्कुल स्वस्थ हो जाएगा।

निकट के आंगनवाड़ी से कर सकते संपर्क:

स्वास्थ्य विभाग बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कृत संकल्पित है। इसे लेकर कई स्वास्थ्य कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। इसके अंतर्गत विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण संबंधी जानकारी दी जाती है. यदि बच्चा बीमार पड़ जाए तो अभिभावकों को घबराना नहीं चाहिए। इसके लिए आशा व एएनएम से जानकारी प्राप्त की जा सकती है एवं उनके सलाह पर अभिभावक आगे के कदम उठा सकते हैं. विशेष परिस्थिति होने पर निकट के पीएससी से संपर्क कर नि:शुल्क एंबुलेंस की सेवा प्राप्त कर सकते हैं। प्रखंड अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है।

बच्चों का कराए टीकाकरण:

कोरोना संक्रमण के दौरान सभी स्वास्थ्य सेवाएं समुचित रूप से संचालित किए जा रहे हैं ।कंटेनमेंट जोन को छोड़कर सभी जगह टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। विभिन्न सत्र स्थानों पर जाकर बच्चों का टीकाकरण कराएं ।इससे बच्चों को बहुत सारे खतरनाक बीमारियों से बचाया जा सकता है। टीकाकरण से बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है कोरोना संक्रमण के इस समय में टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है।

मास्क पहनने की डालें आदत:

कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। संक्रमण के फैलाव के मद्देनजर सरकारी दिशा निर्देश का पालन करना बहुत ही जरूरी है। बाहर निकलने पर तुरंत मास्क पहनना चाहिए। साथ ही मास्क को बार-बार चेहरे से ऊपर-नीचे करने से बचना चाहिए. इससे संक्रमण फ़ैलाने का खतरा बढ़ जाता है. बाहर अनजान लोगों से 2 मीटर की दूरी बनाए रखनी चाहिए। अस्पताल पहुंचने पर अन्य रोगियों से दूरी बनाए रखना जरूरी है। अनावश्यक चीजों को छूना खतरनाक साबित हो सकता है, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। लिहाजा संक्रमण की स्थिति में लोगों को घर से बाहर जाने पर सतर्कता बरतनी जरूरी है। वापस घर आने पर तुरंत अपनी मास्क को दूर रखना चाहिए। चेहरे को धो लें। एवं हाथ को भी साबुन से 30 सेकंड तक रगड़ कर साफ़ कर लेना बेहतर होगा। उसके बाद ही घर में प्रवेश करना चाहिए, ताकि संक्रमण का फैलाव घर तक ना आए।

अज्ञात वाहन ने 16 वर्षीय बालक को रौंदा, परिवार में पसरा मातम

मधुबनी : झंझारपुर में एन०एच०-57 पर मौत का कहर जारी है। पिछले एक महीने में सात सड़क हादसा से लोगों का दिल दहल गया। रक्षा बंधन के दिन एक ही परिवार में तीन लोगों के दर्दनाक मौत ने लोगों को झंकझोर कर रख दिया।

सोमवार की देर शाम फुलपरास थाना क्षेत्र के खोपा पेट्रोल पंप के निकट एन०एच०-57 पर अज्ञात वाहन के चपेट में आने से खुटौना थाना क्षेत्र के खुशियालपट्टी गांव निवासी सचिन कुमार (16) की दर्दनाक मौत हो गयी। मौत के बाद से परिवार में मातम पसरा हुआ है। मौत की खबर सुनते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। जानकारी के मुताबिक मृतक अपने निजी वाहन से झंझारपुर से दवा लेकर अपने घर लौट रहा था, किसी अज्ञात वाहन के चपेट में आने से उक्त युवक की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी।

घटना की खबर मिलते ही फुलपरास थाना पुलिस ने घटना स्थल पर पहुँचकर शव को अपने कब्जे में लेकर फुलपरास अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

इस बाबत थानाध्यक्ष महफूज आलम ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए मधुबनी भेज दिया गया है। इनके मौत पर लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। वहीं, पूर्व उप मुखिया राम भविष्य राय ने कहा कि सचिन बहुत ही सभ्य, हंसमुख और होनहार लड़का था। राष्ट्रीय अमात विकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कंटिर राय ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि आज मैंने एक उर्जावान नौजवान समांग को खो दिया। संरक्षक डा० एम०एन० राय, कोषाध्यक्ष डा० एस०डी० राय, जिलाध्यक्ष संजय कुमार राय, सुरेश राय, शंभू राय और डा० एल०के० राय समेत कई लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

मंदिर निर्माण को ले किया गय भूमि पूजन, ग्रामीणों में हर्ष

मधुबनी : झंझारपुर प्रखंड के संग्राम पंचायत के अररिया पश्चिमी मंडल टोला में कृष्ण जन्म अष्टमी के पावन अवसर मंगलवार के अहले सुबह गणमान्य व्यक्तियों के हाथों भूमि पूजन कर मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया गया।

भूमि पूजन के ऐतिहासिक पल देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमर पड़ी बाद में पूजा कमेटी ने लोगों को समझा बुझाकर वापस घर भेज दिया और फिर फेसबुक लाइव के माध्यम से भूमि पूजन का लाइव प्रसारण किया गया। शिक्षक संजीव मंडल ने बताया कि बजरंग बली और राजा सलहेस का ज्वाइंट मंदिर निर्माण को लेकर भूमि पूजन किया गया जिससे ग्रामीणों में खुशी की लहर है, और आज का दिन अररिया संग्राम के इतिहास में दर्ज हो गया। इस अवसर पर डीलर शंकर मंडल, राजू मंडल, मनोज मंडल समेत दर्जनों लोग मौजूद थे।

कोरोना महामारी में मन रहेगा स्वस्थ, तभी बच्चे की सेहत रहेगी दुरुस्त

मधुबनी : गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद मानसिक स्वास्थ्य का बेहतर रहना स्वस्थ मां और शिशु दोनों के लिए जरूरी है। कोरोना के तेजी से बढ़ते प्रकोप के बीच गर्भवती महिलाओं और प्रसूताओं की मानसिक तकलीफें बढ़ी हैं। इससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर बढ़ने की संभावना भी बढ़ी है. साथ में स्तनपान कराने वाली माताओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. इस लिहाज से गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

संक्रमण से डरे नही, रहें सावधान:

कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण गर्भवती महिलाओं की मानसिक परेशानियाँ बढ़ी है. गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर संक्रमण का प्रभाव, संस्थागत प्रसव कराने एवं प्रसव पूर्व जाँच के लिए अस्पताल जाने में भय जैसी समस्याओं के ही कारण उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. यद्यपि, आम लोगों की तरह संक्रमण फैलने का खतरा गर्भवती महिलाओं को भी है. लेकिन अभी तक किसी प्रमाणिक शोध से इस बात की पुष्टि नहीं हुयी है कि गर्भस्थ शिशु को माँ के जरिये संक्रमण फैल सकता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को अधिक डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि कोरोना से बचाव के उपायों का सतर्कता से पालन करने की जरूरत है।

खुद को प्रोत्साहित करना होगा:

मनोचिकित्सक डॉ० सुनील कुमार ने बताया गर्भवती महिलाओं को अधिक सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है. ऐसे दौर में जहाँ प्रत्येक दिन कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं, उन्हें बढ़ते मामलों की जगह कोरोना से ठीक होने वाले लोगों के आंकड़ों को जानने का प्रयास करना चाहिए. इससे उन्हें खुद को सकारात्मक रखने में मदद मिलेगी. साथ ही कोरोना काल में भी अधिकांश प्रसव सुरक्षित ही हो रहे हैं. इसलिए उन्हें प्रसव को लेकर भी डरने की जरूरत नहीं है. गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे घर में लोगों से संवाद करती रहें. न्यूज़ चैनल पर कोरोना की ख़बरों को अधिक देखने से बचें एवं पौष्टिक आहार का सेवन जारी रखें. गर्भावस्था के दौरान योग एवं ध्यान भी मानसिक परेशानियों को दूर करने में सहायक हो सकता है।

ज़रूरी होने पर अस्पताल जाएं:

गर्भावस्था के दौरान बेवजह महिलाओं को अस्पताल जाने से बचना चाहिए. इस दौरान महिलाएं चिकित्सक के संपर्क में रहें एवं उनसे कॉल पर भी बात करते रहें. यदि कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तभी अस्पताल जाएं. प्रसव पूर्व जाँच गर्भावस्था के दौरान जरुरी है. इसके लिए आशा एवं एएनएम के संपर्क में रहें एवं नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या आरोग्य दिवस पर प्रसव पूर्व जाँच जरुर कराएँ.अस्पताल में संक्रमण के मद्देनजर सावधान रहें। बिना मास्क पहने अस्पताल न जाएँ. संभव हो तो साथ में सैनिटाइजर भी रखें एवं इसका इस्तेमाल करते रहें. अन्य मरीज़ों से दूरी बनाकर रखे। अनावश्यक चीजों को मत छुए। डॉक्टर से मिलने के बाद तुरंत घर लौट जाएं।घर वापस आने के बाद साबुन एवं पानी से 30 सेकंड तक हाथों को अच्छी तरह साफ़ करें. उसके बाद ही सामान्य कार्य करें।

संस्थागत प्रसव की पूर्व में करें तैयारी:

कोरोना संक्रमण के इस दौर में संस्थागत प्रसव की पूर्व में तैयारी करना काफ़ी जरुरी है. इसके लिए गर्भवती महिला के परिवार को अधिक सजग रहने की जरूरत है. आशा एवं एएनएम को प्रसव की संभावित तिथि के बारे में पहले से सूचित करें यदि उन्हें इसकी जानकारी नहीं हो तो. साथ ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भी आशा एवं एएनएम के सहयोग से प्रसव सेवाओं की जानकारी भी प्राप्त कर लें. कोरोना के मद्देनजर सरकार ने गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस की विशेष सुविधा उपलब्ध करा रही है. इसके विषय में भी पूरी जानकारी रखें. एम्बुलेंस का नंबर एवं क्षेत्र की आशा एवं एएनएम का मोबाइल नंबर अपने पास जरुर रखें।

कोरोना संकट : डीबी कॉलेज में होगा ऑनलाइन एडमिशन

मधुबनी : कोरोना संकट और लाकडाउन के बिच विधार्थीयों के सेहत और सुरक्षा के दृष्टिकोण से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की आनुषंगिक इकाई डी०बी० कॉलेज ने आनलाईन दाखिला करना प्रारम्भ कर मधुबनी जनपद का पहला महाविद्यालय बनने का गौरव प्राप्त किया है, महाविद्यालय ने पिछले वर्ष 10-11 अगस्त को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन भी किया था, इस वर्ष पुनः 10 अगस्त को आनलाईन दाखिला प्रारम्भ कर दिया है।

महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा० नंद कुमार ने बताया कि, लाकडाउन व कोरोना संकट के मध्य आम जनमानस का घर से बाहर निकलना मुश्किल है। इस परिस्थिति में विधार्थीयों के सेहत और सुरक्षा को देखते हुए 10 अगस्त से महाविद्यालय की वेबसाइट www.dbcollage.co.in,
https://admission.dbcollege.org/check-univers…

जिले के 3955 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 52712 पैकेट सुधा दूध हुआ आवंटित

•गृह भ्रमण कर सेविका द्वारा घर-घर जाकर वितरित किया जा रहा दूध
•03 से 06 वर्ष तक के बच्चे होंगे लाभान्वित

मधुबनी : कोरोना काल में भी बच्चों के बेहतर पोषण पर ध्यान दिया जा रहा है. जिले में आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से सुधा दूध का पाउडर घर-घर जाकर वितरित किया जा रहा है. दूध पाउडर में मौजूद पोषक तत्व बच्चों को कुपोषण मुक्त एवं सेहतमंद बनाने में पूर्व से ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है. जिले में दूध वितरण की शुरुआत करते हुए प्रखंड बाल विकास परियोजना कार्यालय के माध्यम से जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों के लिए सुधा दूध पाउडर उपलब्ध करवाया जा रहा है।

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी आईसीडीएस रश्मि वर्मा ने बताया ग्रामीण इलाकों में कुपोषण की दर में कमी लाने के लिए 03 से 06 साल के बच्चों को प्रत्येक बुधवार को 150 ग्राम दूध पिलाने का प्रावधान किया गया है। कॉम्फेड द्वारा सुधा दुग्ध पाउडर की आपूर्ति की जा रही है।

1.46 लाख से ज्यादा बच्चों को मिलेगा लाभ :

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया वर्तमान में जिले में 3955 आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन किया जा रहा है, जिसमें सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में 1.46 लाख बच्चों को सुधा दूध का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं जिले को 52712 पैकेट सुधा दूध आवंटित किया गया है.

गृहभ्रमण कर घर-घर वितरित किया जा रहा है दूध पाउडर:

आईसीडीएस के जिला समन्वयक स्मित प्रतिक सिन्हा ने बताया कोरोना संक्रमण के कारण आंगनवाड़ी केंद्र बंद होने से आंगनबाड़ी सेविका द्वारा घर- घर जाकर सुधा दूध पाउडर का वितरण किया जा रहा है. प्रत्येक बच्चे को 18 ग्राम दूध पाउडर 150 मिलीलीटर शुद्व पेयजल में घोलकर पिलाने का प्रावधान किया गया है. यद्यपि, आंगनबाड़ी केन्द्रों में आने वाले बच्चों को प्रत्येक शुक्रवार को एक अंडा देने की भी व्यवस्था की गयी है। सरकार की इस पहल से कुपोषण पर लगाम लगाने में मदद मिल रही है.

सीडीपीओ को दिया जा चुका है प्रशिक्षण :

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी रश्मि वर्मा ने बताया सुधा दूध पाउडर उन बच्चों के लिए अधिक लाभप्रद हो रहा है जिन्हें आसानी से घर में दूध उपलब्ध नहीं हो पाता है. सुधा दूध पाउडर बनाने की विधि समझाने एवं लक्षित बच्चों को इसका लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से जिले के बाल विकास कार्यक्रम पदाधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है. साथ ही इनके माध्यम से आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिकाओं और सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

कोरोना वायरस से बचाव को लेकर दी जा रही जानकारी:

आंगनबाड़ी सेविका द्वारा दूध बांटने के क्रम में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव को लेकर भी लोगों को जागरूक करने तथा इससे बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। इससे बचाव के लिए सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग, हाथों की धुलाई एवं आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

प्रेमिका से मिलने गए युवक का सिर फाेड़ा, फिर टांके लगाए और करा दी शादी

मधुबनी : हरलाखी थाना क्षेत्र के कान्हरपट्टी गांव का मामला, तीन साथियों के साथ प्रेमिका से मिलने गया था हुर्राही का युवक, तभी ग्रामीणों ने दबोचा और उसकी पिटाई कर दी।

थाना क्षेत्र के कान्हरपट्टी गांव में एक प्रेमी युवक की पिटाई कर ग्रामीणों ने नाबालिग प्रेमिका से शादी भी करा दी। युवक पर आधी रात को प्रेमिका से आपत्तिजनक हालत में मिलने का आरोप है। आरोपी युवक ने बताया कि प्रेमिका के बुलाने पर तीन साथियों के साथ सोमवार की रात वह अपने गांव हुर्राही गांव से कान्हरपट्टी गांव में मिलने गया था। जहां ग्रामीणों ने उसे पकड़ कर बंधक बना लिया और जमकर पिटाई कर दी। इतना ही नहीं पिटाई के दौरान युवक का सिर फोड़कर गंभीर रूप से घायल भी कर दिया। घायल युवक को अस्पताल भी नहीं जाने दिया गया।

वहीं ग्रामीणों ने खुद से घायल युवक के फूटे सिर में टांके भी लगाए। जबकि मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने मुखिया व सरपंच की उपस्थिति में पंचायत बुलाकर घंटों तक दोनों पक्षों के बीच वार्ता के बाद लड़का और लड़की के बीच विवाह कराने का निर्णय लिया। भरी पंचायत में स्थानीय मुखिया व सरपंच की उपस्थिति में नाबालिग लड़की की शादी कराने की बात पर सहमति बनी और गांव के ही प्राथमिक विद्यालय हिंदी परिसर में विवाह करा दी गई। विवाहित नाबालिग लड़की को लड़का पक्ष के साथ उसके घर भी विदा कर दिया गया। यह भी बताया जा रहा है कि कुछ स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना हरलाखी थाना में मोबाइल से फ़ोन कर दे दी। इसके बावजूद नाबालिग लड़की की शादी नहीं रुक सकी। मुखिया और सरपंच मौके से वापस लौटे थानाध्यक्ष अशोक कुमार ने बताया कि शिकायत नहीं मिली है। मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

वहीं पंचायत के मुखिया रामएकबाल मंडल ने बताया कि ग्रामीणों ने मुझे बुलाया था लेकिन मैं तुरंत वापस आ गया, बाद में क्या हुआ मुझे पता नहीं है। सरपंच ने भी बताया कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता कराने मैं तो गया था लेकिन जब वे लोग नहीं मानें तो मैं वापस आ गया। शादी के समय वहां मौजूद नहीं था। इस कारण मुझे विवाह की जानकारी नहीं है।

प्रखण्ड क्षेत्र में नाबालिग लड़की से जबरन शादी का यह पहला मामला नही है। उससे पूर्व में भी कई मामले सामने आ चूका है। बावजूद प्रशासन को जानकारी देने के बाद भी कार्रवाई नही कर पाती है। पिछले दिनों खिरहर थाने के चंद कदमों पर जबरन भरी पंचायत में नाबालिग जोड़ी की शादी करा दी गई थी। पूरे मामलों को लेकर पीड़ित लड़का पक्ष ने थाना को आवेदन भी दिया था। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह गंगौर में भी ऐसा मामला सामने आ चूका है। यहां भी कार्रवाई नही की गई थी। इस कारण लोगों में आक्रोश भी था। आज भी पुलिस को घटना की जानकारी दी लेकिन वह नहीं पहुंची

जिले में कोराना संक्रमण की स्थिति की हुई समीक्षा

मधुबनी : जिला पदाधिकारी डाॅ० निलेश रामचन्द्र देवरे द्वारा जिला के सभी एस०डी०ओ०, एस०डी०पी०ओ०, बी०डी०ओ०, पी०एच०सी० प्रभारी, बी०एच०एम० के साथ विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से कोविड-19 की स्थिति जिला प्रशासन के स्तर से संक्रमण के रोकथाम की दिशा में हो रहे कार्यों एवं प्रभावितों को दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा की गयी। इस दौरान सिविल सर्जन, अपर समाहर्ता भी मौजुद थे।

  • समीक्षा के क्रम में जिला पदाधिकारी द्वारा सभी बीडीओ एवम् पीएचसी प्रभारी से उनके प्रखंडों में हो रहे कोराना टेस्ट की संख्या को बहुत कम बताते हुए नाराजगी व्यक्त किया गया। पीएचसी प्रभारी रहिका एवं पंडौल से स्पष्टीकरण करने का आदेश भी सिविल सर्जन को दिया गया।जिला पदाधिकारी द्वारा समीक्षा के दौरान दिए गए प्रमुख निदेश इस प्रकार है।
  • प्रत्येक प्रखण्ड में रैपिड एंटीजन टेस्ट, आर0टी0पी0सी0आर0 एवं ट्रूनेट टेस्ट की संख्या बढ़ाना है। इसकी इन्ट्री भी तत्काल करानी है।
  •  कंटेनमेंट जोन के 100% लोगों का कोविड टेस्ट कराना है इसके लिए मुखिया, सरपंच तथा अन्य जन-प्रतिनिधि का सहयोग लेना है।
  • जिन प्रखण्डो में कोविड केयर सेन्टर नही है वहाँ यदि संभव हो तो पी0एच0सी0 अथवा नजदीक के सरकारी भवन में 30 बेड कोविड केयर सेन्टर शीघ्र बनवाना सुनिश्चित करें।
  • रोस्टर बनाकर प्रत्येक पंचायत से 100 लोगो का कोराना टेस्ट कराये।
  • मास्क का जाँच जारी रखे तथा प्रत्येक थाने को मास्क जाँच का टारगेट निर्धारित करे।
  • सभी ए0एन0एम0 को कोराना टेस्ट करने हेतु प्रशिक्षित करे।
    .
  • सभी अनुमंडल पदाधिकारी अपने अपने अनुमंडल के प्रत्येक प्रखंड में हो रहे कोराना टेस्ट की प्रतिदिन समीक्षा करेंगे।

कोरोना माई की पूजा को न दें बढ़ावा, अपनों की सुरक्षा का रखें ख्याल

मधुबनी : कोरोना का संक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। शहर के साथ-साथ गांव और कस्बों तक इसका प्रभाव प​हुंच चुका है। इसकी दवा अब तक नहीं है, हालांकि ​वैश्विक स्तर पर वैक्सीन को लेकर अनुसंधान लगातार जारी है। इधर, संक्रमण को लेकर तरह- तरह की भ्रांतियां और अंधविश्वास भी जन्म ले रहे हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों के लोगों में ज्यादा भ्रम की स्थिति है। संक्रमण की खबरों से परेशान कई गांवों में इसे प्रकोप तक माना जा रहा है।

वहीं बहुत से जगहों पर ​महिलाएं कोविड-19 को ‘कोरोना माई’ की संज्ञा तक देकर पूजा-पाठ भी किया जा रहा है। पर वास्तविकता में महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण जागरूकता का अभाव और नियमों की अनदेखी है। दूसरों की कही सुनी बातों और उसके अनुकरण से अंधविश्वास जन्म लेता है। इसलिए सतर्कता और सजह रहते हुए अपनी सुरक्षा स्वयं करना ज्यादा जरूरी है.

गांवों में संक्रमण को माना जा रहा प्रकोप :

जिले में संक्रमण से स्वयं और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कोरोना को माता की संज्ञा देकर पूजा की जा रही है। सोशल मीडिया पर इसे शेयर भी किया जा रहा है। इससे संबंधित कई तरह की अन्य अफवाहें और भ्रांतियां भी फैलाई जा रही हैं। लोग कोरोना संक्रमण को ईश्वरीय प्रकोप समझने की भूल कर रहे हैं। बहुत जगह कही सुनी बातों में आकर महिलाओं द्वारा बैंड बाजे के साथ कोरोना का पूजा भी किया जा रहा है। इस दौरान न तो उनके द्वारा शारीरिक दूरी का पालन की जा रही और न ही संक्रमण को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।

समाज हो सकती है प्रभावित :

प्रशासन द्वारा लोगों से लगातार अपील की जा रही है कि बहुत आवश्यक हो तभी घरों से बाहर निकलें। लेकिन कई जगह आज भी इसकी अनदेखी की जा रही है। इधर, कोरोना संक्रमण को माता मानकर पूजा करने जा रहे लोग पूजा के दौरान न तो मास्क पहन रहे हैं और न ही शारीरिक दूरी (दो गज या छह फीट) का ख्याल रख रहे हैं। वो भी ऐसे समय में जब संक्रमण हमारे घरों की दहलीज तक पहुंच चुका है। ऐसे में अगर कोई लोग जो संक्रमित हैं या ऐसों के संपर्क में आए हैं और ऐसे लोग पूजा में भी शामिल होते हैं तो एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में आ सकता है।

संक्रमण का खतरा हर जगह है:

कोविड-19 एक ऐसा संक्रमण है जो आम और खास को नहीं देखता। इसकी चपेट में अति सतर्कता और जागरूकता बरतने वाले लोग तक आ चुके हैं। केंद्र के कई मंत्री, मुख्यमंत्री और हमेशा स्वच्छता और सुरक्षा वाले क्षेत्र में रहने वाले सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और उनका परिवार तक इसकी चपेट में आ सकता है तो आप और हम क्यों नहीं। संक्रमण रोकने के लिए ही सरकार द्वारा मंदिरों तक में प्रवेश पर रोक लगाई थी। संक्रमण का खतरा हर जगह है, इसलिए अपनी सावधानी हमें स्वयं रखनी चाहिए।

समाज के बुद्धिजीवी लोगों को आना होगा आगे :

लोगों को अंधविश्वास से बाहर निकलने ​के लिए समाज और घर-परिवार के लोगों को सबसे पहले पहल करनी होगी। बड़े-बुजुर्गों और बुद्धिजीवी लोगों की सभी बाते सुनते और मानते हैं, ऐसे में उनका समझाना सबसे बेहतर होगा। युवा भी इसमें अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। माताएं बच्चों की खुशियां चाहती हैं, वह अवश्य ही उनकी बातों को समझेंगी और मानेंगी। स्थानीय जनप्रतिनिधि, शिक्षक, वार्ड सदस्य एवं मुखिया आदि की भूमिका कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण हो सकती है।

जयनगर प्रखंड प्रमुख सचिन सिंह ने बताया कि क्षेत्र के जनप्रतिनि​धियों के साथ ही पुलिस द्वारा भी लोगों को जागरूक करने को लेकर निर्देशित किया गया है। लोग अंधविश्वास में न आएं ,इसलिए पारिवारिक स्तर पर भी पहल की जानी चाहिए। इस वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और मास्क का प्रयोग अपने साथ दूसरों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। संक्रमण के प्रभाव में आने से बचने के लिए सभी की सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है। इसलिए सभी जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता व बुद्धिजीवी सदस्यों को अपने क्षेत्र में लोगों को कोरोना सम्बंधित जागरूकता के लिए आगे आना चाहिए और लोगों तक सही जानकारी पहुँचाने में प्रशासन और सरकार की मदद करनी चाहिए.

सुमित राउत