11 अगस्त : मुजफ्फरपुर की मुख्य ख़बरें

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मुज़फ़्फ़रपुर की मुख्य ख़बरें

112वीं शहादत दिवस पर वीर सपूत को किया याद

मुजफ्फरपुर : 11 अगस्त 1908 को हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ने वाले वीर सपूत खुदीराम बोस की आज 112वीं शहादत दिवस धूमधाम से मनाया गई। उन्होंने 30 अप्रैल 1908 के दिन जज किंग्स फोर्ड की बग्गी पर मुज़फ़्फ़रपुर क्लब गेट के पास बम विस्फोट कर स्वतंत्रता संग्राम में शस्त्र क्रांति की शुरुआत की थी। आजादी के बाद से प्रतेक वर्ष मुज़फ़्फ़रपुर के शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में सहादत दिवस मनाई जाती है। 11 अगस्त 1908 की अलसुबह खुदीराम बोस शहीद हुए थे।

खुदीराम को आजादी हासिल करने की ऐसी लगन लगी कि 9वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़कर वे स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े थे। वे रिवॉल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और ‘वंदेमातरम्’ लिखे पर्चे वितरित किये। खुदीराम बोस ही मुजफ्फरपुर में वर्ष 1908 में स्वतंत्रता संग्राम का बिगूल फुंका था। खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से बेहद खफा थे। जिसने बंगाल के कई देशभक्तों को कड़ी सजा दी थी।

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उन्होंने अपने साथी प्रफुल्लचंद चाकी के साथ मिलकर किंग्सफोर्ड को सबक सिखाने की ठानी,और अपने साथी के साथ दोनों मुजफ्फरपुर आए शहर के पुरानी धर्मशाला में रुके और रेकी की। इसके बाद 30 अप्रैल 1908 को सेशन जज की गाड़ी पर बम फेंका। लेकिन उस गाड़ी में उस समय सेशन जज की जगह उसकी परिचित दो यूरोपीय महिलाएं कैनेडी व उसकी बेटी सवार थीं।

हालांकि, इसके बाद अंग्रेज पुलिस ने उन्हें पूसा रोड रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। खुदीराम ने जिस जगह से अंग्रेज जज पर प्रहार किया था। वहां बरगद का पेड़ अभी भी है। जिसकी ओट में छुपकर जज पर प्रहार किया। कंपनीबाग रोड में शहीद खुदीराम बोस और प्रफुल्य चाकी का स्मारक स्थल भी है। जहां राजनीतिक व समसातयिक सभाएं लगती है।

केंद्रीय कारा, मुजफ्फरपुर में अमर शहीद का सेल व फांसी स्थल आज भी सुरक्षित है। जहां हर साल शहादत दिवस मनाया जाता है। शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में आज फिर गुजा ‘एक बार विदाई दे मां…’

सेंट्रल जेल में आज मनाया गया शहीद खुदीराम बोस का शहादत दिवस 11 अगस्त 1908 को अंग्रेजी हुकुम ने खुदीराम बोस को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी थी। शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा (मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल) में मंगलवार को खदीराम बोस का शहादत दिवस मनाया गया।  पूरा जेल परिसर व भवन रौशनी से सजाया गया है। आधी रात बाद एक बार पुन: जेल परिसर ‘एक बार विदाई दे मां …’ की गुजि से गुंजने लगा।  शहीद खुदीराम बोस वार्ड को भी सजाया गया था। रोशनी से जगमगा रहा था।

बाढ़ के पानी को पर कर बाज़ा बाराती ले व्याह रचाने पहुंचा दूल्हा

मुजफ्फरपुर : बिहार में बाढ़ में जीने के साथ-साथ खुशियां मनाने के भी कला लोग खूब जानते हैं। इसका नजारा मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड में देखने को मिला जहां अपनी दुल्हन को लाने की बेताबी में दूल्हे ने बाढ़ की भी परवाह नहीं की। बाढ़ के पानी को पारकर बाजे बराती संग व्याह रचाने पहुंच गया। इस अनोखी शादी के साक्षी बनने के लिए ग्रामीणों का हुजूम जुट गया।

बारात समस्तीपुर के ताजपुर थाने के मुसापुर गांव से मुजफ्फरपुर के सकरा के भटण्डी गांव आई थी। मुसापुर के मोहहमद इकबाल के पुत्र मोहहमद हसन रजा और सकरा भटण्डी गाँव के मरहूम मोहहमद सहीद की पुत्री मजदा खातून का निकाह तय था। इसी बीच मुरौल के मोहम्मदपुर कोठी में तिरहुत नहर का तटबंध टूटने से गाव बाढ़ में घिर गया। निकाह की तारीख बदलने पर दोनों पक्षों ने विचार-विमर्श किया लेकिन बात नहीं बनी और निकाह का तय तारीख पर ही करने की ठान ली गई। चारों तरफ बाढ़ के पानी से घिरे भटण्डी गांव में शादी की तैयारी में टेंट के लिए सामान कई बार लाए और लौटाए गए।

बारात आने से पहले लोगो ने स्थिति का मुआयना किया। फिर दुल्हन के घर तक जाने में आ रही दिक्कतों के बारे में बताया। लेकिन लड़का पक्ष की जींद के आगे लड़की वालों को झुकना पड़ा दूल्हे की गाड़ी भटण्डी गांव की सीमा पर पहुंची पहले तो पानी देखकर दूल्हे व बाराती ठिठक गये। लेकिन फिर दूल्हे ने अपनी गाड़ी को छोड़ दिया और बारातियों संग बाढ़ को पारकर दुल्हन के घर पहुचा। कई जगह घुटने से ऊपर पानी था इस दौरान स्थानीय युवकों ने दूल्हे और बारातियों को सुरक्षित ले जाने में मदद की।पूरे रस्मो रिवाज के साथ निकाह हुआ फिर विदाई भी हुई।

मनाई गई खुदीराम बोस की 112वी शहादत दिवस

मुजफ्फरपुर : अमर शहीद खुदीराम बोस का 112 वां शहादत दिवस के अवसर पर स्थानीय खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर शहीद खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी की प्रतिमा पर जिलाधिकारी डॉ ०चंद्रशेखर सिंह के द्वारा माल्यार्पण कर उनको नमन किया गया। उप विकास आयुक्त उज्जवल कुमार सिंह ,नगर आयुक्त मणेश कुमार मीणा,सहायक समाहर्ता खुशबू गुप्ता, अपर समाहर्ता आपदा अतुल कुमार वर्मा, सिटी एसपी नीरज कुमार सिंह ,अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी कुंदन कुमार तथा अन्य पदाधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों और समाजसेवियों द्वारा भी उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तथा पुष्पांजलि अर्पित की गई ।

इस मौके पर जिलाधिकारी डॉ० चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि अमर शहीद खुदीराम बोस की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता ।उनकी शहादत ने हिंदुस्तानियों में आजादी की जो ललक पैदा की उससे स्वाधीनता आंदोलन को नया बल मिला। उन्होंने कहा कि शौर्य और बलिदान के प्रतीकअमर शहीद खुदीराम बोस की गिनती देश के अमर नायकों में होती है ।

इसके पूर्व आज केंद्रीय कारा में प्रातः 04 बजे फांसी स्थल पर शहादत दिवस सम्मानपूर्वक मनाया गया ।कारा अधीक्षक राजीव कुमार सिंह द्वारा फांसी स्थल पर उनको नमन किया गया साथ ही सेंट्रल गुमटी पर स्थापित प्रतिमा पर, माल्यार्पण कर एवं केंद्रीय कारा स्थित खुदीराम पार्क में स्थापित मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए अमर शहीद को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई और दो मिनट का मौन रखा गया ।

सुनील कुमार अकेला

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