विश्व बाघ दिवस पर आयोजित प्रतियोगिता में अक्षरा को मिला प्रथम स्थान
दरभंगा : विश्व बाघ दिवस पर वन्य जीव प्रश्नोत्तरी लेखन प्रतियोगिता जो पर्यावरण शिक्षा डब्ल्यूडब्ल्यू एफ- इंडिया द्वारा आयोजित किया गया जिसमें दरभंगा सेंट्रल स्कूल की कक्षा पंचम की छात्रा अक्षरा कुमारी जो श्री अमित वर्मा एवं श्रीमती पूजा वर्मा की सुपुत्री हैं प्रथम स्थान प्राप्त कर दरभंगा ही नहीं मिथिला क्षेत्र का नाम रोशन किया।
इस प्रतियोगिता में 105 छात्र छात्राओं एवं बिहार के 23 स्कूलों ने भाग लिया लेकिन अक्षरा खुद को एक पर्यावरण प्रेमी के रूप में सर्वोत्तम प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में बिहार प्रदेश से सबसे अधिक अंक प्राप्त कर विद्यालय एवं अपने माता-पिता का इस छोटी सी उम्र में नाम का परचम लहराया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ• ए• के• ‘कश्यप’ एवं माननीय प्रबंधकीय न्यासी डॉ• कुमार अरुणोदय ने उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बधाई दी। स्कूल के सभी शिक्षक एवं छात्र छात्राओं ने भी ऑनलाइन शुभकामना संदेश प्रेषित कर भविष्य में इससे बड़ी कामयाबी की कामना की। इस अवसर पर बीएन झा, नीलम झा, सरोज कुमार, प्रदीप कुमार, भोगेंद्र कुमार, आदि ने उज्जवल भविष्य की कामना की।
सीएम कॉलेज के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित संस्कृत सप्ताह का समापन
दरभंगा : संस्कृत मातृभाषा ही नहीं, बल्कि वह अमर विद्या है जो धार्मिक-आध्यात्मिक भाव से युक्त सर्वकल्याणकारी है। जरूरत है कि हम समाज से जोड़कर इसका लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचाएं।आज नासा के वैज्ञानिक वेद-मंत्रों का अध्ययन कर रहे हैं। उक्त बातें सी एम कॉलेज,दरभंगा के संस्कृत विभाग द्वारा मनाए जा रहे ‘संस्कृत सप्ताह’ के समापन समारोह में “आधुनिक संदर्भ में संस्कृत” विषयक वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो देवनारायण झा ने कहा। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अध्ययन- अध्यापन प्रथम कक्षा से ही उच्च कक्षा तक होना चाहिए। श्रेष्ठ संस्कृत-विद्या ही भारत को सर्वश्रेष्ठ एवं विश्वगुरु बनाने में सक्षम है।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ मुश्ताक अहमद ने कहा कि संस्कृत के माध्यम से ही भारत को वास्तविक रूप से जानना संभव है।तमाम ज्ञान-विज्ञान का स्रोत संस्कृत किसी धर्म- जाति की भाषा नहीं है। प्राचीन भारत की तरह ही आधुनिक भारत भी संस्कृत की बदौलत विकसित होगा। सामाजिक सरोकार की भाषा संस्कृत को पढ़े बिना शुद्ध रूप से हम दूसरी भाषाएं आसानी से नहीं समझ सकते हैं।बीएचयू ,वाराणसी की प्राध्यापिका डा प्रीति त्रिपाठी ने कहा कि हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र संस्कृत के बिना अधूरा है। इसके अध्ययन से समाज में खुशहाली तथा राष्ट्र की समृद्धि संभव है।
वेबीनार में असम से मृणाल कांति सरकार,समस्तीपुर से डा ममता सिंह व प्रेमलता आर्या, मुजफ्फरपुर से डॉ दीनानाथ साह व डा बालकृष्ण शर्मा, पटना से डा गौरीनाथ राय, बेगूसराय से ज्योति कुमारी, मंटू यादव व गुरु आनंद, दिल्ली से प्रो नागेंद्र झा, मुंगेर से डा नंदकिशोर ठाकुर, मधुबनी से भोला दास, डा शंभू मंडल, बेगूसराय से डा मोना शर्मा,उत्तराखंड से डा सच्चिदानंद स्नेही,राजस्थान से डा ममता स्नेही,बनारस से डा प्रीति त्रिपाठी,समस्तीपुर से प्रो रागिनी रंजन,डा अंजना कुमारी,चंदीर पासवान, सीतामढ़ी से डा ज्ञानरंजन गंगेश,अरबाज खान,मधुबनी से विनोद राम, डा जयशंकर झा,वैशाली से प्रो रामनाथ सिंह सहित 65 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय विद्यापीठ,दिल्ली के शिक्षाशास्त्र के प्राध्यापक प्रो नागेंद्र झा ने कहा कि संस्कृत में शुद्ध उच्चारण की काफी महत्ता है जो योग्य गुरु के माध्यम से ही संभव है। वेदकाल से आज तक संस्कृत की उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है।नई शिक्षा नीति से संस्कृत का विकास बहुत अधिक होगा,परंतु इसके लिए हम शिक्षकों को भी आगे आना होगा। विषय प्रवर्तक के रूप में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग,उतराखंड के न्याय विभाग के प्राध्यापक डा सच्चिदानंद स्नेही ने कहा कि संस्कृत समृद्ध एवं जीवन्त भाषा है,जिसमें मानव के उत्थान की सारी बातें वर्णित हैं। यह हमारे ज्ञान-विज्ञान का आधार है। संस्कृत को मातृभाषा बनाकर कंप्यूटर व कौशल से युक्त करना समायोजित है।
वेबीनार का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो जीवानंद झा ने कहा कि संस्कृत अपनी व्यापकता एवं श्रेष्ठता के कारण देश-विदेश में प्रतिष्ठित हो रहा है। इसमें आधुनिक जीवनोपयोगी सभी बातें विद्यमान हैं। संस्कृत को समयानुसार अन्य भाषाओं एवं आवश्यकतानुसार समाज से जोड़कर आमजन कल्याणार्थ बनाना आवश्यक है। सम्मानित अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो रामनाथ सिंह ने कहा कि संस्कृत की वर्तमान महत्ता अधिक बढ़ गई है। हमें पश्चिमी संस्कृति को छोड़कर भोग की जगह योग को अपनाना होगा। संस्कृत का क्षेत्र अत्यंत ही विस्तृत है,जिसके अध्येता को रोजी-रोटी की कोई समस्या नहीं होती है। इसके अध्ययन-अध्यापन द्वारा हम किसी भी क्षेत्र में बेहतर कार्य कर सकते हैं।
कार्यक्रम का प्रारम्भ सुंदरपुर मध्य विद्यालय,दरभंगा के शिक्षक डा नंदकिशोर ठाकुर के संस्कृत में गाये स्वागत गान से हुआ। संस्कृत विभाग के प्राध्यापक सह संयोजक डा संजीत कुमार झा के कुशल संचालन में आयोजित कार्यक्रम में अतिथि स्वागत संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन मारवाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास कुमार ने किया।
विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन
दरभंगा : लनामिवि विश्वविद्यालय गृहविज्ञान विभाग द्वारा शुक्रवार को विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन गूगल मीट पर ऑनलाइन किया गया। जिसकी अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ० दिव्या रानी हंसदा ने की।
बतौर मुख्य वक्ता नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज, कोलकाता की चिकित्सक डॉ० अपूर्वा ने कही कि स्तनपान नवजात बच्चे के लिये अमृत समान होता है। बच्चे के जन्म के फौरन बाद बच्चे को स्तनपान कराना चाहिये। यह समय सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है। यह बच्चों के मानसिक व शारीरिक विकास के लिये अहम होता है। उसके सारे बारीकियों पर जिक्र करते हुए उन्होंने कही कि बच्चों को स्तनपान कराना महिलाओं के लिये भी फायदेमंद है। अगर किसी महिलाओं को दूध बनने में दिक्कत हो रही है तो फौरन उसे विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिये क्योंकि मां के शरीर के लिये भी यह अहम होता है।
शुरुआती 6 महीनों में बच्चों को मां का दूध छोड़कर कोई भी दूध नहीं देनी चाहिये। 6 माह बाद धीरे-धीरे अन्न बच्चों को खिलाना चाहिये अचानक नहीं। माँ के दूध में पानी की मात्रा 88%, एनर्जी 65%, प्रोटीन 1.1%, कार्बोहाइड्रेट्स 7.4%, फैट 3.4%, कैल्शियम 28%, फॉस्फोरस 11% व विटामिन सी 3% सहित कई और भी पोषक तत्त्व होते हैं जो नवजात बच्चों की सारी जरूरतों को पूरा करते हैं। इसीलिए शुरुआती 6 महीनों में पानी भी अलग से नहीं देनी चाहिये। गाय का दूध, मार्केट का दूध ज्यादा से ज्यादा इग्नोर करना चाहिये। अगर बहुत जरूरत महसूस हो तो आप इस विशेष अवधि में मां के बदले माँ का स्तनपान करा सकते हैं, अगर उसे किसी भी प्रकार की बीमारी न हो । इसके बाद ही दूसरे दूध का प्रयोग करना चाहिये। अगर कोई महिलाएं स्तनपान न करा पाने के समस्या से ग्रस्त हो तो उस अवधि में उसे अपने डॉक्टरी सलाह पर खान-पान में सुधार करना चाहिये।
रूटीन से आराम करना चाहिये व अपने कांफिडेंट लेवल को ऊंचा करना चाहिये। परिवार का माहौल भी सकारात्मक होना चाहिये। इन सब पहलुओं पर अगर सतर्कता बरती जाए तो यकीनन माँ को नवजात बच्चों को स्तनपान कराने में यह सहायक होगा। बच्चे के स्वभाव को समझते हुए उसे फौरन स्तनपान कराना चाहिए। आशा व एएनएम दीदी की भूमिका भी इसमें अहम है। उन्हें घर-घर जाकर स्तनपान के बारे में महिलाओं व उसके परिवारों को जागरूक व इसके बारीकियों को बता कर काउंसिलिंग करना चाहिये। एक अहम जानकारी देते हुए उन्होंने कही कि कोरोना के इस काल में जहां सोशल व फिजिकल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है उस अवधि में भी बेफिक्र होकर मां को नवजात बच्चे को स्तनपान कराना चाहिये अगर वो कोरोना संक्रमित नहीं हैं तो।
कोरोनाकाल में वैसे तो सभी को लेकिन विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों से दूर रहना चाहिये क्योंकि कोरोना संक्रमण होने से उनके साथ ही साथ होनेवाले बच्चों पर इसका बुरा असर हो सकता है। मौजूदा दौर में स्तनपान कराने से फीगरचेंज होने की वजह से कई महिलाएं बच्चों को स्तनपान कराने से परहेज करती हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिये। स्तनपान कराने से बिल्कुल भी किसी भी प्रकार का शारीरिक परिवर्तन नहीं होता है। ये बिल्कुल निराधार तथ्य है। आगे उन्होंने प्रश्नोतरी सत्र को संबोधित करते हुए कही कि महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि प्रथम संतान 32 वर्ष से कम उम्र में हो जानी चाहिये नहीं तो इसका कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है। स्तन में किसी भी प्रकार के ठोस परिवर्तन गांठ के रूप में आने पर इसे इग्नोर नहीं करना चाहिये बल्कि फौरन विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिये क्योंकि इस प्रकार का लक्षण स्तन ट्यूमर का हो सकता है।
प्रश्नोत्तरी काल में कई शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थियों ने अपने-अपने प्रश्न साझा किया जिसमें डॉ० अपराजिता, डॉ० प्रगति, डॉ० एन चंदा सिंह, डॉ० श्वेता श्री, आराधना, अभिलाषा, रिंकू शर्मा, नजीश फातमा प्रमुख रही।
इस कार्यक्रम में आरती, गीता, कंचन, अलका, श्वेता, ट्विंकल, उर्वशी, वैदेही, वर्षा, नंदिनी, ममता, पल्लवी, प्रीति, पूजा, प्रियंका, साधना सहित दर्जनों शोधार्थियों व विद्यार्थियों ने भाग लिया।
मौलाना साजिद रशीदी पर रासुका लगाने की सुमीत श्रीवास्तव ने उठाई मांग
दरभंगा : मौलाना साजिद रशीदी के बयान पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुमीत श्रीवास्तव ने गहरी नाराजगी जताते हुए रासुका के तहत कार्रवाई की मांग की है। अयोध्या में भूमि पूजन के बाद ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने विवादित बयान देते हुए मंदिर तोड़े जाने की चेतावनी दी थी।
जिस पर भाजपा नेता ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सुमीत का कहना है कि इस तरह की भड़काऊ बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसी बात कहने वाले पर रासुका के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर बन रहा है, बावजूद इसके ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी ने मंदिर तोड़ने की भड़काऊ बयानबाजी की है। यह राष्ट्रद्रोह है। ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए।’ भाजपा नेता ने कहा कि इस तरह की भड़काऊ बयानबाजी को बहुसंख्यक समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।
मुरारी ठाकुर