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राम जन्मभूमि से सरसंघचालक डा.मोहन भगवत ने आडवाणी और सिंघल को किया याद, पीएम मोदी को सराहा

भारतीयों के मनमंदिर में राम को स्थापित करने का लक्ष्य

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल के साथ विचार परिवार के प्रमुख के नाते आरएसएस के सर संघचालक डा.मोहन भागवत भी उपस्थित थे। विचार परिवार के प्रमुख के रूप में उन्होंने राम जन्मभूमि रथ यात्रा का नेतृत्व करने वाले भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और राम मंदिर आंदोलन को व्यापक बनाने वाले विश्व हिन्दू परिषद् के स्व.अशोक सिंघल का नाम लिया।

इस कार्यक्रम पर अपने सम्बोधन के दौरान डा.भागवत ने कहा कि सदियों की आशा पूरी होने का आनंद है, लेकिन सबसे बड़ी आनंद की बात यह है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली जिस आत्मविश्वास और आत्मभान की आवश्यकता थी उसका सगुन साकार अधिष्ठान बनने काशुभारम्भ आज हो रहा है। वह अधिष्ठान है आध्यात्मिक दृष्टि का सियाराममय सब जग जानी। हम विश्व के हैं और विश्व हमारा है।

अपने सज्जनता के व्यवहार से विश्व को अपनी ओर आकर्षित करना। परम वैभव सम्पन्न, सबका कल्याण करने वाले भारत का निर्माण, जिनके नेतृत्व में हो रहा है उनके हाथों से ये शुभ कार्य सम्पन्न हुआ है। कोरोना के दौर में मानव जीवन के लिए रास्ते पर चिंतन हो रहा हैं। दो प्रकार के रास्तों को विश्व के लोगों ने देख लिया। अब तीसरे रास्ते के बारे में सोचने लगे है। वह रास्ता भारत देगा। उसकी तैयारी करने का संकल्प का भी आज का दिवस है। हमारे रगों में ऐसी पुरुषार्थ और वीरवृति है। केवल प्रारंभ करे, सब होगा।

उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के समय के सर संघचालक पूज्य बाला साहब ने कहा था कि इस संकल्प को पूर्ण करने में 20-30 वर्ष लग जायेंगे। धैर्य से काम करने पर संकल्प पूर्ण होगा। ठीक तीसवें वर्ष में वह संकल्प पूर्ण हो रहा है। म्ंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। सबके दायित्व बांटे गए हैं। उस समय में हमारा काम होगा सबका उत्थान करने वाले धर्म के विग्रह श्रीराम को लोगों के मन में बैठाना है, ताकि सम्पूर्ण विश्व को शांति व उत्थान के मार्ग पर ले चलने वाले भारत की स्थापना हो।

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे मंदिर बने वैसे-वैसे लोगों के मन में श्रीराम का विग्रह भी बनता चला जाए। जहां सामाजिक समरसता, सद्भव का वास हो। सभी द्वेषों, विकारों से मुक्त मन मंदिर का निर्माण हो। हृदय से सभी प्रकार के भेदों को मिटाना होगा। यह भव्य राम मंदिर भारत के सभी मंदिरों में स्थाति विग्रह का जो भाव है उसको प्रकटीकरण व पुनर्स्थापित करना है। यह काम बहुत ही समर्थ हाथों से हुआ है।