गंगा अपने मूल स्वरूप में तभी वापस लौट सकती है, जब लोग मानसिक रूप से संवेदनशील होंगे- राजीव रंजन मिश्रा
‘पानी रे पानी’ अभियान के तहत आयोजित वेबिनार में नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि अविरल और निर्मल गंगा के लिए छोटी-छोटी नदियों के स्वास्थ्य को सुधारना होगा। यह कार्य केवल सरकार या केवल समाज से संभव नहीं है। इसके लिए जिस प्रकार की सामाजिक व व्यक्तिगत चेतना की आवश्यकता है वह अभी नहीं दिखते।
पानी रे पानी अभियान के तहत राज – समाज और नदी पुनर्जीवन विषय पर विचार व्यक्त करते हुए मिश्रा ने कहा कि गंगा का संबंध समाज के सभी वर्ग के लोगों के साथ है सभी लोग जब मानसिक रूप से गंगा को लेकर फिर से संवेदनशील हो जाएंगे तभी गंगा अपने मूल स्वरूप में वापस लौट सकती हैं। यह इस सभ्यता और भारत की संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए आवश्यक है।
संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि इसको लेकर हमें ऐसी योजना तैयार करनी होगी जिससे हमारे बच्चों में गंगा नदी जल स्रोतों के संबंध में संवेदनशीलता की मानसिकता व प्रवृत्ति बने। उन्होंने कहा कि गंगा को लेकर सैकड़ों हजारों स्थानों पर अपने-अपने तरीके से लोग प्रयास कर रहे हैं। उन सब को जोड़कर एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इस काम में पानी रे पानी अभियान की महत्वपूर्ण भूमिका है। मुझे जानकार खुशी है कि इस अभियान से जुड़े कार्यकर्ता इसके जमीनी हकीकत से परिचित हैं। इसके तहत गंगा दशहरा से नदी दिवस 27 सितम्बर तक आयोजित नदी चेतना यात्रा कार्यक्रम के तहत बिहार की पांच नदियों में लगातार हो रहे परिवर्तनों का दस्तावेज ई करण करते हुए नदियों के पुनर्जीवन के लिये आवश्यक उपाय सुझाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गंगा के क्षेत्र वाले जिलों के जिलाधिकारियों को भी इस अभियान में शामिल किया जाएगा। गंगा दशहरा (1जून 2020) से प्रतिदिन सुबह में एक घंटे तक इस अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं ने नदी की समस्याओं को समझने वह उसके आधार पर योजनाबद्ध तरीके से कुछ काम करने का प्रयास किया है। इसमें इन्होंने कुछ विशेषज्ञों को भी शामिल किया है। यह अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
इस अभियान में शामिल स्वयंसेवक व कार्यकर्ता युवा वर्ग के हैं। इनमें कार्य करने की ऊर्जा और उत्साह की कोई कमी नहीं है और महामारी से उत्पन्न हालात के सामान्य होने के बाद चिन्हित किये गये पांच नदियों को समझने निकलेंगे।
अपना सम्बोधन समाप्त करते हुए राजीव मिश्रा ने पानी रे पानी द्वारा किये जा रहे कार्यों के लिए उन्हें बधाई दी तथा नदी चेतना का उनका ये प्रयास जारी रखने के लिए नमामि गंगे द्वारा हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया I
इस अभियान के संयोजक पंकज मालवीय ने पिछले 5 वर्षों से इस अभियान के तहत होने की गए कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने आगे की कार्य योजना की रूपरेखा भी प्रस्तुत की। इस अवसर पर मालवीय ने कहा कि हमारा प्रयास है कि गंगा संरक्षण वह छोटे-छोटे नदियों के पुनर्जागरण के मामले में बिहार एक मॉडल बने। नदी चेतना यात्रा का फोकस जन संवाद और नदी के प्रति सामाजिक चेतना है और लक्ष्य सम्बंधित नदी की समस्याओं को पहचानकर समाधान निकालना है।
नदी चेतना यात्रा का उद्देश्य नदियों की समस्या को समझना और समाज को उससे अवगत कराना है। समाज के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से नदियों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। इसके विपरीत नदियों के प्रति मनुष्य के नकारात्मक व्यवहार के कारण सभ्यता का विनाश भी हुआ है।
सदानीरा नदी अब गर्मी के समय में सुख रही है, बड़ी नदियां भी बेजान हो चुकी है। यह गंभीर विषय है। इसके लिये जरूरी है कि नदी में हो रहे परिवर्तन का अध्ययन किया जाए और चिन्हित किया जाए कि कौन-सी समस्या प्राकृतिक है और कौन-सी मानव कृत। यह भी सोचना होगा कि नदियों को पुर्नजीवित करने के लिये सचमुच करना क्या है।