बाढ़ से खतरे में ऐतिहासिक पुरातत्व स्थल चिरांद , अफसर बेसुध

0

डोरीगंज/सारण : आग लगने के बाद कुआं खोदना। यह कहावत छपरा सदर प्रखंड प्रशासन पर सटीक बैठती है। पटना के उसपार सारण में ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल चिरांद में गंगा—सोन और सरयू के संगम स्थल पर जलस्तर खतरनाक ढंग से बढ़ रहा है। लेकिन जलस्तर में वृद्धि के बाद भी अफसर आराम फरमा रहे हैं। हालत यह है कि एक सप्ताह में ही गंगा और सरयू के जलस्तर में दो मीटर तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इससे कटान शुरू हो गया है और ऐतिहासिक पुरातत्व स्थल चिरांद पर भी खतरा मंडराने लगा है। यदि सोन का जलस्तर थोड़ा भी बढ़ा तो यहां हालात संभालने मुश्किल होंगे। जबकि कटान रोकने के लिए अभी तक कोई सुगबुगाहट नहीं है।

सोन ने डराया, गंगा और सरयू भी विकराल

बता दें कि मानसून की दस्तक के साथ ही शुरू हुई जोरदार बारिश के बाद नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। बात डोरीगंज की करें तो यहां पिछले एक सप्ताह से गंगा और सरयू के जलस्तर में लगभग 2 मीटर तक की वृद्धि देखी जा रही है। वहीं, गंडक के जलस्तर में भी एक सप्ताह में काफी वृद्धि हुई है। जलस्तर के लगातार बढ़ने से सीमावर्ती क्षेत्रों में कटान शुरू हो गया है। अभी बाढ़ की आशंका तो नहीं है लेकिन जलस्तर अधिक बढ़ा तो इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही स्थानीय प्रशासन द्वारा जिस तरह बेपरवाही दिखाई जा रही है, उससे तय है कि बाढ़ आने पर हालात न संभलेंगे। कटान तो होगा ही, पानी इलाकों में घुस आएगा और व्यापक क्षति होगी।

swatva

पुरातात्विक स्थल भी आ सकता है चपेट में

चिरांद में विश्व प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल पर भी कटान से खतरा है। अभी चिरांद के आसपास तिवारी घाट, मालीघाट, जहाज घाट पर कटाव जारी है। बारिश के कारण मिट्टी का क्षरण पहले से ही हो रहा है। वहीं नदी का कटाव शुरू होने से खतरा बढ़ गया है। इसके बाद भी पुरातात्विक स्थल को बचाने के लिए स्थानीय प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है। यह हालत तब है जब एक दशक में लगभग एक तिहाई भाग नदी के आगोश में पहले ही समा चुका है।

तटीय क्षेत्रों में कटान शुरू, सो रहा प्रशासन

दियारा इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ आई तो सबसे बुरी स्थिति उनकी होगी। उनके वहां पहुंचने के लिए छोटी नाव तक नहीं है। आरोप यह भी है कि कमीशनखोरी के लिए अंचलाधिकारी द्वारा बड़ी—बड़ी नावें आवंटित कर दी गई हैं, जबकि यह हर जगह नहीं पहुंच सकती हैं। लोगों ने मांग की है कि प्रशासन अविलंब छोटी नावों की व्यवस्था करे, ताकि वर्ष 2016 की स्थिति नहीं बने जब व्यापक पैमाने पर क्षति हुई थी।

सीओ फोन तक नहीं उठाते, दहशत में लोग

एक तरफ इलाके में नदी का कटाव शुरू हो गया और आने वाले दिनों में बाढ़ की आशंका बढ़ रही है तो दूसरी तरफ अंचलाधिकारी की बेपरवाही यह है कि वह स्थानीय लोगों का फोन तक नहीं उठाते। लोगों का कहना है कि कभी वे आफत में फंसे होंगे तो किससे कहेंगे? इतना ही नहीं, सीओ सदर मीडिया से भी बात करने से कतराते हैं। मंगलवार को जब कटाव रोकने के बाबत किए गए इंतजाम की जानकारी और इस मामले में अंचलाधिकारी का पक्ष जानने के लिए संवाददाता ने फोन किया तो कई बार घंटी बजती रही लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here