लालू राज में बिहार बूथलूट और चुनावी हिंसा के लिए बदनाम था- सुमो

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष के नेताओं की एक टीम निर्वाचन आयोग के पास पहुंची थी। विपक्ष के लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी सभी को पारंपरिक तरीके से चुनाव प्रचार करने की छूट दी जाय तथा चुनाव की तिथि को भी आगे बढ़ाया जाय।

इसको लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर जवाब देते हुए कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अभी तीन महीने से ज्यादा का समय है, इसलिए इस मुद्दे पर सोचने से ज्यादा कोरोना संक्रमण से निपटने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

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जो लोग इस पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, वे चुनाव आयोग के विवेक पर अविश्वास कर रहे हैं। राजद को तो आयोग, ईवीएम, अदालत और केंद्रीय जांच एजेंसियों तक पर भरोसा नहीं है।

उन्होंने कहा कि चुनाव में धनबल और बाहुबल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कांग्रेस और राजद ने किया। जिनके राज में बिहार बूथलूट और चुनावी हिंसा के लिए बदनाम था, वे आज चुनाव में पारदर्शिता बरतने के लिए चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंप कर अपने दाग धोना चाहते हैं।

ज्ञापन देने वाले बतायें कि बैलेट पेपर के पुराने तरीके से चुनाव कराने की मांग क्यों की जा रही है? मतपेटी से लालू का जिन्न निकलने का वह दौर क्या चुनाव की पारदर्शिता का प्रमाण था?

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