राजद कार्यकर्ताओं ने नाव चलाकर किया विरोध प्रदर्शन
मुज़फ़्फ़रपुर : लगातार हो रही बारिश से मुज़फ़्फ़रपुर स्मार्ट सिटी जलमग्न हो गया है, जलजमाव से शहर के लगभग सभी इलाक़े प्रभावित है। जलजमाव की समस्या को ले राजद कार्यकर्ताओं ने मोतीझील में नाव चला कर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया।
लगातार हो रही बारिश के कारण मुजफ्फरपुर शहर के मुख्य बाजार से लेकर गली मोहल्ले में जलजमाव समस्या उत्पन्न हो गई है, कई इलाकों में नाव चलाने की स्थिति उत्पन्न हो गयी। कई दुकान और घरों में पानी घुस गया है। जिसको लेकर राष्ट्रीय जनता दल के युवा प्रदेश प्रवक्ता दीपक ठाकुर के नेतृत्व में शहर में लगे पानी में नाव चला कर किया विरोध प्रदर्शन किया और नगर विकाश मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की।
इस दौरान युवा राजद के प्रदेश प्रवक्ता दीपक ठाकुर ने कहा कि बरसात के कारण जलजमाव से शहर की स्थिति नारकीय हो गयी है। लेकिन नगर विधायक सुरेश शर्मा, जो बिहार सरकार में नगर विकास एवं आवास मंत्री भी है जिनको शहर वासियों की समस्या से कोई लेना देना नहीं है। आज शहर के कई क्षेत्र बरसात के पानी में डूबा हुआ है ।पानी का कोई निकासी नहीं हो रहा है। हल्की वारिस में शहर डूब जाता है। लेकिन लगातार सुरेश शर्मा के द्वारा मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी को लेकर बड़े-बड़े बयान जारी किया जा रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर स्मार्ट सिटी की झलक भी नहीं दिख रहा है।
बागमती नदी के बढ़ते जलस्तर ने बढ़ाई चिंता
मुजफ्फरपुर : बागमती नदी के जलस्तर में तो तेजी से हो रही वृद्धि ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी है। अब जिले में बहने वाली दूसरी नदी लखनदेई भी उफनाने लगी है। लखनदेई के जलस्तर में वृद्धि से खेतों में लगे धान की फसल बर्बाद हो गयी है। औराई प्रखण्ड के सिमरी, रतवारा, ससौली, रामपुर, संभुता आदि गाँव में लखनदेई का पानी प्रवेश कर चुका है। जिससे इन इलाकों में रहने वाले लोग अब ऊँचे स्थानों पर शरण लेने लगे है।
वही इन क्षेत्रों में कई एक एकड़ में हुए धान की फसल भी बर्बाद हो गयी है। कुछ इलाकों में तो बागमती एवं लखनदेई दोनों नदियों से घिरा होने के कारण उन क्षेत्रों में रहने वाले लोग चारो ओर से पानी से घिर गए है। वही बागमती में भी लगातार जल वृद्धि से कई पंचायत के दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है।
इन क्षेत्रों मे रहने वाले ग्रामीण बताते है कि बाढ़ हमलोगों की नियति बन चुकी है लग्भग प्रतेयक वर्ष बाढ का पानी आता ही है और हमलोगों की तबाही को बढ़ाता है। फसलो को तो नुकसान होता ही है सबसे ज्यादा मवेशियों के चारा की समस्या उतपन्न हो जाती है। बहरहाल तिरहुत के लिए वरदान कहि जाने वाली बागमती अब अपने सहयोगी नदी लखनदेई के साथ मिलकर अपने किनारे वाले क्षेत्रों के लिए अभिशाप बन गयी है।
सुनील कुमार अकेला